भोपाल गैस त्रासदी के चार दशक बाद भी कुछ क्षेत्रों में भूमिगत जल अत्यधिक प्रदूषित
राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने यूनियन कार्बाइड कारखाने के परिसर में मौजूद जहरीले अपशिष्ट पदार्थों के कुप्रबंधन से भूजल प्रदूषण के खतरों को उजागर करने वाली एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया था। इसके बाद सीजीडब्ल्यूए ने यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के पास संभावित भूजल प्रदूषण की जांच के लिए एक नई जांच शुरू की।
नयी दिल्ली। भोपाल गैस त्रासदी के चार दशक बाद भी यूनियन कार्बाइड कीटनाशक संयंत्र के पास के कुछ स्थानों के भूमिगत जल में भारी धातुओं की उच्च सांद्रता अब भी बरकरार है। केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) की नयी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने यूनियन कार्बाइड कारखाने के परिसर में मौजूद जहरीले अपशिष्ट पदार्थों के कुप्रबंधन से भूजल प्रदूषण के खतरों को उजागर करने वाली एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया था। इसके बाद सीजीडब्ल्यूए ने यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के पास संभावित भूजल प्रदूषण की जांच के लिए एक नई जांच शुरू की।
इस अध्ययन में क्षेत्र सर्वेक्षण और प्रयोगशाला जांच, दोनों को शामिल किया गया। अध्ययन के तहत सीजीडब्ल्यूए के अधिकारियों ने यूसीआईएल के पांच किलोमीटर के दायरे के भीतर विभिन्न दिशाओं से 72 भूजल नमूने एकत्र किए। एनजीटी को बृहस्पतिवार को सौंपी गई रिपोर्ट से पता चला कि 36 में से सात स्थानों पर नाइट्रेट सांद्रता बीआईएस द्वारा निर्धारित वांछनीय सीमा से अधिक थी। दो स्थानों पर फॉस्फेट का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से तय सीमा से अधिक पाया गया।
कुछ स्थानों पर जल में कठोरता देखी गई और कैल्शियम और मैग्नीशियम का स्तर भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की सीमा से अधिक पाया गया। दो स्थानों पर सोडियम की सांद्रता मानक से अधिक थी। सीजीडब्ल्यूए ने कहा कि 27.77 प्रतिशत स्थानों पर पोटैशियम की सांद्रता डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक थी। सीजीडब्ल्यूए ने कहा कि लगभग 99 प्रतिशत नमूनों को घरेलू उपयोग के लिए कठोर या बहुत कठोर पानी के रूप में वर्गीकृत किया गया, लेकिन सल्फेट का स्तर बीआईएस सीमा से नीचे था जबकि फ्लोराइड की सांद्रता मानकों के अनुरूप थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएच मान अनुमेय सीमा के भीतर पाया गया, जबकि पानी की विद्युत चालकता बीआईएस द्वारा निर्धारित स्वीकार्य सीमा से नीचे रही। इसी तरह पानी में कार्बोनेट आयनों की अनुपस्थिति पाई गई। कुल क्षारीयता मान सीमा के भीतर रहा और क्लोराइड सांद्रता आंशिक प्रदूषण का संकेत देती है। लौह सांद्रता ने 11 स्थानों पर बीआईएस सीमा का उल्लंघन किया, जो अधिकतम 11.664 मिलीग्राम/लीटर तक पहुंच गया। सर्वेक्षण में शामिल 8.33 प्रतिशत स्थानों पर मैंगनीज प्रदूषण पाया गया क्योंकि इसकी मात्रा बीआईएस की तय सीमा से अधिक पायी गई।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘एल्यूमीनियम सांद्रता बीआईएस सीमा के भीतर दर्ज की गई थी। जिंक प्रदूषण न्यूनतम था और केवल एक स्थान पर यह बीआईएस द्वारा स्वीकार्य सीमा से अधिक था, फिर भी यह अनुमेय सीमा के भीतर रहा। एक स्थान को छोड़कर आर्सेनिक की सांद्रता आम तौर पर बीआईएस सीमा से नीचे थी।’’ चांदी, बोरॉन, मोलिब्डेनम, निकल, तांबा, सेलेनियम, क्रोमियम, कैडमियम, बेरियम, पारा, सीसा और यूरेनियम सहित अन्य तत्वों का परीक्षण किया गया जो अनुमेय सीमा के भीतर थे। स्ट्रोंटियम, जो बीआईएस या डब्ल्यूएचओ मानकों द्वारा विनियमित नहीं है, की सांद्रता 0.833 मिलीग्राम प्रति लीटर के औसत के साथ ‘0.198’ से ‘2,223’ मिलीग्राम प्रति लीटर तक दर्ज की गई थी।
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दो दिसंबर, 1984 की रात को कीटनाशक संयंत्र में एक दुर्घटना के कारण कम से कम 30 टन अत्यधिक जहरीली गैस ‘मिथाइल आइसोसाइनेट’ समेत कई अन्य जहरीली गैसें लीक हो गईं जिसकी चपेट में छह लाख से अधिक लोग आ गए। उस दुर्घटना के तुरंत बाद हजारों लोग मारे गए और उसके बाद से हजारों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 15,000 लोगों के मारे जाने का अनुमान है। शोध से पता चलता है कि इस आपदा ने दुर्घटना के बाद के सालों में जन्म लेने वालों,यहां तक कि 40 साल बाद भी लोगों पर,कैंसर, विकलांगता जैसी समस्याएं दी हैं।
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