Interview: कद को कमतर आंकने की भूल कोई नहीं कर सकता: अंबेडकर

Prakash Yashwant Ambedkar
ANI
डॉ. रमेश ठाकुर । Dec 30 2024 12:32PM

गृहमंत्री देश से माफी मांगे और तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दें, विरोध अपने आप शांत हो जाएगा। बाबा साहेब का ताल्लुक सिर्फ हमारे परिवार तक सीमित नहीं है, वह पूरे देश के जन नेता हुआ करते थे। उनकी सोच हमेशा जिंदा रहेगी। उनके योगदान को भला कोई कैसे कमतर आंक सकता है।

शायद अमित शाह ने भी नहीं सोचा होगा कि उनके बयान पर इतना सियासी तूफान मच जाएगा। देशभर की तकरीबन सियासी पार्टियां केंद्रीय मंत्री के पीछे हाथ धोकर पड़ गई हैं। मांफी से शुरू हुई मांग, जो अब इस्तीफे तक पहुंच गई है। दरअसल, ये मुद्दा बीच में हल्का पड़ गया था। पर, जबसे प्रकाश अंबेडकर की ओर से विरोध जताया गया, तो विरोध और उग्र हो गया। पूर्व सांसद प्रकाश यशवंत अंबेडकर डॉ. भीमराव अंबेडकर के पाते हैं और ‘वंचित बहुजन अघाड़ी’ पार्टी के अध्यक्ष भी हैं। वह अमित शाह पर आक्रामक हैं, क्या है उनकी मांग और कैसे होगा ये विरोध शांत, आदि सवालों को लेकर पत्रकार डॉ. रमेश ठाकुर ने उनसे बातचीत की। पेश है दोनों के बीच हुई बातचीत के प्रमुख हिस्से।

प्रश्नः इस उग्र विरोध का अंत कैसे होगा?

उत्तरः गृहमंत्री देश से माफी मांगे और तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दें, विरोध अपने आप शांत हो जाएगा। बाबा साहेब का ताल्लुक सिर्फ हमारे परिवार तक सीमित नहीं है, वह पूरे देश के जन नेता हुआ करते थे। उनकी सोच हमेशा जिंदा रहेगी। उनके योगदान को भला कोई कैसे कमतर आंक सकता है। कोई सामान्य व्यक्ति कुछ कहता, तो चलो उसे नादान समझकर भुला भी दिया जाता। पर, देश का गृहमंत्री अगर बाबा के व्यक्तित्व पर ऐसी ओछी टिप्पणी करे, तो कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा। पूरे देश में हो रहे विरोध-प्रदर्शन को अमित शाह भी बंद कमरे बैठकर टीवी के जरिए जरूर देख रहे होंगे? शायद अब उनको अच्छे से एहसास हुआ होगा कि बाबा साहेब आमजनों के लिए क्या हैं।

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प्रश्नः आपने प्रधानमंत्री से भी कुछ अपील की है?

उत्तरः अपील नहीं, सह सम्मान पूर्वक गुजारिश की है। मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री को आगे आना चाहिए, उन्हें गृह मंत्री से इस्तीफा देने को कहना चाहिए। न माने तो उन्हें बर्खास्त करें। इससे उनका सम्मान देशवासियों में और बढ़ेगा। देखिए, जो प्रकरण हुआ है उससे बाबा साहब अंबेडकर के सम्मान और हमारे परिवार पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला? पर इतना जरूर है, गृहमंत्री द्वारा किए अपमान से उनकी पार्टी की बाबा के प्रति सोच क्या है उसका खुलासा जरूर हो गया है। मेरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजारिश है कि अपने गृहमंत्री का इस्तीफा लें, वरना ये आंदोलन यूं ही चलता रहेगा। आंदोलन से जितनी भी परेशानियां जनता को होगी, उसके जिम्मेदार भी गृहमंत्री ही होंगे। इसलिए प्रधानमंत्री को बड़ा दिल दिखाना चाहिए।

प्रश्नः प्रमुख सियासी दलों के अलावा विभिन्न सामाजिक संगठन भी इस मूवमेंट में कूद पड़े हैं, क्या उनमें शामिल होने के लिए आपको किसी ने बुलाया?

  

उत्तरः हां, लगातार लोग मुझसे संपर्क कर रहे हैं। दरअसल, ये मुद्दा राजनीतिक नहीं है, देश के कोहिनूर के सम्मान की रक्षा करना है। जब हम संविधान निर्माता का सम्मान नहीं कर सकते, तो दूसरों की कल्पना भी नहीं कर सकते। बाबा साहेब का अपमान देश का कोई भी व्यक्ति नहीं सहेगा। जिन जिन दलों और संगठनों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का विरोध किया है और कर रहे हैं, मैं उन सभी को धन्यवाद देना चाहूंगा। देखिए, राजनीति हठधर्मिता और तानाशाही से नहीं चलती, बल्कि जनमानस के मिजाज से की जाती है। क्या अमित शाह खुद को देश से ऊपर समझने लगे हैं। बाबा साहेब का तो उन्हें सम्मान करना आता नहीं, कम से कम देशवासियों की भी उन्हें परवाह करनी चाहिए। कड़ाके की ठंड में लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शनरत हैं, जिसका उन्हें जरा भी ख्याल नहीं?

प्रश्नः अपने बयान पर अमित शाह ने खेद जताया तो है। यहां तक बोला है कि वह बाबा अंबेडकर का अपमान सपनों में भी नहीं कर सकते?

उत्तरः वह अब लाख सफाई दें, उनका दोहरा चेहरा देशवासियों के सामने आ चुका है। क्यों इस्तीफा देकर माफ़ी नहीं मांगते? अपनी भूल और गलतियों पर पश्चाताप के लिए नेता जब गुरूदारों में पहरेदारी कर सकते हैं, तो ये क्यों नहीं? भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अपने को भगवान से उपर समझने लगा है, इसलिए कोई आंदोलन करे या धरना-प्रदर्शन, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ने वाला? 13 महीने जब किसान दिल्ली में आंदोलित रहे, तब भी इनका कलेजा नहीं पसीजा? सैकड़ों किसान मर गए? तब भी उनका दिल नहीं दुखा? मुझे लगता है इतनी कठोरता अच्छी नहीं? क्या नेताओं के लिए सत्ता ही सर्वोपरि हो गई है। जनमानस की मांग और उनकी आकांक्षाएं कुछ भी मायने नहीं रखती?

  

प्रश्नः क्या आपको लगता है, अमित शाह माफी मांगेंगे या इस्तीफा देंगे?

उत्तरः देखिए, जनता के दरवार में अच्छे-अच्छों को झुकना पड़ता है। यहां कोई पुष्पा नहीं बन सकता। अगर खुद से नहीं, तो उसे जनता अपने जनमत से झुका देती है। वैसे, हमारे पास जो सूचनाएं हैं, उनके मुताबिक सरकार के लोग जारी आंदोलन को खत्म करवाने के लिए षड्यंत्र रच रहे हैं। वो इसे भी राजनीतिक आंदोलन बताकर, सियासी रोटियां सेंकना बताने वाली है। मूवमेंट को लेकर उनका कोई भी जिम्मेदार नेता सामने नहीं आ रहा। सभी घरों में कुंडली मारे बैठे हैं। इससे जनता और क्रोधित हो रही है।

- बातचीत में जैसा पूर्व सांसद प्रकाश यशवंत अंबेडकर ने डॉ. रमेश ठाकुर से कहा

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