बेअदबी मामले को लेकर कांग्रेस पार्टी के भीतर ही असंतोष, कैप्टन पर सिद्धू ट्वीट के जरिए कर रहे हैं वार लगातार
क्रिकेटर से राजनेता बने सिद्धू ने जोर देकर कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के लिए न्याय ही उनका मुख्य उद्देश्य था। सिद्धू उन लोगों में भी शामिल थे, जिन्होंने हाल ही में विधायकों और मंत्रियों की बैठक में भाग लिया था।
पंजाब कांग्रेस में इन दिनों लगातार घमासान मचा हुआ है। नवजोत सिंह सिद्धू इन दिनों लगातार ट्वीट कर रहे हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया है कि पार्टी के कार्यकर्ताओं और विधायकों को कांग्रेस हाईकमान के सामने जाना चाहिए और उन्हें बताना चाहिए कि पंजाब कांग्रेस के अंदर आखिरकार क्या रहा है। ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए, क्रिकेटर से राजनेता बने सिद्धू ने जोर देकर कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के लिए न्याय ही उनका मुख्य उद्देश्य था। सिद्धू उन लोगों में भी शामिल थे, जिन्होंने हाल ही में विधायकों और मंत्रियों की बैठक में भाग लिया था, ताकि बेअदबी और पुलिस फायरिंग के मामलों के अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मुख्यमंत्री पर दबाव बनाया जा सके।
In 2019, I began & ended my Election Campaign in Punjab seeking - Justice for Sacrilege of Guru Granth Sahib Ji & punishing the culprits & the ONE shielding them... Now, Our MLAs & Party Workers must go to Delhi & speak the Truth of Punjab to our High Command, as I regularly do ! pic.twitter.com/2fSZr8DXBN
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) May 20, 2021
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गौरतलब है कि एक जून 2015 को बरगाड़ी से सटे गांव बुर्ज जवाहर सिंह वाला के गुरुद्वारा साहिब से पावन ग्रंथ का स्वरूप चोरी हो गया। इसके बाद 24-25 सितंबर 2015 की रात को गांव बुर्ज जवाहर सिंह वाला में ही गुरुद्वारा साहिब के बाहर अश्लील शब्दावली वाला पोस्टर लगाकर पुलिस प्रशासन व सिख संगत को चुनौती दी गई। पावन ग्रंथ की चोरी व पोस्टर लगाने के मामलों का कोई सुराग ढूंढ़ने में पुलिस को सफलता हाथ नहीं लगी। वहीं पोस्ट लगाए जाने के कुछ ही दिनों बाद बरगाड़ी में पावन ग्रंथ की बेअदबी कर दी गई। इसी मामले में सिख संगठनों और संगत ने कोटकपूरा और बरगाड़ी से सटे गांव बहबल कलां में भी धरना दिया था। इसी धरने के दौरान 14 अक्टूबर 2015 को पुलिस की गोलीबारी में गांव नियामी वाला के किशन भगवान सिंह और गांव सरांवा के गुरजीत सिंह मारे गए थे। वहीं बहिबल कलां से पहले कोटकपूरा के मुख्य चौक में भी चल रहे रोष धरने को पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए उठवाया और पुलिस के लाठीचार्ज से करीब 100 लोग घायल हुए।
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