1991 में दिवालिया होने का खतरा मंडराया, 1998 के पोखरण के बाद सबने प्रतिबंध लगाया, हर मुश्किलों को किया पार, ट्रंप का टैरिफ आपदा नहीं अवसर लाया इस बार

Trump
The White House
अभिनय आकाश । Apr 3 2025 3:22PM

टैरिफ ऐलान को अतिउत्साहित ट्रंप ने 2 अप्रैल को अमेरिका लिबरेशन डे की संज्ञा दे दी। उन्होंने ये भी कहा कि मैं तो इसे 1 अप्रैल को ही लागू करना चाहता था। लेकिन लोग इसे अप्रैल फूल समझ लेते। इसलिए मैंने 2 अप्रैल को चुना। अमेरिका के इस कथित लिबरेशन से भूचाल आने की शुरुआत हो गई है।

आपने व्हाइट हाउस को तस्वीरों में देखा होगा। इसके दोनों ओर बगीचे हैं। पूर्व में जैकलीन गार्डन है और पश्चिम में व्हाइट हाउस रोज गार्डन जो ओवल ऑफिस और वेस्ट विंग से लगता है। अमेरिकी राष्ट्रपति जब किसी मेहमान के स्वागत में रिसेप्शन रखते हैं या फिर कोई बहुत बड़ा ऐलान करते हैं तो मंच इसी रोज गॉर्डन में लगता है। हर राष्ट्रपति के कार्यकाल में रोज गार्डन में इवेंट का महत्व होता है। इस बार रोज गार्डन में ट्रंप प्रेसिडेंसी का पहला इवेंट वो हुआ जब ट्रंप अपनी पूरी कैबिनेट के साथ इसमें नबूदार हुए और दुनियाभर की प्रेस के सामने बताया कि वो किस देश के किस सेक्टर पर कितना टैरिफ ठोंकने वाले हैं। वैसे तो अमेरिका 4 जुलाई 1776 को आजाद हुआ था। लेकिन टैरिफ ऐलान को अतिउत्साहित ट्रंप ने 2 अप्रैल को अमेरिका लिबरेशन डे की संज्ञा दे दी। उन्होंने ये भी कहा कि मैं तो इसे 1 अप्रैल को ही लागू करना चाहता था। लेकिन लोग इसे अप्रैल फूल समझ लेते। इसलिए मैंने 2 अप्रैल को चुना। अमेरिका के इस कथित लिबरेशन से भूचाल आने की शुरुआत हो गई है। 

इसे भी पढ़ें: 'भारत को चीन से वापस लेनी चाहिए अपनी जमीन', लोकसभा में गरजे राहुल गांधी, ट्रंप के टैरिफ का मुद्दा भी उठाया

ट्रम्प ने भारत के लिए क्या टैरिफ की घोषणा की है?

डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 25 प्रतिशत पारस्परिक टैरिफ की घोषणा की, जो कई एशियाई समकक्षों की तुलना में कम है। यह एक ऐसा कदम है जो संभवतः भारतीय निर्यात के पक्ष में हो सकता है। व्हाइट हाउस के रोज़ गार्डन से अपने भाषण के दौरान, अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत के साथ संबंधों के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की गई अपनी टिप्पणी को याद किया, जब दोनों नेता फरवरी में वाशिंगटन में मिले थे। भारत, बहुत, बहुत सख्त। बहुत, बहुत सख्त। प्रधानमंत्री अभी-अभी गए हैं। वे मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं, लेकिन मैंने कहा कि आप मेरे दोस्त हैं, लेकिन आप हमारे साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि भारत हमसे 52 प्रतिशत शुल्क लेता है, इसलिए हम उनसे इसका आधा शुल्क लेंगे - 26 प्रतिशत। उन्होंने उन देशों पर पारस्परिक शुल्क लगाने की घोषणा की जो अमेरिकी वस्तुओं पर शुल्क लगाते हैं।

भारत के मुकाबले अन्य देशों से कितना टैरिफ 

भारत पर टैरिफ कई एशियाई समकक्षों की तुलना में कम थे। ट्रम्प ने चीन पर 34 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जो अमेरिका का प्रमुख व्यापारिक साझेदार है। भारत के टैरिफ थाईलैंड और इंडोनेशिया पर लगाए गए टैरिफ से कम थे, जो क्रमशः 36 प्रतिशत और 32 प्रतिशत थे। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इन देशों को चीन से बड़ा निवेश मिलता है और वे चीनी आपूर्ति श्रृंखला के साथ तेजी से जुड़ रहे हैं। ताइवान, जो एक चिप निर्माण केंद्र है, पर अमेरिका ने 32 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा की। कंबोडिया को सबसे अधिक 49 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है। भारत पर लगाए गए शुल्क जापान (24 प्रतिशत), दक्षिण कोरिया (25 प्रतिशत) और मलेशिया (24 प्रतिशत) की तुलना में अधिक थे। अमेरिका ने बांग्लादेश पर 37 प्रतिशत, श्रीलंका पर 44 प्रतिशत और पाकिस्तान पर 29 प्रतिशत शुल्क लगाया है। रेसिप्रोकल टैरिफ 9 अप्रैल से प्रभावी होंगे। ट्रम्प ने कहा कि वह अन्य देशों द्वारा लगाए जा रहे टैरिफ का केवल आधा ही टैरिफ लगा रहे हैं। 

इसे भी पढ़ें: क्या शुरू हो गई सबसे बड़ी ट्रेड वॉर? ट्रंप की टैरिफ घोषणा पर भड़के वर्ल्ड लीडर, कुछ इस अंदाज में दिया रिएक्शन

टैरिफ का भारत पर क्या असर हो सकता है? 

भारत पर टैरिफ के सटीक प्रभाव का विश्लेषण अधिक विवरण सामने आने पर किया जाएगा। हालांकि, भारत के शीर्ष निर्यात निकाय, फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) ने कहा कि भारत पर लगाया गया 27 प्रतिशत अमेरिकी शुल्क निःसंदेह घरेलू निर्यातकों के लिए चुनौती है, लेकिन भारत की स्थिति अपने प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में तुलनात्मक रूप से बेहतर है। भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के अध्यक्ष एस. सी. रल्हन ने कहा कि शुल्क के बावजूद भारत में परिधान, रत्न एवं आभूषण, चमड़ा, इलेक्ट्रॉनिक, रसायन, प्लास्टिक तथा फर्नीचर सहित कुछ क्षेत्रों में निर्यात में बदलाव हो सकता है, जिससे कुछ प्रतिकूल प्रभावों की भरपाई हो सकती है। हम निचले बैंड में हैं। हम वियतनाम, चीन, इंडोनेशिया, म्यांमार आदि जैसे अपने प्रमुख प्रतिस्पर्धियों की तुलना में बहुत बेहतर स्थिति में हैं। हम निश्चित रूप से टैरिफ से प्रभावित होंगे, लेकिन हम कई अन्य की तुलना में बहुत बेहतर स्थिति में हैं। 

क्या अमेरिका के साथ व्यापार समझौता भारत के लिए मददगार हो सकता है?

ट्रंप ने अपने लिबरेशन डे भाषण में संकेत दिया कि वह बातचीत के लिए तैयार हैं। यह भारत के लिए अच्छी खबर है, जो वर्तमान में अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है, जिसके माध्यम से दोनों देश शुल्क कम करने पर सहमत हुए हैं। ताजा टैरिफ की घोषणा से एक दिन पहले, भारत ने कथित तौर पर द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के लिए संदर्भ की शर्तों पर सहमति व्यक्त की। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने हस्तक्षेप किया है और सौदे को अंतिम रूप देने के लिए उत्सुक है।

भारत में ट्रंप टैरिफ की हुई समीक्षा, निकला ये बड़ा फैसला

तीन बजे रात से ही वाणिज्य विभाग के अधिकारी इस नए टैरिफ की समीक्षा कर रहे हैं। इसके लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है। सूत्र बताते हैं कि अभी समीक्षा की जा रही है कि दूसरे देशों पर जो टैक्स लगाया गया है, उन देशों से भारत वाले प्रोडक्ट एक्सपोर्ट होते हैं वहां कहां फायदा उठाया जा सकता है। इसकी समीक्षा की जा रही भारत सरकार के उद्योग मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि आने वाले दिनों में कई सारी रियायतें मिलेंगी। इस पूरे ऑर्डर को पढ़ें तो सेक्शन 4 के जिसे मोडिफिकेशन अथॉरिटी का नाम दिया गया है। उसके सेक्शन सी में लिखा गया है कि अगर अमेरिका की चिंताओं को कोई देश दूर कर लेता है। बातचीत करता है और हम इससे संतुष्ट होते हैं तो हम आगे चलकर ड्यूटी घटा भी सकते हैं। चूंकि भारत पहले से बाईलैट्रल ट्रेड एग्रीमेंट (बीटीए) के तहत बातचीत कर चुका है। वो बातचीत उसी सेक्शन के तहत आता है। आने वाले वक्त में बड़ी राहत भारत को मिल सकती है। 

इसे भी पढ़ें: Trump की दोस्ती से तो दुश्मनी भली, टैरिफ का बनाया कैसा रूल? भारत, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया जैसे सहयोगियों पर सख्ती, रूस-उत्तर कोरिया जैसे देशों को फूल

भारत के लिए कैसे है बड़ा अवसर

ट्रंप ने भारत समेत 180 देशों के सामने टैरिफ की तलवार जरूर लटका दी है। लेकिन इतिहास में ऐसे कई अवसर रहे हैं जब भारत के सामने चुनौतियां बड़ी हो तो उसने कुछ ठोस सुधार के जरिए नई इबारते गढ़ी हैं। पहली दफा 1991 के दौर जिसे अक्सर दिवालिया हो जाना कहा जाता है। उस वक्त अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश का दरवाजा खटखटाने की नौबत आई थी। दूसरी दफा 1998 में पोकरण-2 के बाद के हालात। अमेरिका समेत तमाम देशों ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। जिसके बाद पीएसयू' का बड़े पैमाने पर निजीकरण हुआ, जिनमें मुनाफा कमा रहे 'पीएसयू' भी शामिल थे। पोकरण के कारण लगे प्रतिबंधों के बाद एफडीआई से लेकर आयातों तक में कई तरह के सुधार हुए, भारतीय व्यवसाय को विदेश में निवेश की अनुमति मिली, और आम नागरिकों को 'लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम' (एलआरएस) के तहत हर वित्त वर्ष में विदेश में 2.5 लाख डॉलर तक खर्च या निवेश करने की छूट मिली, और शुल्कों (टैरिफ) में कटौती की गई। तीसरा मौका अब आया है जब टैरिफ को परमाणु बम की तरह ट्रंप इस्तेमाल करने पर आमदा है। भारत को ऐसी ही धमकी की दरकार थी। अक्सर यह कहा जाता है कि हम सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था हैं, कि हम पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और जल्द ही तीसरे नंबर पर आने वाले हैं, कि हम जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ रहे हैं। 

For detailed delhi political news in hindi   

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़