मोदी के दोस्त के अमेरिका की सत्ता में आते ही कैसे फंसे अडानी? 5 प्वाइंट में समझें अरेस्ट वारंट की पूरी कहानी, अब आगे क्या?

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अभिनय आकाश । Nov 21 2024 2:26PM

आपको पूरा मामला विस्तार से बताते हैं कि आखिर धोखाधड़ी के आरोप किस सिलसिले में हैं? जांच के घेरे में कौन कौन आए हैं। अब आरोप लगे हैं तो इस पर सफाई तो आएगी ही तो वो पक्ष भी आपको बताएंगे कि अडानी ग्रीन ने आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया दी है। अब बात गौतम अडानी से जुड़ा हो तो भला विपक्ष कैसे चुप रह सकता है। ये भी जान लेंगे। इसके साथ ही इस सब का अडानी ग्रुप के शेयरों पर क्या असर पड़ा है, सारे मामलों का आइए एमआरआई स्कैन करते हैं।

राजधानी दिल्ली के मान सिंह रोड का साउथ ब्लाक का इलाका, पता 24 अकबर रोड, देश की ग्रैंड ओल्ड पार्टी कांग्रेस का हेडक्वार्टर, भरी दोपहर पिछले आठ दिनों से 400 पार एक्यूआई लेवल से लोगों की अटकी सांसों के बीच राहुल गांधी अपने फेवरेट टॉपिक यानी गौतम अडानी के बारे में बात करने के लिए पत्रकारों के बीच पहुंचते हैं। अपने चिरपरिचित अंदाज में केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हैं और पूछते हैं अडानी जेल के बाहर क्यों हैं? इसका जवाब भी खुद देते हुए बताते हैं कि क्योंकि नरेंद्र मोदी, अडानी के कंट्रोल में हैं। बहरहाल बेशुमार दौलत वाले एक उद्योगपति जिनकी कंपनी दिन दोगुनी और रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ रही है। शोहरत का एक बड़ा नाम जिनका जिक्र अक्सर विपक्षी दल के नेता राहुल गांधी की तरफ से भी मोदी सरकार पर निशाना साधने के लिए किया जाता रहता है। अब अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी पर अमेरिका में गंभीर आरोप लगाए गए हैं। ये आरोप उनकी कंपनी के निवेशकों को धोखा देने से जुड़े हुए हैं। उन पर अमेरिका में अपनी कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिलाने के लिए 256 मिलियन डॉलर यानी लगभग 2236 करोड़ रुपए रिश्वत देने और इसे छिपाने का आरोप लगाया गया है। ये पूरा मामला अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। ऐसे में आपको पूरा मामला विस्तार से बताते हैं कि आखिर धोखाधड़ी के आरोप किस सिलसिले में हैं? जांच के घेरे में कौन कौन आए हैं। अब आरोप लगे हैं तो इस पर सफाई तो आएगी ही तो वो पक्ष भी आपको बताएंगे कि अडानी ग्रीन ने आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया दी है। अब बात गौतम अडानी से जुड़ा हो तो भला विपक्ष कैसे चुप रह सकता है। ये भी जान लेंगे। इसके साथ ही इस सब का अडानी ग्रुप के शेयरों पर क्या असर पड़ा है, सारे मामलों का आइए एमआरआई स्कैन करते हैं। 

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1. गौतम अडानी पर क्या आरोप लगे?

अमेरिका के सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन यानी एसईसी ने 20 नवंबर को इस मामले में गौतम अडानी के भतीजे सागर अडानी समेत अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेज के अधिकारियों समेत एक अन्य फर्म अश्योर ग्लोबल पावर लिमिटेड के कार्याकारी सिरोल कोपनेस के खिलाफ भी आरोप लगाए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर के साथ सात अन्य प्रतिवादियों ने अपनी रिन्यूअल एनर्जी कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिलाने और भारत की सबसे बड़ी सौर्य ऊर्जा संयंत्र परियोदना विकसित करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को लगभग 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने पर सहमति जताई थी। दरअसल, यूनाइटेड स्टेट्स अटार्नी ऑफिस अमेरिका की कानून लागू करने वाली एजेंसी है। इसके ही मुताबिक 20220 से 2024 के बीच अडानी को भारत में अपने ही सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट के लिए भारत सरकार से कॉन्ट्रैक्ट चाहिए थे। जिसके लिए अडानी ने भारतीय अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर के रिश्वत देने की बात कही। अडानी को इस प्रोजेक्ट से 20 साल में लगभग दो बिलियन डॉलर से ज्यादा मुनाफे की उम्मीद थी। आरोप हैं कि अडानी ने इस पैसे को जुटाने के लिए अमेरिकी निवेशकों और बैंकों से झूठ बोला और उनसे 175 मिलियन डॉलर लिए। इन पैसों को रिश्वत के लिए इस्तेमाल किया गया था। 

2. जांच के घेरे में कौन कौन?

मामले में गौतम अडानी के अलावा उनके भतीजे सागर अडानी, विनीत जैन को आरोपी बनाया गया है। इसके साथ ही अडानी सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट से जुड़े चार और लोगों पर भी आरोप लगे हैं। जिनके नाम सिरिल कैबनेस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा, और रुपेश अग्रवाल हैं। इन चारों ने ब्राइबरी स्कीम में ग्रैंड ज्यूरी, एफबीआई और यूएस सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन की जांच रोकने की साजिश रची थी। अडानी ग्रीन एनर्जी ने फंड देने के तहत अमेरिकी इन्वेंस्टर्स और इंटरनेशनल लेंडर्स से कुल 3 बिलियन डॉलर रकम एकट्ठा की थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में अमेरिका की कोर्ट में सुनवाई के बाद गौतम अडानी और उनके भतीजे के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुए हैं। 

3. अडानी ग्रीन ने आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया दी है?

अमेरिकी कोर्ट के आरोपों पर अडानी ग्रुप की तरफ से सफाई आई है। अडानी ग्रीन ने यूएस कोर्ट की तरफ से लगाए गए आरोपों को आधारहीन बताया है। कंपनी ने अमेरिकी कोर्ट के आरोपों से इनकार किया है। उनका कहना है कि कंपनी ने सबी नियमों का पालन किया है। आगे वो मामले पर सभी संभावित कानूनी विकल्पों पर विचार करेगी। अमेरिकी न्याय विभाग ने स्वयं कहा है कि अभियोग में लगाए गए आरोप फिलहाल आरोप हैं और जब तक दोषी साबित नहीं हो जाते, तब तक शामिल लोगों को निर्दोष माना जाता है। ग्रुप की ओर से कहा गया है कि सभी संभव कानूनी उपाए किए जाएंगे। इसके साथ ही शेयरधारकों को भरोसा दिलाते हुए स्टेटमेंट में कहा गया कि अडानी ग्रुप ने हमेशा सभी सेक्टर्स में पार्दर्शिता और रेग्युलेटरी नियमों का अनुपालन किया है और करता रहेगा। 

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4. अडानी का मामला हो तो विपक्ष चुप कैसे रह सकता, किसने क्या कहा?

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गौतम अडानी के खिलाफ अमेरिकी अभियोजकों द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर कहा कि यहां अडानी को तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में यह दावा भी किया कि गौतम अडानी की गिरफ्तारी नहीं होगी क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इनके साथ मिले हुए हैं। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष अडानी से जुड़े मामले को उठाएगा। उनका कहना था कि अडानी ने अमेरिका और भारत दोनों देशों में नियमों को तोड़ा है। राहुल गांधी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी ने नारा दिया: एक हैं तो सेफ़ हैं। भारत में नरेंद्र मोदी और अडानी एक हैं तो सेफ़ हैं। हिंदुस्तान में अडानी का कुछ नहीं किया जा सकता है। उन्होंने दावा किया कि यहां मुख्यमंत्री को जेल भेज दिया जाता है और अडानी 2,000 करोड़ रुपये का घोटाला कर के बाहर घूम रहे हैं क्योंकि नरेंद्र मोदी उनकी रक्षा कर रहे हैं। कांग्रेस पर पलटवार करते हुए बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कहा कि आरोप लगाने से पहले पढ़ लेना चाहिए। अमित मालवीय ने लिखा कि यहां बताए गए सभी राज्य उस दौरान विपक्ष शासित थे। इसलिए, उपदेश देने से पहले, कांग्रेस और उसके सहयोगियों द्वारा ली गई रिश्वत पर जवाब दें। इसके अलावा, एक भारतीय अदालत इसी तरह, वैध आधार पर, अमेरिकी कंपनियों पर भारतीय बाजारों तक पहुंच से इनकार करने के लिए अमेरिकी सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगा सकती है। तो क्या हमें कानून को अपना काम करने देना चाहिए और संबंधित कॉरपोरेट को अपना बचाव करने देना चाहिए या किसी विदेशी देश की घरेलू राजनीति में खुद को स्थापित करने देना चाहिए? अमित मालवीय ने अपनी पोस्ट में लिखा कि चूंकि बिजली महंगी थी, एसडीसी खरीदने को तैयार नहीं थे। इसलिए अडानी ने (अमेरिकी कंपनी Azure Power के साथ) जुलाई 2021 से फरवरी 2022 के बीच ओडिशा (तत्कालीन बीजेडी शासित), तमिलनाडु (डीएमके), छत्तीसगढ़ (तत्कालीन कांग्रेस) और आंध्र प्रदेश (तत्कालीन वाईएसआरसीपी) में स्थित एसडीसी को 265 मिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर भुगतान किया। 

5. अडानी ग्रुप के शेयरों पर क्या पड़ा असर?

जैसे ही ये खबर सामने आई सभी की नजर अडानी ग्रप के शेयरों पर जा टिकी। आरोप के बाद समूह की कंपनियों के शेयर में भारी गिरावट आई है। सुबह के कारोबार में भारी गिरावट आई और इसकी सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार मूल्यांकन संयुक्त रूप से 2.45 लाख करोड़ रुपये घट गया।  बीएसई पर समूह की प्रमुख कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयर में 22.99 प्रतिशत, अदाणी पोर्ट्स में 20 प्रतिशत, अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस में 20 प्रतिशत, अदाणी ग्रीन एनर्जी में 19.53 प्रतिशत और अदाणी टोटल गैस में 18.14 प्रतिशत की गिरावट आई। अदाणी पावर के शेयरों में 17.79 प्रतिशत, अंबुजा सीमेंट्स में 17.59 प्रतिशत, एसीसी में 14.54 प्रतिशत, एनडीटीवी में 14.37 प्रतिशत तथा अदाणी विल्मर में 10 प्रतिशत की गिरावट आई। समूह की कुछ कंपनियों ने दिन के लिए अपनी निचली सीमा स्तर को छुआ। 

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