K Kamaraj Death Anniversary: के कामराज ने दो बार ठुकराया पीएम पद, देश को दिए शास्त्री और इंदिरा जैसी शख्सियत
के कामराज एक स्वनिर्मित नेता और आजाद भारत के पहले किंगमेकर थे। आज ही के दिन यानी की 2 अक्टूबर को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के कामराज का निधन हो गया था। मरणोपरांत के. कामराज को भारत रत्न देकर सम्मानित भी किया गया।
के कामराज एक स्वनिर्मित नेता और आजाद भारत के पहले किंगमेकर थे। आज ही के दिन यानी की 2 अक्टूबर को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के कामराज का निधन हो गया था। हांलाकि देश की आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी के कई अध्यक्ष बने, लेकिन आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी के सबसे ताकतवर अध्यक्षों में के कामराज का नाम शामिल रहा। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर के कामराज के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
बता दें कि 15 जुलाई 1903 को तमिलनाडु के विरदुनगर में एक व्यवसायी परिवार में के. कामराज का जन्म हुआ था। कामराज का पूरा नाम कामाक्षी कुमारस्वामी नाडेर था। बता दें कि उन्होंने परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए 11 साल की उम्र से एक किराने की दुकान में काम करना शुरू कर दिया था। कामराज 15 साल की उम्र में स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हो गए। लेकिन समय के साथ ही वह के कामराज के नाम से जाने गए। वहीं 16 साल की उम्र में वह कांग्रेस पार्टी से जुड़ गए। जब महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया था, उस दौरान के कामराज 18 साल के थे।
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शुरू की मिड-डे-मील योजना
बता दें कि साल 1954 में के कामराज पहली बार मद्रास प्रोविन्स के सीएम बने थे। मद्रास प्रोविन्स को वर्तमान समय में तमिलनाडु के नाम से जानते हैं। कामराज ने सीएम बनते ही सबसे पहला काम शिक्षा में सुधार का किया था। उन्होंने बतौर सीएम हर गांव में प्राइमरी स्कूल और हर पंचायत में हाईस्कूल और 11वीं तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा लागू की थी। उनकी सरकार में पहली बार मिड-डे-मील योजना शुरू की गई। के कामराज ने ही स्कूली बच्चों को फ्री में ड्रेस देने की शुरूआत की थी। के कामराज तीन बार मद्रास के सीएम बने।
ऐसे निभाई किंगमेकर की भूमिका
के कामराज को दो बार प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला था, लेकिन उन्होंने दोनों बार प्रधानमंत्री पद के लिए मना कर दिया। जिसके बाद दोनों बार अलग-अलग नेताओं को प्रधानमंत्री बनाया गया। के कामराज के पास पहला अवसर साल 1964 में आया। आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरु के निधन के बाद सभी को लगा कि अगले प्रधानमंत्री के तौर पर के कामराज शपथ लेंगे। लेकिन उन्होंने यह कहते हुए प्रधानमंत्री पद स्वीकार करने से मना कर दिया कि राष्ट्र निर्माण के लिए पार्टी का फिट रहना जरूरी है। तब के कामराज की जगह लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री बनाया गया।
वहीं जब लाल बहादुर शास्त्री का साल 1966 में निधन हो गया तो एक बार फिर पीएम पद रिक्त हो गया। ऐसे में कांग्रेस पार्टी को फिर लगा कि के कामराज प्रधानमंत्री बनेंगे। लेकिन इस बार के कामराज ने पीएम पद के लिए इंदिरा गांधी का नाम सुझाया। ऐसे में एक बार फिर के कामराज की जगह देश को पीएम के तौर पर इंदिरा गांधी मिलीं।
निधन
मद्रास प्रोविन्स के सीएम होने के बाद भी के कामराज बड़ी सादगी से अपना जीवन जीते थे। मुख्यमंत्री होने के नाते उनको Z लेवल सुरक्षा दी गई थी। लेकिन उन्होंने यह सिक्योरिटी लेने से इंकार कर दिया था। जब भी कामराज किसी दौरे पर जाते थे, तो उनके साथ सुरक्षा के नाम पर सिर्फ एक पुलिस का एक पैट्रोल वीकल चलता था। 2 अक्टूबर 1975 में कामराज का निधन हो गया था। निधन के बाद उनके पास 130 रुपए, 4 शर्ट, 2 जोड़ी चप्पल और कुछ किताबें मिली थीं।
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