बिहार में निजी स्वास्थ्य सुविधाओं ने जैव-चिकित्सा अपशिष्ट निपटान मानकों का उल्लंघन किया: अधिकारी
उन्होंने कहा कि बीएसपीसीबी द्वारा संबंधित जिलाधिकारियों को भी ऐसे स्वास्थ्य केंद्रों को बंद करने के लिए भेजे गये नोटिस की जानकारी दी है। ये केंद्र भोजपुर, बक्सर, कैमूर, नालन्दा, पटना, रोहतास, वैशाली, सारण और पश्चिमी चम्पारण आदि में स्थित हैं। बीएसपीसीबी ने कहा, बोर्ड राज्य भर के अस्पतालों, नर्सिंग होम और अन्य चिकित्सा प्रतिष्ठानों को निर्देश देता रहता है कि वे अपने जैव-चिकित्सीय कचरे का निपटारा पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और गया में अधिकृत सीबीडब्ल्यूटीएफ में कराएं।
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएसपीसीबी) ने राज्य में उन 4737 निजी स्वास्थ्य सुविधाओं को नोटिस जारी करने का फैसला किया है, जो कथित तौर पर जैव-चिकित्सा अपशिष्ट निपटान मानदंडों का पालन करने में विफल रहे हैं। बीएसपीसीबी के अध्यक्ष देवेन्द्र कुमार शुक्ला ने कहा कि यदि उचित तरीके से निपटान नहीं किया गया तो ऐसे अपशिष्ट पदार्थों का किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य या पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि अगर ये स्वास्थ्य सुविधाएं 15 दिनों के भीतर चिकित्सा कचरे के वैज्ञानिक भंडारण, परिवहन और उपचार से संबंधित मानदंडों का पालन करने में विफल रहती हैं, तो उन्हें बंद कर दिया जाएगा। शुक्ला ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘बीएसपीसीबी राज्य में 4737 निजी स्वास्थ्य सुविधाओं/केंद्रों को बंद करने का प्रस्तावित निर्देश भेजने की प्रक्रिया में है, क्योंकि वे जैव-चिकित्सा अपशिष्ट निपटान के लिए निर्धारित मानदंडों का पालन करने में विफल रहे हैं।’’ ऐसे स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों की सूची में समस्तीपुर जिला (418) शीर्ष पर है, इसके बाद पश्चिम चंपारण (389), वैशाली (373), सारण (260), सीवान (253), गया (157) और पटना (115) का स्थान है।
अध्यक्ष ने कहा, ‘‘जैव-चिकित्सा अपशिष्ट का मतलब वैसे किसी भी अपशिष्ट से है, जो मनुष्यों या जानवरों के निदान, उपचार या टीकाकरण अथवा संबंधित अनुसंधान गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं अथवा या जैविक जांच अथवा स्वास्थ्य शिविरों के कारण उत्पन्न होता है।’’ इन 4737 निजी स्वास्थ्य सुविधाओं/केंद्रों में से 915 को बंद करने का नोटिस जारी किया जा रहा है। शुक्ला ने कहा, राज्य में ये 915 स्वास्थ्य केंद्र सामान्य जैव-चिकित्सा अपशिष्ट निपटान सुविधाओं (सीबीडब्ल्यूटीएफ) में चिकित्सा कचरे के निपटारे से संबंधित मानदंडों का पालन करने में विफल रहे हैं। बार-बार याद दिलाने के बावजूद, इन केंद्रों ने मानदंडों का पालन नहीं किया। वैज्ञानिक ने बताया कि सीबीडब्ल्यूटीएफ ऐसी सुविधा है, जिसके तहत स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं से निकलने वाले जैव-चिकित्सीय अपशिष्ट को मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए आवश्यक निपटारा किया जाता है।
उन्होंने कहा कि बीएसपीसीबी द्वारा संबंधित जिलाधिकारियों को भी ऐसे स्वास्थ्य केंद्रों को बंद करने के लिए भेजे गये नोटिस की जानकारी दी है। ये केंद्र भोजपुर, बक्सर, कैमूर, नालन्दा, पटना, रोहतास, वैशाली, सारण और पश्चिमी चम्पारण आदि में स्थित हैं। बीएसपीसीबी ने कहा, बोर्ड राज्य भर के अस्पतालों, नर्सिंग होम और अन्य चिकित्सा प्रतिष्ठानों को निर्देश देता रहता है कि वे अपने जैव-चिकित्सीय कचरे का निपटारा पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और गया में अधिकृत सीबीडब्ल्यूटीएफ में कराएं।
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