श्रमिकों को निकालने के लिए मलबे में पाइप डालने की प्रक्रिया शुरू, एक श्रमिक की बेटे से बातचीत हुयी

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उन्होंने हमसे चिंता न करने को कहते हुए कहा कि कंपनी उनके साथ है। रविवार सुबह सुरंग के एक हिस्से के ढहने से उसमें फंस गए श्रमिकों की जानकारी मिलने के बाद आकाश अपने पिता की खोजखबर लेने अपने चाचा महाराज सिंह नेगी तथा तीन अन्य लोगों के साथ कोटद्वार से मौके पर पहुंचे हैं। इस बीच, फंसे श्रमिकों की सलामती के लिए एक स्थानीय पुजारी राम नारायण अवस्थी ने पूजा भी संपन्न कराई। उन्होंने बताया, मुझे कंपनी के लोगों ने पूजा संपन्न कराने को कहा जिससे भगवान कृपा करें और सभी श्रमिक सुरक्षित बाहर निकल आएं। मैंने इसलिए पूजा संपन्न कराई।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सिलक्यारा—डंडालगांव सुरंग के एक हिस्से के ढहने से पिछले दो दिनों से उसके अंदर फंसे 40 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए बचावकर्मियों ने मंगलवार को मलबे में बड़े व्यास के एमएस (माइल्ड स्टील) पाइप डालने की प्रक्रिया शुरू कर दी। अधिकारियों ने यहां बताया कि सिलक्यारा सुरंग के धंसाव वाले हिस्से में क्षैतिज ड्रिलिंग कर उसमें पाइप डाले जाएंगे ताकि उसके जरिए अंदर फंसे श्रमिक बाहर आ सकें। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर रविवार की सुबह निर्माणाधीन सुरंग का सिलक्यारा की ओर से मुहाने से 270 मीटर अंदर करीब 30 मीटर का हिस्सा भूस्खलन से ढह गया था और तब से 40 श्रमिक उसके अंदर फंसे हुए हैं। उन्हें निकालने के लिए युद्वस्तर पर बचाव एवं राहत अभियान चलाया जा रहा है।

इस बीच अंदर फंसे श्रमिकों में से एक गब्बर सिंह नेगी से उसके बेटे आकाश ने पाइप के जरिए बातचीत की जिससे उसके साथ ही अन्य श्रमिकों के परिजनों को भी राहत मिली। अधिकारियों ने बताया कि 900 मिमी व्यास के पाइप और सुरंग के अंदर क्षैतिज ड्रिलिंग कर उन्हें मलबे में डालने के लिए आगर मशीन तड़के ही मौके पर पहुंचा दी गई है। उन्होंने बताया कि फिलहाल आगर ड्रिलिंग मशीन के लिए प्लेटफार्म बनाया जा रहा है ओर मौके पर जरूरी साजो सामान के साथ विशेषज्ञ तथा इंजीनियर भी पहुंच चुके हैं। सुरंग में फंसे सभी श्रमिक सुरक्षित बताए जा रहे हैं जिन्हें लगातार ऑक्सीजन, पानी, सूखे मेवे सहित अन्य खाद्य सामग्री, बिजली आदि पहुंचाई जा रही है।

राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के अधिशासी निदेशक कर्नल (सेवानिवृत्त) संदीप सुदेहरा ने बताया कि बचावकर्मियों ने सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों से पाइप के द्वारा संपर्क स्थापित किया और उन्हें भरोसा दिलाया कि विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए दिन—रात काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि इससे श्रमिकों का मनोबल ऊंचा हुआ है। आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने उम्मीद जताई कि मंगलवार रात या बुधवार तक सभी श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाल लिया जाएगा। उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी आर सी एस पवार ने कहा कि सुरंग के पास छह बिस्तरों का अस्थाई चिकित्सालय तैयार कर लिया गया है।

उन्होंने बताया कि इसके अलावा मौके पर 10 एंबुलेंस के साथ मेडिकल टीमें भी तैनात कर दी गयी हैं जिससे फंसे श्रमिकों को बाहर निकलने पर उन्हें तत्काल चिकित्सीय मदद दी जा सके। कोटद्वार के निकट बिशनपुर के रहने वाले गब्बर सिंह नेगी के पुत्र आकाश सिंह नेगी ने पीटीआई को बताया, मुझे कुछ सेकेंड के लिए उस पाइप के जरिए अपने पिता से बात करने की अनुमति मिली जिससे सुरंग में फंसे श्रमिकों को आक्सीजन भेजी जा रही है। यह पूछे जाने पर कि उनके पिता ने उनसे क्या बातचीत की, आकाश ने कहा, उन्होंने बताया कि वे सभी सुरक्षित हैं।

उन्होंने हमसे चिंता न करने को कहते हुए कहा कि कंपनी उनके साथ है। रविवार सुबह सुरंग के एक हिस्से के ढहने से उसमें फंस गए श्रमिकों की जानकारी मिलने के बाद आकाश अपने पिता की खोजखबर लेने अपने चाचा महाराज सिंह नेगी तथा तीन अन्य लोगों के साथ कोटद्वार से मौके पर पहुंचे हैं। इस बीच, फंसे श्रमिकों की सलामती के लिए एक स्थानीय पुजारी राम नारायण अवस्थी ने पूजा भी संपन्न कराई। उन्होंने बताया, मुझे कंपनी के लोगों ने पूजा संपन्न कराने को कहा जिससे भगवान कृपा करें और सभी श्रमिक सुरक्षित बाहर निकल आएं। मैंने इसलिए पूजा संपन्न कराई।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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