सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद विपक्ष ने उठाए एजेंसियों पर सवाल, PM Modi को भी लिखा पत्र
नेताओं ने आरोप लगाया कि विपक्षी नेताओं के मामलों को दर्ज करने या गिरफ्तार करने का समय "चुनावों के साथ मेल खाता था" जिससे यह स्पष्ट होता है कि की गई कार्रवाई "राजनीति से प्रेरित" थी।
आबकारी नीति मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी पर रविवार को आठ राजनीतिक दलों के नौ नेताओं ने विपक्ष की आवाज को बुलंद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एजेंसियों का 'दुरुपयोग' किया जा रहा है। केंद्रीय एजेंसियों का सुझाव है कि देश "लोकतंत्र से निरंकुशता में परिवर्तित हो गया है"।
नेताओं ने आरोप लगाया कि विपक्ष के नेताओं के खिलाफ मामले उस समय दर्ज किए गए या उन्हें उस समय गिरफ्तार किया गया जब चुनाव नजदीक थे। इससे ये स्पष्ट होता है कि सभी कार्रवाई राजनीति से प्रेरित थी।
इन नेताओं ने किए हस्ताक्षर
पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले विपक्षी नेताओं में बीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव, जेकेएनसी प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, एआईटीसी प्रमुख ममता बनर्जी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, उद्धव ठाकरे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राजद नेता तेजस्वी यादव और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का नाम शामिल है। हालांकि, पत्र में कांग्रेस, जेडीएस, जेडी (यू) और सीपीआई (एम) से कोई प्रतिनिधित्व नहीं था।
बता दें कि इस पत्र में नेताओं ने लिखा, "हमें उम्मीद है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि भारत अभी भी एक लोकतांत्रिक देश है। विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के घोर दुरुपयोग से लगता है कि हम एक लोकतंत्र से निरंकुशता में परिवर्तित हो गए हैं।"
सीबीआई द्वारा 26 फरवरी को गिरफ्तार किए गए सिसोदिया के खिलाफ कार्रवाई को लेकर भी नाराजगी जाहिर की है। पत्र में ये भी आरोप लगाया गया कि आबकारी नीति के संबंध में लगाए गए आरोप "एक राजनीतिक साजिश के तहत किए गए है। उन्होंने दावा किया कि सिसोदिया की गिरफ्तारी ने देश भर के लोगों को "क्रोधित" किया है और आरोप लगाया है कि उनकी गिरफ्तारी "इस बात की पुष्टि करेगी कि दुनिया केवल क्या संदेह कर रही थी" कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को "खतरा" था
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