'असली शिवसेना' पर अभी भी सियासी जंग जारी, स्पीकर के फैसले के खिलाफ याचिका पर सुनवाई को SC तैयार
याचिकाकर्ता सुनील प्रभु की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि याचिका आज सूचीबद्ध नहीं की गई है, हालांकि इस पर आज सुनवाई होनी थी। कोर्ट ने 22 जनवरी को याचिका पर नोटिस जारी करते हुए मामले की तारीख 5 फरवरी (आज) तय की थी।
सुप्रीम कोर्ट 5 फरवरी को शिवसेना के एक सदस्य (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) द्वारा दायर याचिका को सूचीबद्ध करने पर सहमत हो गया, जिसमें संविधान के दसवीं अनुसूची के तहत शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के विधायकों को अयोग्य ठहराने के महाराष्ट्र अध्यक्ष के इनकार को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता सुनील प्रभु की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि याचिका आज सूचीबद्ध नहीं की गई है, हालांकि इस पर आज सुनवाई होनी थी। कोर्ट ने 22 जनवरी को याचिका पर नोटिस जारी करते हुए मामले की तारीख 5 फरवरी (आज) तय की थी।
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इसके बाद सीजेआई चंद्रचूड़ मामले को सूचीबद्ध करने पर सहमत हुए। 22 जनवरी को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने दो सप्ताह के भीतर वापसी योग्य नोटिस जारी किया। अनुच्छेद 136 के तहत विशेष अनुमति याचिका यूबीटी सदस्य सुनील प्रभु द्वारा दायर की गई है, जिसमें महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष द्वारा पारित दिनांक 10.01.2024 के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें एक दूसरे के खिलाफ उद्धव ठाकरे समूह द्वारा दायर अयोग्यता याचिकाओं को खारिज कर दिया गया है।
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स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिंदे और ठाकरे दोनों समूहों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं को खारिज कर दिया। स्पीकर ने माना कि शिंदे समूह इस आधार पर 'असली' शिवसेना है कि जून 2022 में जब प्रतिद्वंद्वी गुट उभरे तो उनके पास विधायी बहुमत (विधायकों का बहुमत) था। स्पीकर ने शिंदे द्वारा नियुक्त व्हिप को भी आधिकारिक व्हिप के रूप में मान्यता दी। शिवसेना पार्टी की ओर से कहा गया कि शिंदे समूह के विधायकों द्वारा व्हिप का कोई उल्लंघन नहीं किया गया।
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