Vishwakhabram: North Korea के बाद Vietnam की यात्रा पर क्यों गये Putin? रूस-वियतनाम संबंधों का क्या है इतिहास?

Putin visit Vietnam
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हम आपको बता दें कि पुतिन की वियतनाम यात्रा की अमेरिका और उसके सहयोगियों ने आलोचना की है और कहा है कि यूक्रेन पर युद्ध थोपने वाले व्यक्ति को किसी भी प्रकार का मंच नहीं दिया जाना चाहिए। लेकिन इस सबसे बेपरवाह पुतिन अपना मिशन आगे बढ़ा रहे हैं।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन उत्तर कोरिया के अपने सफल दौरे के बाद जब वियतनाम की यात्रा पर पहुँचे तो अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के कान खड़े हो गये। दरअसल अमेरिका ने पूरी दुनिया में पुतिन को अछूत बनाने का प्रयास किया लेकिन पुतिन अपने विदेश दौरों के जरिये यह दर्शा रहे हैं कि वह हर जगह अब भी प्रभाव रखते हैं। भले उत्तर कोरिया पर पश्चिमी देशों की ओर से तमाम तरह के प्रतिबंध लगाये गये हैं लेकिन वियतनाम के साथ तो सबके अच्छे संबंध हैं इसलिए वहां पुतिन का स्वागत देख कर कई राष्ट्राध्यक्षों के होश उड़ गये। उत्तर कोरिया के साथ रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने के एक दिन बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन वियतनाम पहुँचे तो उनका वहां भी जोरदार स्वागत किया गया। एक सैन्य समारोह में रूसी राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी मिली। इसके बाद कम्युनिस्ट नेताओं ने गले लग कर रूसी राष्ट्रपति की भरपूर प्रशंसा की।

रूस-वियतनाम ने क्या समझौते किये?

हम आपको बता दें कि पुतिन की वियतनाम यात्रा की अमेरिका और उसके सहयोगियों ने आलोचना की है और कहा है कि यूक्रेन पर युद्ध थोपने वाले व्यक्ति को किसी भी प्रकार का मंच नहीं दिया जाना चाहिए। लेकिन इस सबसे बेपरवाह पुतिन अपना मिशन आगे बढ़ा रहे हैं। यूक्रेन युद्ध को लेकर पश्चिम द्वारा मास्को पर ताजा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद रूस और वियतनाम ने ऊर्जा सहित अन्य मुद्दों पर समझौते किये। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता के दौरान रूस और वियतनाम के राष्ट्रपतियों की उपस्थिति में तेल और गैस, परमाणु विज्ञान तथा शिक्षा आदि क्षेत्रों में 11 समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया गया।

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रूसी मीडिया ने पुतिन के हवाले से कहा, "हम वियतनाम के साथ व्यापक रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं, जो रूस की विदेश नीति की प्राथमिकताओं में बनी हुई है।" रूस की TASS समाचार एजेंसी ने राष्ट्रपति को यह कहते हुए उद्धृत किया कि दोनों देशों ने क्षेत्र में "एक विश्वसनीय सुरक्षा ढांचा विकसित करने" में रुचि दिखाई है। रिपोर्ट के अनुसार, अपनी यात्रा के समापन पर एक संवाददाता सम्मेलन में पुतिन ने नाटो सैन्य गठबंधन पर एशिया में रूस के लिए सुरक्षा खतरा पैदा करने का आरोप लगाया।

इसके अलावा, एक अन्य कार्यक्रम में, वियतनामी राष्ट्रपति टू लैम ने कहा कि पुतिन ने "सभी कठिनाइयों और चुनौतियों को पार करते हुए रूस का नेतृत्व करना जारी रखा, साथ ही क्षेत्र और दुनिया में शांति, स्थिरता और विकास में योगदान दिया।" उन्होंने वियतनाम और रूस के साझा कम्युनिस्ट इतिहास का भी जिक्र किया। हम आपको बता दें कि हजारों वियतनामी कैडरों ने (जिनमें पोलित ब्यूरो के वर्तमान सदस्य भी शामिल हैं) ने पूर्व सोवियत संघ में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

वियतनाम दौरे पर क्यों गये पुतिन?

जहां तक सवाल यह है कि पुतिन ने वियतनाम का दौरा क्यों किया तो इसके कई कारण हैं। दरअसल वियतनाम एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है। इसके अलावा वह एक कम्युनिस्ट देश है। वियतनाम परिधानों का प्रमुख निर्यातक है और उसकी अमेरिका तथा अन्य पश्चिमी देशों के साथ महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदारी है। इसके अलावा वियतनाम भारत का बढ़ता रक्षा साझेदार है। साथ ही वियतनाम चीन के साथ संबंधों को संतुलित करने, बीजिंग के साथ मजबूत आर्थिक संबंध बनाए रखने और एशियाई दिग्गजों से कथित सैन्य खतरों के खिलाफ पीछे हटने के दक्षिण पूर्व एशियाई प्रयासों का एक स्तंभ भी है।

वियतनाम की इन्हीं खासियतों के चलते पुतिन वहां पहुँचे। पुतिन को उम्मीद है कि उनकी वियतनाम यात्रा यह संकेत देगी कि यूक्रेन युद्ध के कारण रूस एशिया में अलग-थलग नहीं पड़ा है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि साल 2001 में रूस वियतनाम के साथ रणनीतिक साझेदारी पर हस्ताक्षर करने वाला पहला देश बना था। रूस वियतनाम का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता भी है। दोनों देशों के बीच संबंध सोवियत संघ से चले आ रहे हैं। इसके अलावा, फ्रांस और अमेरिका के खिलाफ प्रथम और द्वितीय युद्ध सहित प्रमुख ऐतिहासिक घटनाओं के दौरान सोवियत संघ का सैन्य समर्थन वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी के लिए महत्वपूर्ण रहा था। इसके अलावा, शीत युद्ध के दौरान पूर्व सोवियत संघ हजारों वियतनामी छात्रों की मेजबानी करता था, जिनमें कम्युनिस्ट पार्टी के वर्तमान प्रमुख गुयेन फु ट्रोंग भी शामिल थे। यही नहीं, हनोई की वास्तुकला में सोवियत स्पर्श भी है।

यूक्रेन युद्ध पर वियतनाम का रुख क्या है?

जहां तक यूक्रेन युद्ध पर वियतनाम के रुख की बात है तो आपको बता दें कि साल 2022 में युद्ध की शुरुआत के बाद से वियतनाम ने आधिकारिक तौर पर तटस्थ रुख अपनाया है। हम आपको बता दें कि वियतनाम और यूक्रेन, कभी सोवियत संघ का ही हिस्सा थे, इसलिए इनके बीच एक साझा इतिहास और कुछ हद तक सहानुभूति भी है। यूक्रेन भी वियतनाम को हथियारों की आपूर्ति करता था। कई वियतनामी लोग यूक्रेन में अध्ययन के लिए भी जाते थे। यही नहीं, वियतनाम ने युद्ध के दौरान अंतरराष्ट्रीय संगठनों के माध्यम से यूक्रेन को मानवीय सहायता भी प्रदान की है। फिर भी, वियतनाम पिछले सप्ताह यूक्रेन शांति शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुआ था और संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने पड़ोसी देश पर रूस के आक्रमण की निंदा करने वाले चार प्रस्तावों पर भी अनुपस्थित रहा था। इसके अलावा वियतनाम ने मास्को को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से हटाने के खिलाफ भी मतदान किया था।

दूसरी ओर, वियतनाम में पुतिन का गर्मजोशी से किया गया स्वागत दुनिया के लिए हैरान करने वाला था। दरअसल उत्तर कोरिया के संबंध तो पश्चिमी और कई एशियाई देशों से खराब हैं इसलिए वहां पुतिन का भव्य स्वागत हुआ तो अमेरिका और उसके सहयोगियों को कोई आश्चर्य नहीं हुआ लेकिन जब अमेरिका का करीबी देश वियतनाम भी रूस के राष्ट्रपति की जय जयकार करने पर उतर आया तो पश्चिमी देशों का चौंकना स्वाभाविक था। हम आपको याद दिला दें कि पिछले साल भारत यात्रा के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन वियतनाम की यात्रा पर गये थे। वियतनाम का वैश्विक अर्थव्यवस्था और सामरिक दृष्टि से काफी महत्व है इसलिए अमेरिका कभी नहीं चाहेगा कि वह रूस के साथ खड़ा हो जाये।

अमेरिका क्यों हैरान है?

अमेरिका को यह बात भी चुभी है कि पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के स्वागत के लिए जिस स्तर का समारोह आयोजित किया गया था उसी स्तर का स्वागत समारोह पुतिन के लिए भी आयोजित किया गया। यही नहीं पुतिन को वियतनामी राष्ट्रपति टू लैम और प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह दोनों ने गले लगाया था। हम आपको बता दें कि वियतनाम अमेरिका का महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है। दोनों देशों ने पिछले वर्ष अपने राजनयिक संबंधों को उन्नत किया था। पुतिन की हनोई यात्रा से विचलित अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि एक शीर्ष अमेरिकी राजनयिक इस सप्ताह वियतनाम का दौरा करेंगे और स्वतंत्र और मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने के लिए अमेरिकी प्रतिबद्धता पर जोर देंगे। बयान में कहा गया है कि सहायक विदेश मंत्री डेनियल क्रिटेनब्रिंक अपनी यात्रा के दौरान "एक मजबूत, स्वतंत्र, लचीले और समृद्ध वियतनाम के लिए अमेरिका के समर्थन की भी पुष्टि करेंगे।" यही नहीं, अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा है कि अमेरिका के साथ साझेदारी के लिए वियतनाम को रूस या चीन के साथ संबंध तोड़ने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा, वियतनाम में यूरोपीय संघ के एक प्रतिनिधिमंडल के प्रवक्ता ने कहा कि हनोई को अपनी विदेश नीति विकसित करने का अधिकार है, लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि यूक्रेन में रूस के युद्ध ने साबित कर दिया है कि मॉस्को अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान नहीं करता है। 

बहरहाल, वियतनाम की विदेश नीति को विशेषज्ञ बैम्बू पॉलिसी कहते हैं। जैसे बांस जरूरत पड़ने पर इधर उधर झुक जाता है मगर उखड़ता नहीं वैसे ही वियतनाम की विदेश नीति जरूरत पड़ने पर लचीला रुख अपनाती है। आपको याद दिला दें कि पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति के अलावा चीन के राष्ट्रपति ने भी वियतनाम का दौरा किया था और अब रूसी राष्ट्रपति वहां पहुँचे हैं। देखना होगा कि वियतनाम की विदेश नीति आगे क्या रुख लेती है?

-नीरज कुमार दुबे

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