Prabhasakshi Exclusive: Russia-North Korea के बीच अहम समझौतों से NATO की चिंता बढ़ी, दोस्त Putin की हरकत देखकर China भी हैरान
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि 2000 के बाद प्योंगयांग की अपनी पहली यात्रा पर, पुतिन ने रूसी नीति के समर्थन के लिए किम को धन्यवाद दिया और किम ने यूक्रेन के साथ पुतिन के युद्ध सहित "रूस की सभी नीतियों" के लिए "बिना शर्त" और अटूट समर्थन की पुष्टि की।
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में हमने इस सप्ताह ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का उत्तर कोरिया में जबरदस्त स्वागत किया गया जिससे नाटो चिंतित हो गया है। इसके अलावा बताया जा रहा है कि रूस और उत्तर कोरिया के संबंधों में गर्माहट से चीन खुश नहीं है। इन विषयों को कैसे देखते हैं आप? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की उत्तर कोरिया यात्रा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 24 वर्षों में पुतिन वहां पहली बार पहुँचे हैं। दोनों नेताओं के बीच जो अहम समझौता हुआ है उसके तहत दोनों देश इस बात पर सहमत हुए हैं कि यदि दोनों में से किसी पर भी सशस्त्र आक्रमण होता है तो वह एक दूसरे को तत्काल सैन्य सहायता प्रदान करेंगे। इस समझौते को शीत युद्ध के सहयोगियों द्वारा अपनाई गई 1961 की संधि के रूप में देखा जा रहा है जिसे 1990 में रद्द कर दिया गया था जब सोवियत संघ ने दक्षिण कोरिया के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन द्वारा हस्ताक्षरित "व्यापक रणनीतिक साझेदारी" का समझौता मॉस्को द्वारा हाल के वर्षों में एशिया में लिये गये सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में से एक है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि समझौते में यह भी कहा गया है कि कोई भी पक्ष किसी तीसरे देश के साथ किसी भी संधि पर हस्ताक्षर नहीं करेगा जो दूसरे के हितों का उल्लंघन करता हो। समझौता यह भी कहता है कि किसी भी देश को दूसरे की सुरक्षा और संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने के लिए अपने क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जायेगी। इसमें कहा गया है कि दोनों देश "युद्ध को रोकने और क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने" के उद्देश्य से संयुक्त कार्रवाई करेंगे।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि बढ़ते अंतरराष्ट्रीय अलगाव का सामना कर रहे दोनों देशों के नेताओं की प्रतिज्ञा अमेरिका और उसके एशियाई सहयोगियों के बीच बढ़ती चिंता के बीच आई है कि रूस उत्तर कोरिया का कितना समर्थन करेगा, जो इस सदी में परमाणु हथियार का परीक्षण करने वाला एकमात्र देश है। उन्होंने कहा कि इस समझौते के बारे में जापान ने "गंभीर चिंता" व्यक्त की है वहीं उत्तर कोरिया के मुख्य राजनीतिक और आर्थिक हितैषी चीन की प्रतिक्रिया मौन रही है। उन्होंने कहा कि रूस और उत्तर कोरिया के बीच गहराते सैन्य सहयोग से वाशिंगटन और सियोल तेजी से चिंतित हो गए हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने रूस और उत्तर कोरिया पर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उपयोग के लिए हथियारों का व्यापार करके अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यूक्रेनी अधिकारियों ने कहा भी है कि उन्हें अपने देश के अंदर उत्तर कोरियाई मिसाइल का मलबा मिला है। हालांकि रूस और उत्तर कोरिया किसी भी हथियार व्यापार से इंकार करते हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि 2000 के बाद प्योंगयांग की अपनी पहली यात्रा पर, पुतिन ने रूसी नीति के समर्थन के लिए किम को धन्यवाद दिया और किम ने यूक्रेन के साथ पुतिन के युद्ध सहित "रूस की सभी नीतियों" के लिए "बिना शर्त" और अटूट समर्थन की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच हुए समझौते में परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष अन्वेषण, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर सहयोग भी शामिल था। उन्होंने कहा कि जिस तरह रूसी राष्ट्रपति का उत्तर कोरिया में स्वागत हुआ वह देखने लायक था। उन्होंने कहा कि पुतिन ने उत्तर कोरिया में किम को अपने साथ बैठा कर कार ड्राइव कर दुनिया को बड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि उत्साही भीड़ और भव्य समारोहों के जरिये प्योंगयांग में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का स्वागत लंबे समय तक याद किया जायेगा। उन्होंने कहा कि रूसी मीडिया द्वारा प्रसारित वीडियो में दिखाया गया है कि घुड़सवार सैनिकों सहित सलामी गार्ड और नागरिकों की बड़ी भीड़ राजधानी से होकर बहने वाली ताएदोंग नदी के किनारे किम इल सुंग चौराहे पर एकत्र हुई। इस दृश्य में गुब्बारे पकड़े हुए बच्चे और राष्ट्रीय ध्वज के साथ दोनों नेताओं के विशाल चित्र शामिल थे। यहां से किम और पुतिन शिखर वार्ता के लिए कुमसुसान पैलेस पहुंचे। यहां दोनों नेताओं के बीच दो घंटे तक सीधी बातचीत हुई। उन्होंने कहा कि सरकारी मीडिया की तस्वीरों में प्योंगयांग की सड़कें पुतिन की तस्वीरों से सजी दिखाई दे रही थीं और 101 मंजिला पिरामिड के आकार के रयुगयोंग होटल का बाहरी हिस्सा एक विशाल संदेश "वेलकम पुतिन" के साथ चमक रहा था। उन्होंने कहा कि हालांकि संभवतः समय की कमी को देखते हुए, पुतिन का स्वागत चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की 2019 की उत्तर कोरिया यात्रा के दौरान किये गये स्वागत समारोह से छोटा था।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगियों का कहना है कि उन्हें डर है कि रूस उत्तर कोरिया के मिसाइल और परमाणु कार्यक्रमों के लिए सहायता प्रदान कर सकता है, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों द्वारा प्रतिबंधित हैं। अमेरिका और उसके सहयोगियों ने साथ ही प्योंगयांग पर बैलिस्टिक मिसाइलें और तोपखाने के गोले उपलब्ध कराने का आरोप लगाया है जिनका उपयोग रूस ने यूक्रेन में अपने युद्ध में किया है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक नाटो की बात है तो यह स्पष्ट है कि वह इस बात को लेकर चिंतित है कि रूस उत्तर कोरिया के मिसाइल और परमाणु कार्यक्रमों को समर्थन दे सकता है। नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ बातचीत के बाद एक संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा कि यूक्रेन में रूस के युद्ध को चीन, उत्तर कोरिया और ईरान द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा था। उन्होंने कहा कि यह सभी नाटो गठबंधन को विफल होते देखना चाहते थे। उन्होंने कहा कि स्टोलटेनबर्ग के साथ ब्रीफिंग में मौजूद ब्लिंकन ने कहा कि पुतिन की प्योंगयांग यात्रा उन देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने की उनकी "हताशा" का संकेत है जो यूक्रेन में उनके युद्ध का समर्थन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि चीन के समर्थन ने रूस को अपने रक्षा औद्योगिक आधार को बनाए रखने में सक्षम बनाया है, जो मॉस्को के 70% मशीन टूल आयात और 90% माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स की आपूर्ति करता है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चीन ने इस मुद्दे पर सधी हुई प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि शिखर सम्मेलन रूस और उत्तर कोरिया के बीच द्विपक्षीय आदान-प्रदान था। उन्होंने कहा कि जब से उत्तर कोरिया ने पिछले साल अपने महामारी-रोधी सीमा नियंत्रण में ढील दी है, चीन के साथ उसका व्यापार फिर से शुरू हो गया है, लेकिन किम अब रूस की ओर झुकते दिख रहे हैं जिससे बीजिंग सतर्क हो गया है। उन्होंने कहा कि किम ने पिछले साल पुतिन से मिलने के लिए महामारी के बाद रूस की अपनी पहली और अब तक की एकमात्र यात्रा की थी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा सीमाएं फिर से खुलने के बाद से पुतिन राजनीतिक और आर्थिक रूप से अलग-थलग उत्तर कोरिया का दौरा करने वाले पहले विश्व नेता हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चीन उत्तर कोरिया का पूरा साथ दे रहा है ताकि पुराना दोस्त छिटक नहीं जाये इसलिए बीजिंग सुरक्षा परिषद में उत्तर कोरिया पर नए प्रतिबंधों को रोकने में रूस के साथ शामिल हो गया है। उन्होंने कहा कि चीन अब तक उत्तर कोरिया का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और दोनों के बीच 1960 के दशक की एक पारस्परिक रक्षा संधि है। उन्होंने कहा, "जब तक ऐसी कोई स्पष्ट नीति नहीं आती जो चीन की स्थिति को चुनौती देती हो, तब तक चीन बाहर से सबकुछ देखता रहेगा। उन्होंने कहा कि रूस और उत्तर कोरिया के बीच घनिष्ठ संबंध चूंकि अमेरिका को विचलित करते हैं, इसलिए चीन इस बात से खुश भी है कि अमेरिका की परेशानी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि पुतिन की उत्तर कोरिया की यात्रा ऐसे समय में हुई है जब बुधवार को चीन के विदेश और रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की दक्षिण कोरिया यात्रा हुई।
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