राहुल गांधी तय करेंगे, कौन बनेगा दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री ?
दिल्ली की चुनावी लड़ाई बहुत ज्यादा दिलचस्प होने जा रही है। देश की राजधानी दिल्ली में 5 फरवरी को होने जा रहे मतदान में मुख्य मुकाबला अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी के बीच में होने जा रहा है।
चुनाव आयोग ने दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया है। देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने मंगलवार को बतौर सीईसी अपनी आखिरी प्रेस कांफ्रेंस में दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान करने के साथ ही अपने ऊपर लगाए जा रहे तमाम आरोपों का भी एक-एक करके जवाब देने की कोशिश की।
दिल्ली में इस बार मतदाताओं की संख्या एक करोड़ 55 लाख 24 हजार 858 है जिसमें से महिला मतदाताओं की संख्या 71 लाख 73 हजार 952 है। जाहिर तौर पर, देश के कई अन्य राज्यों की तरह दिल्ली में भी महिला मतदाता, चुनावी जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं।
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हालांकि इस बार दिल्ली की चुनावी लड़ाई बहुत ज्यादा दिलचस्प होने जा रही है। देश की राजधानी दिल्ली में 5 फरवरी को होने जा रहे मतदान में मुख्य मुकाबला अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी के बीच में होने जा रहा है। अरविंद केजरीवाल के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव, उनके अस्तित्व के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण और निर्णायक चुनाव होने जा रहा है। दिल्ली के मुकाबले कहीं ज्यादा बड़े और महत्वपूर्ण राज्य- पंजाब में सरकार होने के बावजूद देश की राजधानी दिल्ली का केजरीवाल के लिए अपना महत्व है। अगर केजरीवाल दिल्ली का यह विधानसभा चुनाव जीत नहीं पाते हैं तो आम आदमी पार्टी पर उनकी पकड़ कमजोर हो जाएगी और साथ ही विपक्षी इंडिया गठबंधन में भी उनका दबदबा कमजोर होता चला जाएगा। घोटाले के आरोप में जेल तक की यात्रा करने वाले अरविंद केजरीवाल यह बखूबी जानते और समझते हैं कि दिल्ली की हार एक बार फिर से उन्हें राजनीतिक रूप से अछूत बना देगी। क्योंकि विपक्षी गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के दौरान भले ही मजबूरी में कई राज्यों में आप के साथ गठबंधन किया था लेकिन सच्चाई तो यही है कि सोनिया गांधी इस देश की राजनीति में नीतीश कुमार और अरविंद केजरीवाल पर कतई भरोसा नहीं करती है।
इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और गांधी परिवार की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हो गई है। वर्ष 2020 में, दिल्ली में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस को सिर्फ 4.26 प्रतिशत मत मिला था और वह एक भी सीट नहीं जीत पाई थी लेकिन इस बार कांग्रेस ने पूरी ताकत के साथ दिल्ली में विधानसभा चुनाव लड़ने का संकेत दिया है। कांग्रेस आलाकमान ने नई दिल्ली विधानसभा सीट से आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को चुनावी मैदान में उतार कर अपने इरादे साफ कर दिए हैं।
कांग्रेस के वोट बैंक को छीनकर ही आम आदमी पार्टी दिल्ली में मजबूत हुई है और अब अगर कांग्रेस अपने उस छीने हुए वोट बैंक के छोटे से हिस्से को भी वापस लेने में कामयाब हो जाती है तो फिर केजरीवाल सहित आप के सभी उम्मीदवारों के लिए दिक्कतें खड़ी हो जाएगी। वर्ष 2020 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में 53.57 प्रतिशत मत के साथ आप को 62 सीटें मिली थी जबकि 38.51 प्रतिशत मत पाने के बाद भी भाजपा के खाते में सिर्फ 8 सीटें ही आ पाई थी। आप और भाजपा के बीच 15.06 प्रतिशत का अंतर था। अगर कांग्रेस इस बार के विधानसभा चुनाव में अपने मत प्रतिशत में 8-10 प्रतिशत का भी इजाफा कर पाती है तो फिर दिल्ली में त्रिशंकु विधानसभा बन सकती है यानी आम आदमी पार्टी को सत्ता से बाहर होना पड़ सकता है।
दिल्ली के चुनावी समीकरण से यह बिल्कुल साफ होता नजर आ रहा है कि आप और भाजपा के मुकाबले में सबसे कमजोर नजर आ रही कांग्रेस के आलाकमान यानी गांधी परिवार ने अगर पूरी ताकत के साथ दिल्ली में विधानसभा का चुनाव लड़ा तो फिर राहुल गांधी ही यह तय करेंगे कि दिल्ली में अगली सरकार किसकी बनेगी ? वास्तव में दिल्ली का यह चुनाव राहुल गांधी के लिए फैसला करने वाला चुनाव होगा कि वह वाकई अपनी पार्टी कांग्रेस को मजबूत करना चाहते हैं या फिर दिल्ली में इंडिया गठबंधन की एकता के नाम पर अपनी पार्टी को कुर्बान कर देते हैं।
-संतोष पाठक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।)
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