रूढ़िवादी सोच से ऊपर उठें, हिजाब से ज्यादा जरूरी है शिक्षा: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच
एमआरएम के राष्ट्रीय संयोजक एवं प्रवक्ता शाहिद सईद ने कहा कि मुसलमानों को सोचना चाहिए कि उनकी साक्षरता दर सबसे कम क्यों है। भारत के मुसलमानों को एक प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उन्हें यह समझना होगा कि उन्हें किताब की जरूरत है, न कि हिजाब की। उन्हें रूढ़िवादी सोच से ऊपर उठकर शिक्षा और प्रगति पर ध्यान देना चाहिए।
इसे भी पढ़ें: हिजाब विवाद: माथे पर सिंदूर लगाकर आई छात्रा को कॉलेज में नहीं दिया गया घुसने, कहा- इससे हिजाब और भगवा शॉल की तरह ही हो जाएगा विवाद
उन्होंने कहा कि भारत में कुल मुस्लिम आबादी का केवल 2.75 प्रतिशत स्नातक या इस स्तर की शिक्षा से ऊपर है। इनमें महिलाओं का प्रतिशत मात्र 36.65 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों में स्कूल छोड़ने की दर सबसे अधिक है और ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर लड़कों की तुलना में अधिक है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें सोचना चाहिए कि हमारे पास स्नातकों का इतना कम प्रतिशत क्यों है जबकि देश में मुसलमानों की आबादी कम से कम 20 करोड़ है।’’ उन्होंने कहा कि चाहे सरकारी क्षेत्र हो या निजी क्षेत्र, रोजगार में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। सईद ने कहा, ‘‘और यह अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के खिलाफ किसी पूर्वाग्रह के कारण नहीं है। जब किसी समुदाय में स्नातकों का इतना कम प्रतिशत और स्कूल छोड़ने की दर अधिक होती है, तो यह स्पष्ट है कि इसके सदस्य पीछे रह जाएंगे।’’
इसे भी पढ़ें: तमिलनाडु के शहरी निकाय चुनाव में हिजाब पर हंगामा, उदयनिधि बोले- हम इसके खिलाफ हैं, जानिए पूरा मामला
एमआरएम संयोजक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन के दौरान ‘तीन तलाक’ को समाप्त करके मुस्लिम महिलाओं को इस सदियों पुरानी प्रथा के दर्द से मुक्त कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘यह मुस्लिम महिलाओं के स्वाभिमान और गरिमा का कानून है। आज उनकी स्थिति में बहुत बदलाव आया है। कानून लागू होने के बाद से बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाओं को राहत मिली है। लोग अपने परिवार को सम्मान के साथ जीने का अधिकार दे रहे हैं।’’ उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम लड़कियां, युवा और महिलाएं आज प्रगतिशील हैं लेकिन ‘‘कट्टरपंथी और तथाकथित धार्मिक नेता’’ चाहते हैं कि वे रूढ़िवाद और कट्टरता के बंधन में रहें।
अन्य न्यूज़