मकर सक्रांति के पर्व पर घाटों पर कम संख्या में दिखे श्रद्धालु, त्योहार पर छाया कोरोना का साया
मकर सक्रांति के पर्व पर घाटों पर कम संख्या में दिखे श्रद्धालु।दशाश्वमेध घाट के पुरोहित राजू तिवारी ने बताया की, नए वर्ष के सूचक, मकर संक्रांति के पर्व पर देवतागण भगवान विष्णु की पूजा करते है, और आज के दिन गुड़, काली तिल, और खिचड़ी दान करने की परंपरा है।
वाराणसी।सूर्य देव के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने पर, उनकी और भगवान विष्णु की पूजा होती है, इस मौके पर हिंदू मकर संक्रांति का पर्व मनाते है। आज के दिन पुण्य प्राप्त करने के लिए भक्त दूर दूर से गंगा घाटों पर स्नान के लिए आते है। लेकिन इस बार कोरोना की पाबंदियों के चलते घाटों पर भीड़ काफी कम नजर आ रही है।
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दशाश्वमेध घाट के पुरोहित राजू तिवारी ने बताया की, नए वर्ष के सूचक, मकर संक्रांति के पर्व पर देवतागण भगवान विष्णु की पूजा करते है, और आज के दिन गुड़, काली तिल, और खिचड़ी दान करने की परंपरा है। इस दिन गंगास्नान का भी महत्व है। उन्होंने बताया की, पिछले साल की अपेक्षा, इस साल गंगास्नान करने वालों की संख्या काफी कम है, उन्होंने लोगों को कोरोना से सचेत करते हुए, कहा की लोग अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए ही, घाटों पर स्नान के लिए आए।
घाट पर आए एक बुजुर्ग श्रद्धालु ने बताया की, मकर संक्रान्ति को हर जगह अलग-अलग नामों से जाना जाता है। आज सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही, देवताओं के लिए दिन, और राक्षसों की रात्रि हो जायेगी। उन्होंने बताया की महाभारत में भीष्म पितामह ने भी उत्तरायण के समय ही प्राण त्यागे थे, क्योंकि आज से होने वाले सभी कार्य मंगलमय होते है। अपनी बात आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा की, मकर संक्रांति पर दान देना शुभ माना जाता है, और आज काशी, हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन, पूरी आदि सभी तीर्थस्थानों पर आज गंगा स्नान करने की विधि है। उन्होंने बताया की, महामारी की वजह से, घाटों पर भीड़ काफी कम नजर आ रही है, नही तो यहां इन पर्वों पर चार से पांच लाख श्रद्धालुओं की भीड़ होती है। उन्होंने बताया की, आज के दिन गंगा स्नान से पुण्य की प्राप्ति, और दान से राजसूय यज्ञ की प्राप्ति होती है, जिससे परिवार में सुख और समृद्धि आती है।
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घाट पर आई एक महिला श्रद्धालु पायल मिश्रा ने बताया की, आज खरवास खत्म होता है, एवं सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। आज लोग पीले कपड़े पहनकर उड़द की दाल, गुड़, चावल इत्यादि का दान करते है, एवं पट्टी, गुड़ खाकर मीठे से शुरुआत करते है। आज के दिन खिचड़ी बनाने की भी परंपरा है, और लोग कपड़े, पैसे, कम्बल आदि का भी दान देते है। उन्होंने कहा की कोरोना के समय जो लोग घाटों पर नहीं आ रहे है, वो घर पर गंगाजल मिला कर भी स्नान कर सकते है।
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