Prajatantra: Manipur में Assam Rifles को लेकर विवाद, BJP की राज्य इकाई भी विरोध में उतरी, जानें पूरा मामला
असम राइफल्स भारत का सबसे पुराना अर्धसैनिक बल है और पूर्वोत्तर में अग्रणी उग्रवाद विरोधी बल है। इस पर पूर्वोत्तर भारत में सीमा सुरक्षा, उग्रवाद विरोधी और कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी है। इसके प्राथमिक कर्तव्य में भारत-म्यांमार सीमा की रक्षा करना शामिल है।
हिंसा प्रभावित मणिपुर में असम राइफल्स को मैतेई लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। कुछ लोग असम राइफल्स राज्य से हटाने की भी मांग कर रहे हैं। मणिपुर में राज्य पुलिस और असम राइफल्स के बीच तनातनी भी देखी जा रही है। इतना ही नहीं, मणिपुर पुलिस ने असम राइफल्स पर ऑपरेशन में बाधा डालने के आरोप में एफआईआर दर्ज की है। हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि आखिर हिंसा प्रभावित मणिपुर में असम राइफल्स को लेकर नाराजगी क्यों है। इसके पीछे की वजह क्या है।
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सबसे पहले असम राइफल्स के बारे में जाने
असम राइफल्स भारत का सबसे पुराना अर्धसैनिक बल है और पूर्वोत्तर में अग्रणी उग्रवाद विरोधी बल है। इस पर पूर्वोत्तर भारत में सीमा सुरक्षा, उग्रवाद विरोधी और कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी है। इसके प्राथमिक कर्तव्य में भारत-म्यांमार सीमा की रक्षा करना शामिल है। एआर गृह मंत्रालय द्वारा प्रशासित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में से एक है। भारतीय सेना असम राइफल्स का परिचालन नियंत्रण बनाए रखती है। इसे पहली बार 1835 में अंग्रेजों द्वारा कछार लेवी कहा गया था। तब से, असम राइफल्स के नाम में कई बदलाव हुए हैं - असम फ्रंटियर पुलिस (1883), असम सैन्य पुलिस (1891), और पूर्वी बंगाल और असम सैन्य पुलिस (1913), अंततः 1917 में असम राइफल्स बना।
क्या है आरोप
पिछले 3 महीने से मणिपुर में हिंसा का दौर जारी है। इन सबके बीच पिछले दिनों मणिपुर के विष्णुपुर जिले में मैतेई समुदाय के 3 लोगों की हत्या के बाद तनाव उत्पन्न हो गया। 5 अगस्त को इलाके में तनाव और भी बढ़ गया। इसके बाद को कुकी समुदाय से जुड़े हथियारबंद लोगों के खिलाफ पुलिस का जबरदस्त ऑपरेशन भी चला। राज्य की पुलिस असम राइफल्स पर यह आरोप लगा रही है कि उसने रास्ते में अपने वाहन खड़े कर दिए जिससे ऑपरेशन में बाधा पैदा हो गया। असम राइफल्स के इस काम के कारण कुकी उग्रवादी वहां से भागने में कामयाब हो गए। इन्हीं आरोपों की बुनियाद पर मणिपुर पुलिस की ओर से असम राइफल्स के खिलाफ आईपीसी की धारा 166, 186, 189, 341, 353, 506 और 34 के तहत केस दर्ज कराया गया है। आरोप में साफ तौर पर कहा गया है कि असम राइफल्स ने पुलिस की गाड़ियों को क्वाक्ता रोड पर रोक दिया था। एफआईआर में असम राइफल्स की 9वीं बटालियन के जवानों को आरोपी बनाया गया है।
सेना ने क्या कहा
थलसेना ने कहा कि मणिपुर में हिंसा को बढ़ावा देने वाले किसी भी प्रयास को रोकने के लिए कार्रवाई में वह और असम राइफल्स दृढ़ रहेंगे। सेना की ‘स्पीयर कोर’ ने ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा कि असम राइफल्स की छवि धूमिल करने के लिए मनगढ़ंत प्रयास किए गए हैं, जो जातीय हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति बहाल करने में लगी हुई है। बयान में कहा गया है, ‘‘कुछ उपद्रवी तत्वों ने तीन मई से मणिपुर में लोगों की जान बचाने और शांति बहाल करने की दिशा में लगातार काम कर रहे केंद्रीय सुरक्षा बलों, विशेष रूप से असम राइफल्स की भूमिका, इरादे पर सवाल उठाने के बार-बार और असफल प्रयास किए हैं।’’ सेना ने कहा कि यह समझने की जरूरत है कि मणिपुर में जमीन पर स्थिति की जटिल प्रकृति के कारण, विभिन्न सुरक्षा बलों के बीच कभी-कभी मतभेद होते हैं। उसने कहा कि हालांकि, कार्यात्मक स्तर पर ऐसी सभी गलतफहमियों को मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति की बहाली के प्रयासों में तालमेल बिठाने के लिए संयुक्त तंत्र के माध्यम से तुरंत दूर किया जाता है।
राज्य भाजपा का भी विरोध
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मणिपुर इकाई ने राज्य में तैनात असम राइफल्स को जनता के हित को ध्यान में रखते हुए हटाकर ‘‘किसी अन्य अर्धसैनिक बल की तैनाती करने’’ और जारी जातीय अशांति का जल्द सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने के लिए हस्तक्षेप करने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अनुरोध किया है। भाजपा की मणिपुर इकाई ने प्रधानमंत्री मोदी को संबोधित एक ज्ञापन में कहा, जातीय हिंसा के संबंध में और राज्य में शांति बनाए रखने में असम राइफल्स की भूमिका काफी आलोचना की जा रही है और बल के खिलाफ लोगों में आक्रोष है। पार्टी ने कहा, ‘‘तीन मई को हिंसा के पहले दिन से ही असम राइफल्स राज्य में शांति बहाल करने के लिए तटस्थता बनाए रखने में विफल रहा है। पार्टी इकाई ने कहा, राज्य में बेहद नाजुक हालात और संवेदनशील जातीय अशांति में पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाने के लिए असम राइफल्स के प्रति जनता का आक्रोष और विरोध लगातार देखा जा रहा है। पार्टी की मणिपुर इकाई अध्यक्ष ए. शारदा देवी और उपाध्यक्ष चिदानंद द्वारा हस्ताक्षरित इस ज्ञापन में हाल की घटना का उल्लेख किया गया है।
बिष्णुपुर में चौकी से जवानों को हटाया गया
मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में मोइरांग लमखाई चौकी पर तैनात असम राइफल्स के जवानों को हटा लिया गया है और उनकी जगह केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) तथा राज्य पुलिस को तैनात कर दिया है। असम राइफल्स के जवानों को ऐसे समय में वापस बुलाया गया है जब घाटी के जिलों में महिलाओं के कई समूहों ने हिंसाग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य से अर्धसैनिक बल को हटाने की मांग करते हुए सोमवार को प्रदर्शन किया था। बिष्णुपुर में पिछले सप्ताह फिर से हिंसा हुई थी। हालांकि, सेना ने कहा कि असम राइफल्स को एक क्षेत्र से बाहर ले जाया जाना उससे संबंधित तक नहीं है।
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मणिपुर में 3 मई से बाद से हिंसा जारी है। गृह मंत्री अमित शाह ने संसद को बताया कि मणिपुर में हिंसक घटनाओं में अब तक 152 लोग मारे गए हैं। इन घटनाओं को लेकर 1106 प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं और लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि मणिपुर में स्थिति को नियंत्रित करने और शांति बहाली की कोशिश की जा रही है। प्रजातंत्र में हिंसा की कोई जगह नहीं होती।
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