राकेश टिकैत ने मोदी सरकार को चेताया, कहा- MSP पर काम करे सरकार, वरना 26 जनवरी दूर नहीं
मुंबई में किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार धोखा कर रही है, सचेत रहने की जरूरत है। अभी सरकार बात करने की लाइन में नहीं आई है। ये सरकार षड्यंत्रकारी, बेईमान और धोखेबाज है।
भले ही सरकार ने केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस ले लिया है। लेकिन किसान अब भी सरकार के खिलाफ आक्रमक है। यही कारण है कि अब भी किसान नेताओं की ओर से मोदी सरकार पर हमला किया जा रहा है। इसी कड़ी में किसान नेता राकेश टिकैत ने मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। मुंबई में किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार धोखा कर रही है, सचेत रहने की जरूरत है। अभी सरकार बात करने की लाइन में नहीं आई है। ये सरकार षड्यंत्रकारी, बेईमान और धोखेबाज है। किसान समाज और मजदूरों को नीचा दिखाने की कोशिश कर रही है। राकेश टिकैत ने यह भी कहा कि भारत सरकार को अपने तरीके सुधारने चाहिए और एमएसपी पर एक कानून लाना चाहिए। अन्यथा, 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) दूर नहीं है, और 4 लाख ट्रैक्टर और किसान सभी हैं।
कुल मिलाकर देखे तो टिकैत ने सरकार को बड़ी चेतावनी दी है। संसद सत्र की शुरुआत की पूर्व संध्या पर दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में किसानों की महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब एमएसपी के समर्थक थे और किसानों के हितों की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कानून चाहते थे। टिकैत ने आरोप लगाया कि मोदी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर इस मुद्दे पर बहस करने से भाग रही है।#WATCH | In Mumbai, BKU leader Rakesh Tikait says, "Govt of India should mend its ways and bring a law on MSP. Otherwise, January 26 (Republic Day) is not far, and 4 lakh tractors & farmers all are there." pic.twitter.com/sBMoJ9N1rI
— ANI (@ANI) November 28, 2021
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महापंचायत ने कृषि कानूनों को निरस्त कराने में भाजपा-आरएसएस सरकार पर साल भर से चले आ रहे किसानों के संघर्ष की ऐतिहासिक जीत का जश्न मनाया और बाकी मांगों के लिए लड़ने का संकल्प भी जताया। इन मांगों में एमएसपी एवं खरीद की गारंटी के लिए एक केंद्रीय कानून, विद्युत संशोधन विधेयक को वापस लेना, लखीमपुर खीरी घटना के लिए केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा की कैबिनेट से बर्खास्तगी और गिरफ्तारी, चार श्रम संहिताओं का निरसन, निजीकरण के माध्यम से देश को बेचने का अंत आदि शामिल है।
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