JP Narayan Birth Anniversary: जब मुंहबोली भतीजी के खिलाफ जेपी ने शुरू किया आंदोलन, इंदिरा गांधी को गंवानी पड़ी थी सत्ता

JP Narayan
Prabhasakshi

जयप्रकाश नारायण भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता, सिद्धांतवादी, समाजवादी व राजनीतिक नेता थे। वह जेपी या लोकनायक के नाम से भी जाने जाते थे। उन्हें तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए याद किया जाता है। आज ही के दिन 11 अक्टूबर को उनका जन्म हुआ था।

जयप्रकाश नारायण भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता, सिद्धांतवादी, समाजवादी व राजनीतिक नेता थे। वह जेपी या लोकनायक के नाम से भी जाने जाते थे। बता दें कि जेपी को 70 के दशक में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए याद किया जाता है। नारायण के उस आंदोलन से लालू प्रसाद, नीतीश कुमार और शरद यादव जैसे नेता निकले, जो वर्तमान समय में राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाए हैं। आज ही के दिन यानी की 11 अक्टूबर को जेपी नारायण का जन्म हुआ था। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर जेपी नारायण के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जब देश पर अंग्रेज शासन की हुकूमत चल रही थी, तो महात्मा गांधी और सरदार पटेल जैसे तमाम नेता अंग्रेजों से लोहा ले रहे थे। वहीं आजादी के बाद सत्ता की दीवारें हिला देने वालों में जेपी का नाम सबसे पहले लिया जाता था। बताया जाता है कि पूर्व पीएम इंदिरा गांधी जेपी के आंदोलन से इतनी ज्यादा घबरा गई थीं कि उन्होंने 1975 में आपातकाल की घोषणा कर दी थी।

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नेहरू के खास थे जेपी 

बता दें कि देश की आजादी की लड़ाई में जेपी और नेहरू के बीच काफी अच्छे संबंध थे। साथ ही जेपी इंदिरा गांधी को अपनी मुंह बोली भतीजी भी कहा करते थे। जेपी दूरदर्शी राजनीतिज्ञ होने के साथ ही आधुनिक भारत की नब्ज को भी अच्छे से जानते व समझते थे। आज ही के दिन यानी की 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सिताब दियारा में जयप्रकाश नारायण का जन्म हुआ था। 

जेपी आंदोलन का आधार

साल 1974 में जेपी नारायण ने जातिगत भेदभाव को मिटाने के लिए आंदोलन किया था। उस दौरान करीब 10 हजार लोगों ने जेपी के साथ मिलकर अपना जनेऊ तोड़ संकल्प लिया था कि वह सभी जाति प्रथा को नहीं मानेंगे। जेपी ने उस दौरान देश में न्यायपूर्ण सामाजिक व्यवस्था की स्थापना के लिए संघर्ष किया। क्योंकि साल 1973 से 76 के दौर में कांग्रेस अजेय मानी जाती थी। लेकिन जेपी आंदोलन ने इसे तार-तार कर दिया था। 

देश को मिले नीतीश और लालू जैसे नेता

आपको बता दें कि जब जेपी आंदोलन शुरू हुआ तो उस दौरान छात्र नेता रहे लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, नीतीश कुमार आदि ने इस आंदोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। लालू यादव इस आंदोलन के सबसे खास युवा नेता थे। इस आंदोलन ने ही लालू, शरद और नीतीश आदि को छात्रनेता से राजनीति के शिखर पर पहुंचाया। इसके अलावा इस आंदोलन में आजम खान, रामविलास पासवान, रेवतीरमण सिह, हुकुमदेव यादव, रविशंकर प्रसाद, स्वर्गीय सुषमा स्वराज, बीजू पटनायक, विजय गोयल, केसी त्यागी और अरुण जेटली आदि नेता शामिल हुए और फिर यह सभी राजनीति के शीर्ष पर पहुंचे। 

जेपी आंदोलन में मुलायम की भूमिका

जेपी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार के खिलाफ शुरू हुए इस आंदोलन में मुलायम सिंह यादव की भूमिका भी अहम रही। साल 1975 में देश में इमरजेंसी लागू की गई। वहीं मुलायम ने भी कांग्रेस सरकार का विरोध किया और जेपी आंदोलन में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। जिसके परिणाम स्वरूप मुलायम सिंह यादव को जेल भी जाना पड़ा था। 

निधन 

गांधीजी ने जेपी के समाजवाद के ज्ञान पर लिखा है कि वह कोई साधारण कार्यकर्ता नहीं है, जेपी समाजवाद के आचार्य हैं और भारत में समाजवाद के बारे में जयप्रकाश से ज्यादा कोई नहीं जानता है। बता दें कि 8 अक्टूबर 1979 को जयप्रकाश नारायण ने पटना में आखिरी सांस ली। वहीं उनके साथ आंदोलन का हिस्सा रहे नए युग के समाजवादियों ने राजनीति के शीर्ष में अपनी जगह बनाई और अलग-अलग राज्यों में सरकार भी बनाने में सफल रहे।

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