आठ साल की गूगल गर्ल काशवी हाईकोर्ट के आदेशों के बाद अब दे सकेगी आठवीं की परीक्षा
हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस ज्योत्सना रेवाल दुआ की ख्ांडपीठ ने काशवी के पिता की याचिका पर अपने ऐतिहासिक फैसले में अस्थायी तौर पर आठवीं कक्षा में पढ़ने की अनुमति का आदेश दिया है। अदालत ने कहा है कि यदि काशवी स्कूल में कक्षा आठ में छात्रा के रूप में अनंतिम (अस्थायी) प्रवेश लेती है तो उसकी समग्र प्रगति की निगरानी संबंधित स्कूल अधिकारियों की ओर से नियमित आधार पर की जाएगी।
शिमला। हिमाचल प्रदेश के जिला कांगडा के पालमपुर कस्बे की रहने वाली गूगल गर्ल काशवी इन दिनों खासी चरचा में है। हिमाचल हाईकोर्ट के आदेशों के बाद अब आठ साल की काशवी आठवीं कक्षा की परीक्षा दे सकेगी। वर्तमान में रेनबो सीनियर सेकेंडरी स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ रही आठ वर्षीय काशवी को स्कूल प्रबंधन ने आठवीं की परीक्षा देने से रोक दिया था। मामला कोर्ट तक पहुंचा तो अब यह नन्ही छात्रा नया इतिहास रचेगी।
दरअसल , कांगडा जिला के पालमपुर के लोहना वार्ड में हिमुडा कालोनी में रहने वाली 8 साल की काशवी अपने बुद्धि कौशल की वजह से आठवीं कक्षा की परीक्षा देने की मांग राज्य सरकार व प्रदेश शिक्षा बोर्ड से कर रही थी । लेकिन अनुमति नहीं मिली तो मामला अदालत तक पहुंचा।
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हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस ज्योत्सना रेवाल दुआ की ख्ांडपीठ ने काशवी के पिता की याचिका पर अपने ऐतिहासिक फैसले में अस्थायी तौर पर आठवीं कक्षा में पढ़ने की अनुमति का आदेश दिया है। अदालत ने कहा है कि यदि काशवी स्कूल में कक्षा आठ में छात्रा के रूप में अनंतिम (अस्थायी) प्रवेश लेती है तो उसकी समग्र प्रगति की निगरानी संबंधित स्कूल अधिकारियों की ओर से नियमित आधार पर की जाएगी। काशवी की हर क्षेत्र में प्रगति के बारे में रिपोर्ट भी कोर्ट में दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। मामले पर अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी।
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हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार काशवी का जन्म 12 मार्च 2014 को हुआ है। वर्तमान में रेनबो पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल पालमपुर में तीसरी कक्षा में पढ़ रही हैं। काशवी एक असाधारण और बौद्धिक रूप से बेहतर बच्ची है। उसे गूगल गर्ल भी कहा जाता है। काशवी को 3 साल की उम्र से ही भारतीय राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और पड़ोसी देशों की राजधानी, सौर मंडल और राष्ट्रीय ध्वज, महत्वपूर्ण दिनों, भारत के राष्ट्रीय उद्यानों, हिमाचल प्रदेश के जिलों, भारत में सबसे बड़े और सबसे लंबे समय तक का ज्ञान है। काशवी के सामान्य ज्ञान व अन्य विषयों के अनेकों वीडियो यू ट्यूब पर उपलब्ध हैं। कई लोगों की ओर से देखा और पसंद किया जा रहा है।
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काशवी के पिता ने 16 अक्तूबर 2021 को जोनल अस्पताल धर्मशाला में उसका आईक्यू टेस्ट कराया। इसमें उसका आईक्यू 154 आंका गया था। उसकी जांच करने वाले डॉक्टर ने कहा कि वह असाधारण, बौद्धिक रूप से बहुत श्रेष्ठ व प्रतिभाशाली बच्ची है। काशवी के आईक्यू परीक्षा परिणाम के साथ उसके पिता ने राज्य के शिक्षा विभाग, हिमाचल प्रदेश के विभिन्न पदाधिकारियों को पत्र भेजकर उसे कक्षा आठ में दाखिला लेने, कक्षा आठ की परीक्षा में बैठने की अनुमति देने का अनुरोध किया। जब प्रतिवादियों की ओर से इस मामले में कुछ नहीं किया गया तो उन्होंने याचिका दायर कर प्रतिवादियों को निर्देश देने की मांग की। कोर्ट ने याचिका के रिकॉर्ड का अवलोकन करने पर पाया कि काशवी एक प्रतिभाशाली और बौद्धिक रूप से श्रेष्ठ बच्ची हो सकती है।
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बताया जा रहा है कि करीब डेढ़ साल से कोविड-19 के कारण स्कूल में नियमित पढ़ाई नहीं होने का लाभ लेते हुए काशवी ने दो-दो महीनों में चौथी से सातवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की व आठवीं कक्षा की परीक्षा की तैयारी कर रही है।
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वर्तमान में रेनबो सीनियर सेकेंडरी स्कूल में तीसरी कक्षा की विद्यार्थी आठ वर्षीय काशवी के पिता संतोष कुमार अध्यापन से जुड़े हैं, जबकि माता कमलेश गृहिणी हैं। बताया जा रहा है कि काशवी की मां ने अपनी लाडली की विलक्षण क्षमता को पहचानते हुए उसे अगली कक्षाओं की तैयारी में सहयोग दिया। हालांकि पिता की रुचि भी अपनी लाडली की विलक्षण क्षमता को लेकर बढ़ी। लेकिन काशवी को पूरी शिक्षा देने का दारोमदार मां के कंधों पर है।
बड़ी बात यह भी है कि काशवी ने स्कूल में मात्र एक साल ही पढ़ाई करके पहली कक्षा उत्तीर्ण की थी। इससे पहले उन्होंने नर्सरी व एलकेजी में पढ़ाई नहीं की थी। दूसरी कक्षा में उसे स्कूल की ओर से प्रमोट किया गया है। तीसरी कक्षा की पढ़ाई भी वह अपने स्तर पर ही करती रहीं, साथ ही अगली सभी कक्षाओं के पाठ्यक्रम की पढ़ाई पूरी करने के बाद आठवीं कक्षा की परीक्षा की तैयारियों में जुट गई हैं।
काशवी की मां जो खुद एमए बीएड हैं। उन्होंने बताया कि बेटी को पढ़ाई के साथ संगीत और खेलों में भी काफी रुचि है। उन्होंने बताया कि परिवार को भी लाडली की विलक्षण क्षमता की परख लाकडाउन के दौरान लगी। बेटी ने दो माह में ही तीसरी कक्षा का पूरा पाठ्यक्रम समाप्त करके अभिभावकों को सुना दिया। काशवी उनकी इकलौती बेटी है।
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