उत्तराखंड में UCC लागू करने की तैयारी, 5 फरवरी को पारित हो सकता है विधेयक, अभी से दिखने लगा असर
धामी ने कहा कि हमारी सरकार आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के दृष्टिकोण और सिद्धांतों तथा पूर्वाचल की देवतुल्य जनता के संकल्प और सिद्धांतों के अनुरूप प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए सदैव प्रतिबद्ध रही है।
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक को पारित करने के लिए 5 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा बुलाई जाएगी। इस बात की चर्चा तब से तेज हुई जब उत्तराखंड के मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को कहा कि अगर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मसौदा सरकार द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति समय पर प्रस्तुत कर देती है तो राज्य विधानसभा के आगामी सत्र में इसपर चर्चा हो सकती है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य द्वारा गठित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) समिति 2 फरवरी को अपनी अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।
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धामी ने कहा कि हमारी सरकार आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के दृष्टिकोण और सिद्धांतों तथा पूर्वाचल की देवतुल्य जनता के संकल्प और सिद्धांतों के अनुरूप प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए सदैव प्रतिबद्ध रही है। हालांकि, समान नागरिक संहिता आने से पहले ही उत्तराखंड में इसका असर दिखना शुरू हो गया है।
इस साल शुरू होने वाले नए शैक्षणिक सत्र से उत्तराखंड वक्फ बोर्ड से संबद्ध मदरसों के लिए भगवान राम की कहानी को नए पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। बोर्ड के तहत 117 मदरसों में से, नया पाठ्यक्रम शुरू में देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधम सिंह नगर जिलों के चार मदरसों में पेश किया जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि शिक्षकों की भर्ती के बाद शेष 113 मदरसों में इसे शुरू किया जाएगा। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने बताया कि हम कुरान भी पढ़ाएंगे और रामायण भी। जब हम अपने छात्रों को लक्ष्मण के बारे में बता सकते हैं, जिन्होंने अपने बड़े भाई के लिए सब कुछ त्याग दिया, तो उन्हें औरंगजेब के बारे में बताने की क्या ज़रूरत है, जिसने सिंहासन पाने के लिए अपने भाइयों को मार डाला? चिन्हित चार मदरसों में उचित ड्रेस कोड भी लागू किया जाएगा।
यूसीसी की शुरूआत 2014 के आम चुनावों से पहले भाजपा द्वारा किया गया एक प्रमुख चुनावी वादा था। पार्टी ने विवाह, विरासत, तलाक और गोद लेने जैसे विषयों को नियंत्रित करने के लिए धर्म की परवाह किए बिना व्यक्तिगत कानूनों का एक समान सेट बनाने का वादा किया। यह वादा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 से उपजा है, जो कहता है: "राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा।" अगर उत्तराखंड में इसे लागू किया जाता है तो यह लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
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