Malkapur विधानसभा सीट पर भाजपा के गढ़ में कांग्रेस ने लगाई थी सेंधमारी, इस बार के चुनाव में पार्टी वापसी को तैयार
विधानसभा चुनाव में अब सिर्फ कुछ ही दिनों का समय बचा है। अगले 15 दिनों के भीतर निर्वाचन आयोग चुनावों का ऐलान कर सकता हैं। ऐसे में राजनीतिक धुरंधर पूरी तरह से चुनावी संग्राम में कूदने को तैयार हैं। सियासतदान जनता को रिझाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाएंगे।
महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव में अब सिर्फ कुछ ही दिनों का समय बचा है। अगले 15 दिनों के भीतर निर्वाचन आयोग चुनावों का ऐलान कर सकता हैं। ऐसे में राजनीतिक धुरंधर पूरी तरह से चुनावी संग्राम में कूदने को तैयार हैं। सियासतदान जनता को रिझाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाएंगे। कोई घड़ियाली आंसू बहाएगा, तो कोई वादों का पिटारा खोलकर जनता को लुभाने का काम करेगा। इसका अंदाजा लगाने के लिए हम भी विधानसभा क्षेत्रवार विश्लेषण कर रहे हैं। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने चैनसुख मदनलाल संचेती को अपना उम्मीदवार घोषित किया है।
मलकापुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र बुलढाणा जिले में स्थित है। यह सीट बुलढाणा जिले के नंदुरा और मलकापुर दो तहसीलों से मिलकर बनती है। लेकिन मलकापुर विधानसभा सीट बुलढाणा संसदीय क्षेत्र में न आकर जलगांव जिले के रावेर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है। रावेर लोकसभा सीट में मलकापुर के अलावा चोपड़ा, रावेर, भुसावल, जामनेर और मुक्ताईनगर विधानसभा सीटें शामिल हैं। वहीं बुलढाणा ससंदीय क्षेत्र में बुलढाणा, चिखली, सिंदखेड़ राजा, मेहकर, खामगांव और जलगांव (जामोद) विधानसभा सीट आती है।
मलकापुर विधानसभा सीट का इतिहास काफी पुरानी है। यह सीट 1952 से अस्तित्व में है। इस सीट को बीजेपी का गढ़ भी कहा जाता हैं। क्योंकि 1999 से यहां लगातार बीजेपी का कब्जा रहा। लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के राजेश एकाडे ने बीजेपी के किले का ढहा दिया।
समझिए मलकापुर सीट के जातीय आंकड़े
इस विधानसभा सीट पर दलित मुस्लिम गठजोड़ किसी भी उम्मीदवार को विजयी बनाने में अहम भूमिका निभाता है। इस सीट पर 2019 के विधानसभा आंकड़ों के अनुसार कुल 2 लाख 68 हजार 718 मतदाता हैं। जिनमें से 20 फीसदी मुस्लिम तो 14 फीसदी के आसपास दलीत वोटर्स हैं। साथ ही 5 फीसदी के आसपास आदिवासी वोटर्स भी हैं।
2024 के समीकरण
बीजेपी का गढ़ कहे जाने वाली मलकापुर विधानसभा सीट पर 2019 में हार में कांग्रेस के हाथों हार मिलने के बाद बीजेपी इसे फिर से वापिस लेना की पुरजोर कोशिश करेगी। यह सीट रावेल संसदीय क्षेत्र में आती है जहां 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की रक्षा खडसे ने जीत दर्ज की है। वहीं पिछली बार कांग्रेस हाथ लगी सीट वह भी गंवाना नहीं चाहेगी। ऐसे में यहां भाजपा बनाम कांग्रेस की लड़ाई मलकापुर की जनता किसे चुनेगी यह भविष्य की गर्त में छिपा एक रहस्य है।
चैनसुख मदनलाल संचेती का परिचय
चैनसुख मदनलाल संचेती का जन्म 16 दिसंबर 1953 को श्री मदनलाल संचेती और श्रीमती मदनबाई संचेती के घर हुआ था। उनके पिता और चाचा जनसंघ के समर्पित सदस्य, आरएसएस के स्वयंसेवक और भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से थे। उनके चाचा श्री किसनलाल संचेती भी मलकापुर से विधान सभा के सदस्य थे। संचेती ने अपनी प्राथमिक शिक्षा आदर्श विद्यालय, मलकापुर से पूरी की और धनवटे कॉलेज, नागपुर से विज्ञान स्नातक (बीएससी) की उपाधि प्राप्त की। बाद में उन्होंने नागपुर के विज्ञान संस्थान से ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में मास्टर ऑफ साइंस (एमएससी) की उपाधि प्राप्त की। संचेती को 1977 में नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा "मिस्टर यूनिवर्सिटी" की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था।
राजनीतिक कैरियर
पूर्व विधायक संचेती ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत सत्तर के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के छात्र नेता के रूप में की थी। 1976 में वे श्री शिवाजी एजुकेशन सोसाइटी के साइंस कॉलेज, धनटोली, नागपुर के छात्र परिषद के अध्यक्ष चुने गए। 1978 में संचेती को जनता युवा मोर्चा, महाराष्ट्र (बीजेपी के गठन से पहले जनता पार्टी में) का सचिव नियुक्त किया गया। 1980 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा , महाराष्ट्र राज्य का सचिव नियुक्त किया गया। संचेती पार्टी और मुख्यधारा की राजनीति में लगातार आगे बढ़ते रहे। 1984 में संचेती को महाराष्ट्र भाजपा का सचिव नियुक्त किया गया। 1989 में उन्हें महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में भाजपा का महासचिव नियुक्त किया गया। संचेती ने महाराष्ट्र भाजपा के सचिव, महासचिव और उपाध्यक्ष के रूप में भी काम किया है।
संचेती का विधायी करियर 1990 में शुरू हुआ जब वे पहली बार मलकापुर से नगर निगम पार्षद चुने गए। बाद में 1990-1994 तक मलकापुर नगर परिषद के विपक्ष के नेता चुने गए। 1995 से संचेती लगातार मलकापुर विधानसभा क्षेत्र से महाराष्ट्र विधान सभा के सदस्य चुने गए हैं। 2019 के विधानसभा चुनावों में मतदाताओं ने संचेती के विजयी विधायक करियर को समाप्त कर दिया और लोगों ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक युवा नवोदित राजेश पंडितराव एकडे को चुना।
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