लोक लुभावन भी और राजनीतिक भी

Union Budget 2025
ANI

केन्द्रीय बजट में कृषि और महिलाओं पर भी फोकस किया गया है। पीएम धन-धान्य योजना का प्रस्ताव किया गया है। किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख किया गया। इससे किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए लाभ होगा।

बजट की तैयारियों के बीच सोशल मीडिया पर एक खबर जुगनू की तरह आई और तत्काल लुप्त हो गई थी। जिसने जुगनू के उस प्रकाश को देखा और उसके संकेतों को समझने की कोशिश की थी, उन्हें इस बात का आभास हो गया था कि आम बजट में क्या होने जा रहा है। सोशल मीडिया पर आए उस समाचार में कहा गया था कि केंद्र सरकार के प्रति मध्य वर्ग पहले की तरह उत्साही नहीं है। किंचित वह केंद्र सरकार के कामकाज और सरकार की ओर से हो रही बेरूखी से वह परेशान और निराश है। सोशल मीडिया पर मध्य वर्ग की ऐसी प्रतिक्रियाओं पर मोदी की नजर रहती है। इसे देखते हुए उन्होंने अपने मंत्रियों से कहा था कि वे लोगों से सीधा संवाद करें। सोशल मीडिया यही खबर थी। लेकिन इस खबर के संकेत साफ थे। आम बजट में मध्य वर्ग को राहत मिलने के आसार तभी दिखने लगे थे। निर्मला सीतारमण की ओर से बारह लाख 75 हजार रूपए तक की आय पर मिली आयकर छूट को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए।

दिल्ली में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और कुछ महीनों बाद देश की राजनीति की धड़कन माने जाने वाली मगध की धरती यानी बिहार में भी चुनाव होना है। निर्मला सीतारमण की ओर से मिली आयकर छूट से सरकारी कर्मचारियों की भी राजधानी मानी जाने वाली दिल्ली चुनाव पर असर पड़ना तय माना जा रहा है। शायद यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल मोदी सरकार के बजट से खुश नहीं हैं और कह रहे हैं कि इस बजट से आम लोगों को कोई राहत नहीं मिली है। इस बजट में बिहार को बहुत कुछ मिला है। निर्मला सीतारमण ने बजट प्रस्ताव में बिहार के किसानों के लिए मखाना बोर्ड का एलान किया है। इससे बिहार के मखाना किसानों को राहत मिलने के आसार है। इसके उत्पादन, प्रोसेसिंग, वैल्यू एडिशन और मार्केटिंग के अवसर बढ़ेंगे। जाहिर है कि इसका सीधा फायदा बिहार के ही लोगों को मिलेगा। बजट प्रस्तावों में मखाना निकालने के काम में लगे लोगों के लिए भी सरकारी राहत की बात की गई है। यानी मखाना उत्पादक, उसके वितरक और उसके कामगार, सबको राहत और मौका देने की बात की गई है। प्रस्तावित मखाना बोर्ड की एक और जिम्मेदारी होगी। वह किसानों को प्रशिक्षण और सहयोग भी देगा। साथ ही उन्हें सरकार की तरफ से मिलने वाले फायदों को भी सुनिश्चित करेगा।

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वैसे देखें तो मध्य वर्ग को केंद्र सरकार ने इन बजट प्रस्तावों के जरिए एक लाख करोड़ रुपए का उपहार दिया है। इसमें 12 लाख 75 हजार रुपए की आमदनी वाले लोगों को जहां टैक्स में 80 हजार रुपए का फायदा हुआ है। आयकर में छूट की मांग अरसे होती रही है। पिछले कई बजट में ऐसी छूट नहीं मिलती थी तो लोग इसे लेकर निराश होते रहते थे। बहरहाल 16 लाख रुपए की आमदनी वाले लोगों को टैक्स में 50 हजार रुपए का फायदा हुआ है तो 18 लाख रुपए की आमदनी वाले को टैक्स में 70 हजार रुपए का लाभ दिख रहा है। इसी तरह 20 लाख रुपए की आमदनी वाले को 90 हजार रुपए का फायदा होगा तो 25 लाख रुपए की आमदनी वाले को एक लाख दस हजार रुपए का नए टैक्स नियमों से फायदा  होगा। इसी तरह 50 लाख रुपए की आमदनी वाले को भी एक लाख दस हजार रुपए का फायदा हो रहा है। जाहिर है कि मध्य वर्ग  को इससे फायदा होता नजर आ रहा है। वायस ऑफ बैंकिंग के प्रमुख अश्विनी राणा के अनुसार, टैक्स बचने से लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा आयेगा। इससे लोगों की खरीद क्षमता बढ़ेगी। इससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने की संभावना है।

केन्द्रीय बजट में कृषि और महिलाओं पर भी फोकस किया गया है। पीएम धन-धान्य योजना का प्रस्ताव किया गया है। किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख किया गया। इससे किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए लाभ होगा। भारतीय पोस्ट यानी इंडियन पोस्ट के दफ्तरों के जरिए ग्रामीण क्षेत्र में सुविधाएं बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। इसका लाभ भी किसानों और ग्रामीण क्षेत्र के छोटे उद्योगों को लाभ मिलेगा। एमएसएमई को राष्ट्रीय मिशन के रूप में लिया जाएगा और नए वर्गीकरण तथा ऋण में भी बढ़ोतरी से लाभ होगा। एमएसएमई को भी क्रेडिट कार्ड देने की तैयारी है। इसके साथ ही बजट प्रस्तावों में राज्यों को शहरों में पूंजीगत योजनाओं में निवेश के लिए ऋण से जहां विकास होगा वहीं रोजगार भी मिलेगा। इसके साथ ही, सक्षम आंगनवाड़ी 2.0 के जरिए महिलाओं को सशक्त बनाया जाएगा। ऊर्जा और जल मिशन पर भी फोकस किया गया है। रोजगार पैदा करने के लिए पर्यटन केंद्रों और आध्यात्मिक स्थलों का विकास अच्छा प्रयास है। सरकार ने इसी तरह बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश को 75 से 100 प्रतिशत करने की तैयारी है। इससे बीमा क्षेत्र में विकास की उम्मीद है। अश्विनी राणा का कहना है कि इसके बावजूद सरकार को सचेत रहना होगा और बीमा कंपनियों को जनता को लूटने से बचाना होगा। सरकार को इसके लिए कड़ी निगरानी रखनी होगी। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के लिए नए कोड की घोषणा शीघ्र होगी। जीवन रक्षक दवाइयों पर आयात शुल्क समाप्त करने से रोगियों को बड़ी राहत मिलेगी। हर जिले में कैंसर के इलाज की सुविधा देना भी बड़ा फैसला है। इसके साथ ही मेडिकल पर्यटन को बढ़ावा देने की तैयारी है। आम आदमी का सपना है अपने सिर पर अपना छत होना। इस बजट के जरिए लोगों को घर खरीदने में राहत का भी ऐलान किया गया है। इससे लोगों के साथ ही रियल एस्टेट को भी फायदा होगा।  जिससे निर्माण क्षेत्र में रोजगार बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।

बिहार का पटना हवाई अड्डा इन दिनों बेहद व्यस्त है। लेकिन वह छोटा पड़ रहा है। इसके विकास और उसकी क्षमता बढ़ाने के लिए भी बजट प्रस्ताव किया गया है। इससे देश-विदेश में काम कर रहे बिहार के लोगों को सीधे फायदा होगा और उनकी अपनी माटी से कनेक्टिविटी बढ़ेगी।  इसके साथ ही, बिहार में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, और उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान की स्थापना का प्रस्ताव है। इस संस्थान के जरिए समूचे पूर्वी क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों को मजबूती देने की तैयारी है। इसके द्वारा किसानों के उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाने की तैयारी तो है ही, उनकी आय में बढ़ोत्तरी का भी प्रस्ताव है। निर्मला सीतारमण के अनुसार, इस संस्थान के जरिए युवाओं को हुनरमंद बनाने की तैयारी है। इसके साथ ही उन्हें उद्यमिता और रोजगार प्राप्त करने के अवसर पैदा करेगा। बिहार में नए ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट बनाएंगे। इसके जरिए पश्चिमी कोसी नहर परियोजना को भी आर्थिक सहायता मदद दी जा रही है। इसके जरिए उत्तरी बिहार के 50 हजार हेक्टेयर में सिंचाई की सहूलियत बढ़ेगी। इससे मिथिलांचल की कृषि  उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी।

यूं तो हर बजट सिर्फ आर्थिक नहीं, राजनीतिक भी होता है। लेकिन आयकर छूट और बिहार को मिलने वाली विशेष सहायता योजनाओं के संदर्भ में यह राजनीतिक बजट भी है। हालांकि इन पंक्तियों को लिखे जाने तक  किसी ने इस नजरिए से बजट पर सवाल नहीं उठाया है, लेकिन यह तय है कि इन प्रस्तावों से दिल्ली और बिहार के वोटरों को लुभाने की कोशिश की गई है।

कुल मिलाकर कह सकते हैं कि बजट के जरिए लोक को साधने के साथ ही आर्थिक स्थिति को भी बेहतर बनाने की कोशिश है। हालांकि लोगों को उम्मीद थी कि जीएसटी दरों में राहत मिलेगी, मध्य वर्ग को कर्ज मुक्ति मिलेगी। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। लेकिन कह सकते हैं कि यह बजट कुछ संदर्भों में लोकलुभावन है तो कुछ अर्थों में नहीं। इन अर्थों में यह राजनीतिक भी है और राजनीतिक हित साधने का साधन भी।

(इस लेख में लेखक के अपने विचार हैं।)
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