सुरक्षा चूक की जांच को लेकर IB ने जारी किए आदेश, एजेंसियां इन बातों पर रखेगी नजर
प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक होने का बड़ा गंभीर मसला है। इस मामले में जहां राज्य सरकार शामिल है वहीं एसपीजी और सेंटर इंटेलिजेंस एजेंसी भी शामिल हैं। इस मामले में क्या चूक हुई और किसके लेवल पर चूक हुई। इसके लिए एसपीजी और आईबी ने आंतरिक जांच के आदेश दिए हैं।
प्रधानमंत्री के रूट को लेकर सुरक्षा चूक का मामला सामने आने के बाद इस पर लगातार विवाद जारी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय को पंजाब सरकार की रिपोर्ट का इंतजार है। गृह मंत्रालय ये जानना चाहता है कि पीएम के रूट के दौरान एसपीजी नियमों का पालन हुआ था या नहीं? वहीं एसपीजी और आईबी ने घटना के जांच के आदेश दे दिए हैं। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक होने का बड़ा गंभीर मसला है। इस मामले में जहां राज्य सरकार शामिल है वहीं एसपीजी और सेंटर इंटेलिजेंस एजेंसी भी शामिल हैं। इस मामले में क्या चूक हुई और किसके लेवल पर चूक हुई। इसके लिए एसपीजी और आईबी ने आंतरिक जांच के आदेश दिए हैं। इस आतंरिक जांच के जरिये इस बात का पता लगाया जाएगा कि क्या संचार हुआ था।
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इन बिंदुओं पर होगी जांच
प्रधानमंत्री की सड़क यात्रा के दौरान एसपीजी के नियमों का पालन हुआ था या नहीं।
एसपीजी-आईबी और पंजाब पुलिस की बातचीत के रिकॉर्ड खंगाले जाएंगे।
आईबी और पंजाब पुलिस की रिपोर्ट को खंगाला जाएगा।
वायरलेस की लॉग बुक की भी पूरी जांच होगी।
प्रधानमंत्री की सुरक्षा मे तैनात एसपीजी को फंसने का पता कब चला
प्रभारी कंमाडर को क्या जानकारी थी और उसने क्या निर्देश दिए थे।
आईबी की स्थानीय यूनिट की इस बाबत क्या रिपोर्ट थी।
जांच का क्या मकसद
बता दें कि इस जांच का मकसद किसी को आरोपी बनाना नहीं है। इसका मकसद है कि वो कौन से मुद्दे थे जिसकी वजह से प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक हुई। आईबी और एसपीजी को ये देखना है कि निकट भविष्य में इस तरह की घटनाएं फिर से न हो। उसके लिए क्या कदम उठाए जाएं। यही वजह है कि आईबी और एसपीजी दोनों ने आतंरिक जांच के दिए हैं।
पंजाब सरकार ने बनाई समिति
पंजाब सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिरोजपुर जाते समय सुरक्षा में हुई ‘‘चूक’’ की ‘‘गहन जांच’’ के लिए बृहस्पतिवार को दो सदस्यों वाली उच्च स्तरीय समिति का गठन किया। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी। समिति में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) महताब सिंह गिल और प्रधान सचिव (गृह मामले और न्याय) अनुराग वर्मा शामिल हैं। यह समिति तीन दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी।
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