कंजर्वेटिव सांसद को बॉक्सिंग रिंग में मात देकर PM बनने वाले जस्टिन ट्रूडो से कहां हो गई चूक, कनाडा में कब होंगे चुनाव

Trudeau
@JustinTrudeau
अभिनय आकाश । Jan 7 2025 1:09PM

ट्रूडो ने कहा कि यह स्पष्ट हो गया है कि वे आंतरिक लड़ाइयों के कारण अगले चुनावों के दौरान वह नेता नहीं रह सकते। उन्होंने लिबरल पार्टी का नया नेता चुने जाने तक प्रधानमंत्री के रूप में बने रहने की योजना बनाई है। ट्रूडो ने कहा कि उन्होंने अपनी लिबरल पार्टी के अध्यक्ष से नए नेता के चयन की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है। ट्रूडो ने कहा कि मैं किसी लड़ाई में आसानी से पीछे नहीं हटता, खासकर जब यह हमारी पार्टी और देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो।

लोग अक्सर मुझे कमतर समझ लेते हैं, उन्हें लगता है कि मैं हल्का हूं। अगर मैं लड़ाई जीत जाता हूं तो शायद लोग मुझे गंभीरता से लेने लगेंगे। साल 2012 का वो दौर जब कंजर्वेटिव पार्टी के एक सांसद पैट्रिक ब्राजेउ ने ट्रूडो को चुनौती देते हुए कहा था कि अगर आपको लगता है कि आप अपनी नेतागिरी की कुछ छाप छोड़ना चाहते हैं तो मुझे बॉक्सिंग रिंग में हरा कर दिखा। पैट्रिक कराटे के ब्लैक बेल्ट थे। ट्रूडो ब़क्सिंग किया करते थे लेकिन वो प्रोफेशनल नहीं थे। मार्च 2012 में बॉक्सिंग मुकाबले में तीसरे राउंड में ही जस्टिन ने पैट्रिक को हरा दिया। जिसके बाद लिबरल पार्टी की कमान संभालने को लेकर वोटिंग हुई और 80 फीसदी के साथ 2013 में जस्टिन ने जीत दर्ज की। कट टू साल 2024 की शुरुआत 6 जनवरी का दिन कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो मीडिया के सामने आए और अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। 

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लोकतंत्र की भलाई मेरे लिए सर्वोपरि 

ट्रूडो ने कहा कि यह स्पष्ट हो गया है कि वे आंतरिक लड़ाइयों के कारण अगले चुनावों के दौरान वह नेता नहीं रह सकते। उन्होंने लिबरल पार्टी का नया नेता चुने जाने तक प्रधानमंत्री के रूप में बने रहने की योजना बनाई है। ट्रूडो ने कहा कि उन्होंने अपनी लिबरल पार्टी के अध्यक्ष से नए नेता के चयन की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है। ट्रूडो ने कहा कि  मैं किसी लड़ाई में आसानी से पीछे नहीं हटता, खासकर जब यह हमारी पार्टी और देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो। लेकिन मैं यह काम इसलिए कर रहा हूं क्योंकि कनाडा के लोगों के हित और लोकतंत्र की भलाई मेरे लिए सर्वोपरि है। ट्रूडो खुद ये मान रहे हैं कि अगर मेरे चेहरे के साथ लिबरल पार्टी चुनाव में जाती है तो कंजर्वेटिव के हाथों उसे मुंह की खानी पड़ सकती है। 

ट्रूडो के कार्यकाल में खराब होते चले गए भारत कनाडा के संबंध 

कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार की संलिप्तता का आरोप लगाने के बाद कनाडा के साथ भारत के संबंधों में गिरावट आई। सितंबर 2023 में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया। यह तब हुआ जब कनाडा ने घोषणा की कि वह निज्जर की हत्या से भारतीय सरकारी एजेंटों को जोड़ने वाले आरोपों पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने उस समय कहा था कि कनाडाई राजनयिक का निष्कासन हमारे आंतरिक मामलों में कनाडाई राजनयिकों के हस्तक्षेप और भारत विरोधी गतिविधियों में उनकी भागीदारी पर बढ़ती चिंता पर था। भारत ने सुरक्षा खतरों का हवाला देते हुए कनाडा में अपने वीज़ा संचालन को भी कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया था। अक्टूबर 2023 में, कनाडा ने भारत से अपने 40 राजनयिकों को वापस बुला लिया क्योंकि नई दिल्ली ने राजनयिक उपस्थिति में समानता का आह्वान किया था। पिछले अक्टूबर में संबंधों में और खटास आ गई जब नई दिल्ली ने छह उच्च रैंकिंग वाले कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया और कनाडा से अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया था। ओटावा ने कहा कि उसने जून 2023 में निज्जर की हत्या में उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और अन्य अधिकारियों को रुचि के व्यक्तियों के रूप में नामित करने के बाद छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया। तब विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि यह नवीनतम कदम उन बातचीत के बाद उठाया गया है जिसमें बिना किसी तथ्य के फिर से दावे किए गए हैं। इससे कोई संदेह नहीं रह जाता है कि जांच के बहाने राजनीतिक लाभ के लिए भारत को बदनाम करने की एक सोची-समझी रणनीति है। भारत का कहना है कि कनाडा ने अपने अधिकारियों को निज्जर की हत्या से जोड़ने वाला कोई सबूत नहीं दिया है। 

क्या भारत संग विवाद बना ट्रूडो के पतन का कारण ? 

भारत ने ट्रूडो सरकार पर कनाडा को खालिस्तानी चरमपंथियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बनाने का आरोप लगाया है। नई दिल्ली ने कनाडाई सरकार पर "वोट बैंक की राजनीति" में शामिल होने का भी आरोप लगाया है। 2016 में, ट्रूडो ने संवाददाताओं से कहा कि उनके मंत्रिमंडल में भारत में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना में अधिक सिख हैं। 2021 की जनगणना के अनुसार कनाडा 771,790 सिखों का घर है, जो भारत में पंजाब के बाहर दूसरी सबसे बड़ी सिख आबादी है। कनाडा की राजनीति में सिखों का महत्वपूर्ण प्रभाव है। भारत के साथ संबंधों में गिरावट के अलावा ट्रूडो को अपनी पार्टी के भीतर आंतरिक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। कम से कम 21 लिबरल सांसदों ने सार्वजनिक रूप से ट्रूडो से पद छोड़ने का आग्रह किया है, उनमें से कई 16 दिसंबर, 2024 को फ्रीलैंड के इस्तीफे के बाद थे। पिछले अक्टूबर में, 24 लिबरल सांसदों ने पार्टी के दो संघीय उपचुनाव हारने के मद्देनजर उनके इस्तीफे की मांग करते हुए एक पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। 

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ट्रडो का ग्राफ लगातार क्यों गिरता रहा? 

कोविड-19 महामारी के बाद से कनाडा में ट्रूडो की लोकप्रियता में गिरावट आई है। उनकी सरकार मुद्रास्फीति और बेरोजगारी को कम करने में विफल रही है, जबकि जीवन-यापन संकट ने कई लोगों के लिए आवास को अप्राप्य बना दिया है। लिबरल पार्टी के संघीय चुनाव हारने की भविष्यवाणी की गई है। कंजर्वेटिव पार्टी फिलहाल उदारवादियों से 21 अंक आगे है। पिछले साल इप्सोस के एक सर्वेक्षण में पाया गया था कि केवल 28 प्रतिशत कनाडाई चाहते हैं कि ट्रूडो फिर से निर्वाचित हों और केवल 26 प्रतिशत उदारवादियों को वोट देंगे। ट्रूडो द्वारा भारत को सार्वजनिक रूप से निशाना बनाने को कनाडा के चुनावों में कथित चीनी हस्तक्षेप से ध्यान भटकाने के तौर पर भी देखा जा रहा है। 

कनाडा के चुनाव में चीन का हस्तक्षेप 

विदेशी मामलों के विशेषज्ञ रोबिंदर सचदेव ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा था कि चीन 2019 और 2021 से कनाडा के चुनावों में हस्तक्षेप कर रहा है। इसे लेकर बड़े विवाद हैं। चाइनागेट से ध्यान हटाने और ध्यान भटकाने के लिए, जिसमें ट्रूडो को एक कमजोर नेता के रूप में लेबल किया जा रहा है। ट्रूडो ने बहुत ही समझदारी से अपने देश के भीतर अपने नेतृत्व की विफलताओं पर ध्यान भटकाने के लिए भारत को बढ़ावा देने के बारे में सोचा। इसलिए हम इससे अधिक की उम्मीद कर सकते हैं क्योंकि ट्रूडो ने चाइनागेट के संबंध में अपनी समस्याओं और परेशानियों से ध्यान हटाने के लिए भारत को लक्षित करने का एक सचेत निर्णय लिया। 

कब होंगे कनाडा में चुनाव

जिस वक्त बिहार में विधानसभा के चुनाव हो रहे होंगे ठीक उसी दरमियान कनाडा में भी चुनाव भी हो रहे हैं। कनाडा में अक्टूबर 2025 में चुनाव हैं। कनाडा में दो पार्टियां मुख्य तौर पर हैं। एक कंजर्वेटिव और दूसरी लिबरल पार्टी है। लिबरल पार्टी से दो चुनाव जीतकर ट्रूडो सत्ता में आ चुके हैं। उनके पिता पियरे ट्रूडो भी कनाडा के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। 16 दिसंबर 2024 को कनाडा की फाइनेंस मिनिस्टर ने इस्तीफा दिया था। उस दौरान लोगों ने कहा कि ट्रूडो ने उन्हें डिमोट किया। 

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