बाबा महाकाल के आंगन में फुलझड़ी जलाकर मनाई गई सबसे पहले दीपावली
दीपावली के अवसर पर शनिवार सुबह 4 बजे होने वाली भस्म आरती के बाद बाबा को अभ्यंग स्नान कराया गया। इसके बाद नवीन वस्त्र धारण कराकर भगवान का दिव्य श्रृंगार कर 56 पकवानों का महाभोग (अन्नकूट) लगाया गया। इसके बाद फुलझड़ी से आरती हुई। पुजारियों ने प्रतीकात्मक फुलझड़ी जलाकर बाबा महाकाल के साथ दीपावली मनाई।
उज्जैन। मध्य प्रदेश में शनिवार को सुबह विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में फुलझड़ी जलाकर दीपावली मनाई गई। तडक़े करीब चार बजे भस्मारती हुई और उसके बाद सुबह 6 बजे राजाधिराज बाबा महाकाल को शहद, घी, दूध, दही, उबटन, हल्दी, चंदन, केसर, विभिन्न प्रकार के फूलों और फलों के रसों के साथ इत्र आदि सुगंधित द्रव्य पदार्थों से अभ्यंग स्नान कराया गया। इसके बाद भगवान का सोने-चांदे के आभूषणों से विशेष श्रृंगार कर अन्नकूट लगाया गया। तत्पश्चात पुजारियों ने भगवान महाकाल की सुबह की आरती की और फुलझड़ी जलाकर मंदिर में दीपावली मनाई गई।
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मध्य प्रदेश में परम्परा के अनुसार हर हिंदू त्योहार की शुरुआत सबसे पहले बाबा महाकाल के प्रांगण से ही होती है। दीपावली की शुरुआत भी बाबा के सामने फुलझड़ी जला कर की गई। सुबह होते ही भस्म आरती के बाद पुरोहितों ने महाकाल, गणेश, पार्वती की पूजा की। नंदी हॉल में पुजारी, पुरोहितों ने मंत्रोच्चार के साथ राजाधिराज महाकाल, गणेश, कुबेर, लक्ष्मी/पार्वती का पूजन किया। हर वर्ष इस अवसर पर कलेक्टर, प्रशासक, सहायक प्रशासनिक अधिकारी और आम लोगों की मौजूदगी में पूजा की जाती थी, लेकिन कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते हुए पूजन के समय इस वर्ष आम जनों के दर्शन पर प्रतिबंध था।
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सरकारी अधिकारियों को भी निमंत्रण नहीं दिया गया। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु भगवान के दर्शन करने के लिए मंदरि पहुंचते हैं, लेकिन बार यह पर्व सीमित लोगों की मौजूदगी में मनाया जा रहा है। दीपावली के अवसर पर शनिवार सुबह 4 बजे होने वाली भस्म आरती के बाद बाबा को अभ्यंग स्नान कराया गया। इसके बाद नवीन वस्त्र धारण कराकर भगवान का दिव्य श्रृंगार कर 56 पकवानों का महाभोग (अन्नकूट) लगाया गया। इसके बाद फुलझड़ी से आरती हुई। पुजारियों ने प्रतीकात्मक फुलझड़ी जलाकर बाबा महाकाल के साथ दीपावली मनाई।
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