Dangers of Oversharing । बहुत ज़्यादा, बहुत जल्दी.... ओवरशेयरिंग के नुकसान कई, कैसे निपटें?
भरोसेमंद लोगों से मन का बोझ हल्का करना अच्छा है, लेकिन जरुरत से ज्यादा जानकारी साझा करना आपके या किसी के लिए भी अच्छा नहीं है। आप अपनी कही गई बातों को वापस नहीं ले सकते हैं, इसलिए समय के साथ आपको अधिक सावधान होने की जरुरत है कि आप किसके साथ और क्या शेयर कर रहे हैं।
कुछ लोग बहुत बातूनी होते हैं और अक्सर बातों-बातों में अपनी बहुत ही ज्यादा निजी जानकारी लोगों को बता देते हैं। आमतौर पर लोग ऐसी जानकारियां ये सोचकर साझा करते हैं कि ऐसा करने से उन्हें बेहतर महसूस होगा या दूसरों से जुड़ने में मदद मिलेगी। जिन लोगों पर आप भरोसा करते हैं उनसे अपने दिल की बात साझा करने से आपका मन शांत हो जाता है और आप हल्का महसूस होने लगता है, आपको ऐसा लगता है जैसे कोई भारी बोझ आपके दिल से उतर गया है। लेकिन फिर थोड़ी बाद में आप पछताना शुरू कर देते हैं, ये सोचकर कि आपने जो बताया वो किसी और को न बता दिया जाए या फिर वो लोग इसे आप ही के खिलाफ न इस्तेमाल करे। भरोसेमंद लोगों से मन का बोझ हल्का करना अच्छा है, लेकिन जरुरत से ज्यादा जानकारी साझा करना आपके या किसी के लिए भी अच्छा नहीं है। आप अपनी कही गई बातों को वापस नहीं ले सकते हैं, इसलिए समय के साथ आपको अधिक सावधान होने की जरुरत है कि आप किसके साथ और क्या शेयर कर रहे हैं।
थेरेपिस्ट लिंडा मेरेडिथ ने जरूरत से ज्यादा निजी जानकारी साझा करने वाले लोगों के लिए कुछ टिप्स साझा की हैं, जो उनके काम आएंगी। ये टिप्स उन्हें अपने आप पर काबू पाने में मदद करेगी और साथ ही ये भी सिखाएंगी कि किसके साथ क्या और कितना साझा करना चाहिए।
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रुको- लिंडा ने कहा कि जब आपको लगने लगे कि आप जरूरत से ज्यादा शेयर कर रहे हैं, तो खुद को रोकें। इसके बाद ये समझने की कोशिश करें आप जो शेयर करने जा रहे हैं वह निजी है? निजी है तो उसे साझा करना जरुरी है? जरुरी है तो जिस व्यक्ति से आप इसे साझा कर रहे हैं वो इसे कैसे लेगा? और अगर बताना जरुरी नहीं है तो फिर रहने दें।
सुरक्षित लोगों की पहचान करना जरुरी- लिंडा ने कहा कि सुरक्षित लोगों की पहचान करना सबसे ज्यादा जरुरी काम है, जिसमें आमतौर पर लोग मात खा जाते हैं। हम जो भी साझा करते हैं, बहुत से लोग उन चीजों को हमारे खिलाफ या अपने मनोरंजन के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसलिए उन लोगों की पहचान करें, जो समझदार हों और स्वस्थ तरीके से आपकी बातों को स्वीकार करें।
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सीमाएं तय करें- हर चीज की शुरुआत हमेशा खुद से होती है। अपने लिए सीमाएं तय करें ताकि आप अपनी निजी जानकारी हर किसी के साथ न साझा कर सकें। ऐसी सीमाएं तय करने से आपको कई फायदे मिलेंगे।
ट्रिगर्स पर काम करें- बहुत से लोग ट्रिगर होकर निजी जानकारी साझा कर देते हैं। भावनाओं में बहकर ऐसा करने से बचने के लिए अपने ट्रिगर्स की पहचान करें और फिर उनपर काम करें।
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