पश्चिम एशिया में स्थिति के मद्देनजर IMEC के क्रियान्वयन में देरी चिंता का विषय : S Jaishankar

S Jaishankar
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जयशंकर ने कहा कि जहाज से लेकर रेल पारगमन नेटवर्क -आईएमईसी के सभी पक्षकार इसके लिए प्रतिबद्ध हैं क्योंकि वे इसे ‘‘बड़ी’’ पहल मानते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या पश्चिम एशिया में जारी संकट से इस परियोजना में कुछ वर्षों की देरी हो सकती है, उन्होंने कहा, ‘‘यह निश्चित तौर पर हमारे लिए चिंता का विषय है और सितंबर में जब समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे, तो उस समय जिस तरह की उम्मीद थी उस पर अब आगे बढ़ना होगा।’’

नयी दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि पश्चिम एशिया में मौजूदा स्थिति के मद्देनजर भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) के क्रियान्वयन में देरी ‘‘चिंता’’ का विषय है और पिछले साल सितंबर में यह पहल शुरू होने के बाद से पैदा हुई उम्मीद पर आगे बढ़ना होगा। जयशंकर ने कहा कि जहाज से लेकर रेल पारगमन नेटवर्क -आईएमईसी के सभी पक्षकार इसके लिए प्रतिबद्ध हैं क्योंकि वे इसे ‘‘बड़ी’’ पहल मानते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या पश्चिम एशिया में जारी संकट से इस परियोजना में कुछ वर्षों की देरी हो सकती है, उन्होंने कहा, ‘‘यह निश्चित तौर पर हमारे लिए चिंता का विषय है और सितंबर में जब समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे, तो उस समय जिस तरह की उम्मीद थी उस पर अब आगे बढ़ना होगा।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘दूसरी तरफ, समझौते के सभी पक्षकारों ने पुन: पुष्टि करते हुए कहा है कि उनके लिए यह एक बड़ी पहल है और सभी इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।’’ आईएमईसी नामक महत्वपूर्ण पहल में एशिया, पश्चिम एशिया और पश्चिम के बीच एकीकरण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सऊदी अरब, भारत, अमेरिका और यूरोप के बीच एक विशाल सड़क, रेलमार्ग और पोत मार्ग नेटवर्क की परिकल्पना की गई है। जयशंकर ने कहा, ‘‘इसलिए हमें स्थिति के थोड़ा स्थिर होने तक इंतजार करना पड़ेगा। मुझे लगता है कि यह बड़ी चिंता का विषय है और यह बहुत जटिल मुद्दा भी है। चूंकि यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जिस पर आप आसानी से यह समझ सकें कि क्या सही है और क्या गलत है।’’ 

उन्होंने बृहस्पतिवार को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वहां आतंकवाद से लेकर बंधकों, मानवीय गलियारे से लेकर द्वि-राष्ट्र के समाधान तक चिंता के कई मुद्दे हैं।’’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘अधिक महत्वपूर्ण यह है कि आप इसे वास्तव में धरातल पर कैसे उतारते हैं।’’ इस पहल में एक बिजली केबल नेटवर्क, एक हाइड्रोजन पाइपलाइन, उच्च गति वाले डेटा केबल नेटवर्क से लेकर साझेदार देशों के बीच समग्र आर्थिक वृद्धि की परिकल्पना भी की गई है। यह चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव’ (बीआरआई) के जवाब में रणनीतिक प्रभाव हासिल करने के उद्देश्य से की गई पहल है। 

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‘बीआरआई’ एक विशाल कनेक्टिविटी परियोजना है जो चीन को दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, रूस और यूरोप से जोड़ती है। दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के इतर आईएमईसी परियोजना पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस पर भारत, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और जी20 के कुछ अन्य साझेदारों ने हस्ताक्षर किए थे। पश्चिम एशिया में हमास द्वारा सात अक्टूबर को इजराइल पर किए गए हमलों के बाद से तनाव बढ़ गया है। भारत ने तनाव कम करने और फलस्तीनी मुद्दे के द्वि-राष्ट्र समाधान की ओर सीधी शांति वार्ता बहाल करने के अनुकूल परिस्थितियां पैदा करने का आह्वान किया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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