उत्तराखंड का नैनीताल अब बूंद-बूंद के लिए तरस जाएगा? आने वाला है इस पर्यटन स्थल पर अकाल...?

नैनीताल की जीवन रेखा मानी जाने वाली नैनी झील का जलस्तर घटकर 4.7 फुट तक रह गया है, जो पिछले पांच साल में सबसे कम है। जलस्तर में गिरावट से स्थानीय लोगों और प्रशासन के बीच पानी के संभावित संकट को लेकर चिंता पैदा हो गई है।
उत्तराखंड का नैनीताल अंग्रेजों के समय से ही काफी खूबसूरत पर्यटन स्थल रहा है। यहां पर अंग्रेज अपनी छुट्टियां मनाने के लिए आते थे। धीरे-धीरे इस जगह की इतनी लोकप्रियता बढ़ गयी कि पूरी दुनिया से लोग घूमने के लिए आने लगे। इस जगह का सबसे क्रेंद इसकी नैनी झील हुआ करती हैं। लेकिन अब वर्तमान समय में नैनीताल अपनी सुंदरता खोता जा रहा है। इसका कारण है यहां पर हद से ज्यादा यहां पर आबादी बढ़ गयी है। यहां की खूबसूरत झील क्लाइमेट चेंज होने के कारण सूखती जा रही हैं। नैनीताल की प्राकृतिक सुंदरता भी कम होती जा रही हैं। ताजा रिपोर्ट की माने तो स्थिति काफी खराब हो गयी हैं।
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नैनीताल में झील का जलस्तर पांच साल के निचले स्तर पर
नैनीताल की जीवन रेखा मानी जाने वाली नैनी झील का जलस्तर घटकर 4.7 फुट तक रह गया है, जो पिछले पांच साल में सबसे कम है। जलस्तर में गिरावट से स्थानीय लोगों और प्रशासन के बीच पानी के संभावित संकट को लेकर चिंता पैदा हो गई है। इस बार सर्दियों में पर्यटक नगरी में बहुत कम बारिश और बर्फबारी हुई थी, जिससे गर्मी के महीनों में झील का जलस्तर रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिरने की आशंका बढ़ गई है। पिछले साल भी नैनीताल को ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा था, लेकिन मानसून ने बारिश की कमी की भरपाई की थी और झील को भरपूर पानी प्रदान किया था, जिससे जलस्तर बढ़कर 12 फुट तक हो गया था।
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नैनीताल में पानी के संकट की आशंका
यही नहीं, राज्य के सिंचाई विभाग को नियमित अंतराल पर झील से अतिरिक्त पानी निकालना पड़ा था। हालांकि, इस साल शहर में बहुत कम बारिश और हिमपात हुआ। नैनी झील के नियंत्रण कक्ष प्रभारी रमेश गैड़ा ने बताया कि पिछली सर्दियों में नैनीताल में केवल दो बार (नौ दिसंबर और 12 जनवरी को) हिमपात हुआ था, जो झील में पानी भरने के लिए पर्याप्त नहीं था। गौड़ा के मुताबिक, अब जबकि जलस्तर लगातार घट रहा है और गर्मी का मौसम व पर्यटन सीजन शुरू होने वाला है, तो पानी के संभावित संकट को लेकर राज्य के जल संस्थान, सिंचाई विभाग और पर्यटकों पर निर्भर व्यवसायों की चिंताएं बढ़ गई हैं।
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