कोरोना वायरस महामारी ने 2021 में भी मुंबई को प्रभावित किया
आमतौर पर बीसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) सेंसेक्स को देश की वित्तीय राजधानी मुंबई की सेहत के संकेतक के तौर पर देखा जाता है, लेकिन 2021 में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों ने दलाल स्ट्रीट के उतार चढ़ाव को पीछे छोड़ दिया। पिछले साल शहर को अपनी गिरफ्त में लेने के बाद महामारी इस साल की शुरूआत में कमजोर पड़ती नजर आई।
मुंबई। आमतौर पर बीसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) सेंसेक्स को देश की वित्तीय राजधानी मुंबई की सेहत के संकेतक के तौर पर देखा जाता है, लेकिन 2021 में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों ने दलाल स्ट्रीट के उतार चढ़ाव को पीछे छोड़ दिया। पिछले साल शहर को अपनी गिरफ्त में लेने के बाद महामारी इस साल की शुरूआत में कमजोर पड़ती नजर आई। जनवरी 2021 शुरू होने पर प्रतिदिन शहर में संक्रमण के 500 से अधिक मामले सामने आए। ये आंकड़ें क्रमिक रूप से घटे और लॉकडाउन पाबंदियों में छूट दी गई। महानगर की धमनियां कही जाने वाली उपनगरीय लोकल ट्रेन के दरवाजे एक फरवरी से आम आदमी के लिए खोल दिये गये। लेकिन अगले ही दिन से कोविड-19 के मामले बढ़ने शुरू हो गये।
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हामारी की पहली लहर अक्टूबर 2020 में शहर में चरम पर पहुंच गई, जब शहर में एक दिन में 2,800 नये मामले सामने आए थे। वहीं, 2021 में मार्च के दूसरे पखवाड़े में एक दिन में 3,000 से अधिक मामले सामने आए। हालांकि, बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने अपने बड़े कोविड-19 केंद्रों को बंद नहीं किया, जो 2020 में खोले गये थे। वहीं, वार्ड स्तर पर बनाये गये ‘वार रुम’ में अब नियमित रूप से टेलीफोन की घंटी बज रही है। ज्यादातर मामले आवासीय इमारतों से आ रहे हैं, ना कि धारावी जैसी झुग्गी बस्तियों से। शहर में चार अप्रैल 2021 को संक्रमण के 11,163 मामले सामने आए, जो उस वक्त की सर्वाधिक वृद्धि थी। अगले दिन से ही फिर से लॉकडाउन लगा दिया गया। शहर के अस्पतालों में 22,500 बिस्तर थे लेकिन वे पर्याप्त नहीं थे।
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मरीजों के रिश्तेदारों को बिस्तरों, ऑक्सीजन सिलेंडर और रेमडेसिविर जैसी दवाइयों के लिए भटकना पड़ा, जो या तो अनुपलब्ध थीं या जिनकी काला बाजारी हो रही थी। निर्बाध रूप से मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति करना बीएमसी के लिए चुनौती थी। स्थिति नियंत्रण से बाहर नहीं हुई हालांकि कुछ बहुत ही मुश्किल क्षणों का भी सामना करना पड़ा। महानगरपालिका के एक अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकनी ने 17 अप्रैल को ऑक्सीजन की कमी के चलते नगर निकाय के विभिन्न अस्पतालों से 168 मरीजों को दूसरे अस्पतालों में भेजे जाने को याद किया।उन्होंने कहा, ‘‘दूसरी लहर के दौरान यह सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण चीज थी।’’ कोविड-19 के प्रतिदिन के मामले बढ़ने पर एक बार फिर लोकल ट्रेन से यात्रा पर पाबंदियां लगा दी गईं। जमावड़े, कार्यकम और खेल गतिविधियों पर फिर से प्रतिबंध लगा दिये गये।
बीएमसी ने कोविड-19 से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने पर कुछ बॉलीवुड हस्तियों पर भी आपराधिक मामले दर्ज किये। मुंबई में एक मई को महाराष्ट्र स्थापना दिवस के दिन उस समय तक की सर्वाधिक 90 मौतें हुई। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया कि वास्तविक आंकड़ा इससे भी अधिक है। उपनगर भांडुप के एक निजी अस्पताल में 25 मार्च को आग लग जाने पर कोविड-19 के 11 मरीजों की मौत हो गई। महामारी की स्थिति में मई के अंत से सुधार आना शुरू हुआ क्योंकि प्रतिदिन के मामले घट कर तीन अंकों में रहे गये। हालांकि कोविड-19 के नये स्वरूप ओमीक्रोन ने शहर में छह दिसंबर को दस्तक दे दी जब विदेश से लौटे दो लोग इससे संक्रमित पाए गये। 22 दिसंबर तक शहर में ओमीक्रोन से संक्रमित 22 मरीज हैं लेकिन उनमें से ज्यादार में या तो संक्रमण के लक्षण नहीं हैं या हल्के लक्षण हैं। इस साल 16 जनवरी को टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद से मुंबई के 1.74 करोड़ से अधिक बाशिंदे कोविड-19 टीके की कम से कम एक खुराक ले चुके हैं। शहर के 75.70 लाख से अधिक लोगों को दोनों खुराक लग चुकी है।
महामारी की दूसरी लहर जब कमजोरपड़ रही थी तब17 मई को तौकते चक्रवात ने भारी बारिश की। वहीं, अत्यधिक भारी बारिश के चलते 18 जुलाई को चेम्बूर और विखोरली में हुए भूस्खलन में 29 लोगों की जान चली गई। इससे पहले, जून में मलवानी इलाके में मकान ढहने की घटना में 11 लोगों की मौत हो गई थी। अगस्त में राज्य के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने मुंबई के लिए एक जलवायु कार्य योजना की शुरूआत की।
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