Prabhasakshi NewsRoom: LAC के बारे में जयशंकर ने जो बताया- वह साबित करता है कि देश सुरक्षित हाथों में है
सरकार की प्राथमिकताओं के बारे में बताते हुए जयशंकर ने कहा कि 2014 से 2022 तक चीन की सीमाओं पर 6,806 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया गया जोकि 2008 और 2014 के बीच निर्मित 3,610 किलोमीटर सड़क से लगभग दोगुनी है।
विपक्ष की ओर से बार-बार सवाल उठाया जा रहा है कि चीन से सटी सीमा पर सरकार हालात को ठीक से संभाल नहीं पा रही है। इस बारे में सोशल मीडिया पर तमाम तरह की अफवाहें भी फैलाई जा रही हैं लेकिन विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जो कुछ बताया है वह आंखें खोलने वाला भी है और देश की जनता को आश्वस्त करने वाला भी है। हम आपको बता दें कि विदेश मंत्री जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख में 33 महीने से जारी सीमा गतिरोध के बीच बताया है कि भारत ने स्पष्ट ‘‘सामरिक कारणों’’ से चीन के साथ लगती उत्तरी सीमाओं पर बुनियादी ढांचे के तेजी से विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। जयशंकर ने संवाददाताओं के एक समूह को बताया है कि लद्दाख क्षेत्र में 135 किलोमीटर तक फैली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चुशुल-डुंगती-फुकचे-डेमचोक सड़क पर काम पिछले महीने शुरू हुआ था। जयशंकर ने बताया कि चीन के साथ लगती सीमा पर सैनिकों की तैनाती बनाए रखने के लिए आवश्यक 16 प्रमुख दर्रों को रिकॉर्ड समय में और पिछले वर्षों की तुलना में बहुत पहले खोल दिया गया है। हम आपको बता दें कि अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम और लद्दाख में सीमावर्ती क्षेत्रों से लगे कुछ पर्वतीय दर्रों को भीषण सर्दी के महीनों में भारी हिमपात के कारण बंद कर दिया जाता है।
सरकार की प्राथमिकताओं के बारे में बताते हुए जयशंकर ने कहा कि 2014 से 2022 तक चीन की सीमाओं पर 6,806 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया गया जोकि 2008 और 2014 के बीच निर्मित 3,610 किलोमीटर सड़क से लगभग दोगुनी है। चीन से लगी सीमा पर पुलों के निर्माण के संबंध में उन्होंने कहा कि 2008 से 2014 तक निर्मित पुलों की कुल लंबाई 7,270 मीटर थी, जबकि 2014 से 2022 के बीच यह बढ़कर 22,439 मीटर हो गई। जयशंकर ने कहा, ‘‘हमने स्पष्ट ‘‘सामरिक कारणों’’ से चीन के साथ लगती उत्तरी सीमाओं पर बुनियादी ढांचे के तेजी से विकास पर ध्यान केंद्रित किया है।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि 13,700 फुट की ऊंचाई पर स्थित बलीपारा-चारद्वार-तवांग रोड पर सेला सुरंग के निर्माण से भारतीय सेना का तवांग के निकट वास्तविक नियंत्रण रेखा तक हर मौसम में संपर्क बना रहेगा। उन्होंने बताया कि इसमें दो सुरंगें हैं- एक 1,790 मीटर लंबी, दूसरी 475 मीटर लंबी। इस सुरंग का निर्माण अगस्त तक पूरा होने की उम्मीद है। एक बार इसका निर्माण पूरा हो जाने के बाद, यह 13,000 फुट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित दुनिया की सबसे लंबी दो-लेन सुरंग होगी। विदेश मंत्री ने अत्यधिक ऊंचाई वाले और दुर्गम सीमा क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए नई तकनीकों को अपनाने की भी बात कही। इस बातचीत के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने नेपाल, बांग्लादेश और भूटान सहित पड़ोसी देशों के साथ विभिन्न संपर्क परियोजनाओं पर भी प्रकाश डाला।
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दूसरी ओर, चीन की चालबाजियों को देखते हुए जयशंकर उसे घेरने में भी जुटे हुए हैं। इसके तहत भारत और न्यूजीलैंड ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता को लेकर बढ़ रही वैश्विक चिंताओं के बीच नियम आधारित क्षेत्र के लिए अपनी साझा दूरदृष्टि पर चर्चा की है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और न्यूजीलैंड की विदेश मंत्री नैनिया महुता ने आर्थिक भागीदारी, शैक्षिक आदान-प्रदान, रक्षा सहयोग और लोगों के बीच परस्पर संपर्क के क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों पर भी चर्चा की।
इसके अलावा, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस सप्ताह कनाडा की अपनी समकक्ष मेलानी जोली के साथ व्यापार और निवेश समेत विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर व्यापक चर्चा की। दोनों नेताओं ने वैश्विक स्थिति खासतौर से यूक्रेन में संघर्ष और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिति पर भी चर्चा की। इस मुलाकात के बाद जयशंकर ने ट्वीट में कहा, ‘‘वैश्विक स्थिति खासतौर से हिंद-प्रशांत और यूक्रेन संघर्ष पर विचार साझा किए। कनाडा की हिंद-प्रशांत रणनीति का स्वागत। हम हमारी जी20 अध्यक्षता के लिए कनाडा के समर्थन की सराहना करते हैं जिसमें आर्थिक वृद्धि और विकास की चुनौतियों पर गौर किया जाएगा।’’ हम आपको बता दें कि कनाडा ने नवंबर में हिंद-प्रशांत के लिए एक व्यापक रणनीति बनाई थी, जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना था। कनाडा की हिंद-प्रशांत रणनीति में भारत को इस क्षेत्र में एक प्रमुख देश के रूप में सूचीबद्ध किया गया और कहा गया कि कनाडा, नयी दिल्ली के साथ आर्थिक संबंध बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
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