Sheikh Hasina को फांसी पर लटकाने वाले थे यूनुस, इधर अमेरिका ने अच्छे से बता दिया, बाइडेन Gone ट्रंप On

Sheikh Hasina
ANI/@MAarafat71
अभिनय आकाश । Mar 20 2025 2:41PM

यूनुस सरकार अब शेख हसीना को मौत की सजा देने की प्लानिंग कर रही है। शेख हसीना पर दो केस दर्ज हैं। जिसमें एक में उन्हें या आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा सकती हैं। वहीं शेख हसीना भी भारत में बैठकर अपने कार्यकर्ताओं में जोश भर रही हैं और वापसी की उम्मीद जता रही हैं। अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस की डॉयरेक्टर ने कह दिया कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले ट्रंप के लिए चिंता का अहम विषय हैं।

पाकिस्तान और अमेरिका की लेफ्ट लॉबी के चक्कर में बांग्लादेश बुरी तरह से फंस चुका है। दूसरी तरफ शेख हसीना भारत में बैठकर दहाड़ मार रही हैं। अब अमेरिका ने यूक्रेन की तरह बांग्लादेश में भी पाला बदल लिया है। यूनुस सरकार पर सवाल खड़ा करते हुए अल्पसंख्यकों पर हमलों और उत्पीड़न पर चिंता जताने के साथ अपनी प्राथमिकता भी बताई है।  बांग्लादेश में यूनुस सरकार को अपने अंतिम दिन दिखाई पड़ने लगे हैं। जिस अमेरिका के दम पर उन्होंने शेख हसीना का तख्तापलट किया। अब वो यूनुस नहीं बल्कि भारत के साथ है। दूसरी तरफ यूनुस सरकार अब शेख हसीना को मौत की सजा देने की प्लानिंग कर रही है। शेख हसीना पर दो केस दर्ज हैं। जिसमें एक में उन्हें या आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा सकती हैं। वहीं शेख हसीना भी भारत में बैठकर अपने कार्यकर्ताओं में जोश भर रही हैं और वापसी की उम्मीद जता रही हैं। अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस की डॉयरेक्टर ने कह दिया कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले ट्रंप के लिए चिंता का अहम विषय हैं। 

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बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर तुलसी की टिप्पणी

तुलसी गबार्ड ने एक भारतीय टेलीविजन चैनल पर कहा था कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा इस्लामवादी खिलाफत के साथ शासन करने की विचारधारा और उद्देश्य में निहित है। उन्होंने यह भी कहा कि इस्लामी आतंकवाद का मामला चिंता का मुख्य विषय बना हुआ है। तुलसी गैबार्ड ने यह भी कहा कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के बीच बातचीत शुरू हो रही है, लेकिन इस्लामिक आतंकवाद का मुद्दा अब भी अमेरिका के लिए प्रमुख चिंता का विषय बना हुआ है।

गीता पर हाथ रखकर ली थी शपथ

43 वर्षीय गबार्ड का जन्म अमेरिकी क्षेत्र अमेरिकी समोआ में हुआ था, उनका पालन-पोषण हवाई में हुआ और उन्होंने अपने बचपन का एक साल फिलीपींस में बिताया।  बाद में वह हवाई का प्रतिनिधित्व करते हुए कांग्रेस के लिए चुनी गईं। सदन की पहली हिंदू सदस्य के रूप में गबार्ड ने हिंदू भक्ति कृति भगवद गीता पर हाथ रखकर पद की शपथ ली। वह कांग्रेस के लिए चुनी गई पहली अमेरिकी सामोन भी थीं। अपने चार सदन कार्यकाल के दौरान वह अपनी पार्टी के नेतृत्व के खिलाफ बोलने के लिए जानी गईं। उन्होंने मध्य पूर्व में जिहादी समूहों को अमेरिकी सरकार द्वारा वित्तपोषित किए जाने के खिलाफ़ बार-बार आवाज़ उठाई है और 2016 में स्टॉप आर्मिंग टेररिस्ट एक्ट पेश किया है। विकीलीक्स के दस्तावेज़ों का हवाला देते हुएउन्होंने सीरिया में अपनी सरकार की शासन-परिवर्तन नीति की आलोचना की। बांग्लादेश पर गैबार्ड की हालिया टिप्पणियों ने देश में आक्रोश पैदा कर दिया है और इसे अत्यधिक भड़काऊ माना जा रहा है। यह देखते हुए कि वह आमतौर पर जिन विषयों पर चर्चा करती हैं, उनके बारे में कुछ हद तक अच्छी जानकारी रखती हैं।

अमेरिका को देनी पड़ गई सफाई 

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को लेकर अमेरिकी खुफिया प्रमुख तुलसी गैबार्ड के बयान से उठे विवाद के बीच व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिका बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का स्वागत करता है। अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा कि अमेरिका अल्पसंख्यकों के खिलाफ किसी भी हिंसा या असहिष्णुता की निंदा करता है। उन्होंने कहा कि हम सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का स्वागत करते हैं। हम यही देख रहे हैं, यही हमारी अपेक्षा है और यह जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि हम अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा या असहिष्णुता की निंदा करते हैं और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा सभी के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयासों का स्वागत करते हैं। यही हमारी उम्मीद है और यही हमारी प्राथमिकता बनी रहेगी।

उनका यह आरोप कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न, हत्या और दुर्व्यवहार लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे हैं और देश में “इस्लामिक आतंकवादियों का खतरा” एक इस्लामी खिलाफत स्थापित करने की “विचारधारा और उद्देश्य” में निहित है, पूरी तरह से निराधार है। इसके अलावा, उन्होंने अपने दावे का समर्थन करने के लिए कोई सबूत या तथ्य नहीं दिए - उनके लिए यह एक असामान्य दृष्टिकोण है। बांग्लादेश से परिचित कोई भी व्यक्ति यह दावा नहीं करेगा कि देश में सांप्रदायिकता नहीं है। हालांकि, बांग्लादेश सबसे कम सांप्रदायिकता वाले देशों में से एक है, क्योंकि यहां अंग्रेजों ने सांप्रदायिक तनाव को भड़काने के लिए अपनी फूट डालो और राज करो की रणनीति को अपनाया था। इसके बावजूद, 5 अगस्त, 2024 को अवामी लीग (एएल) सरकार के पतन के बाद से, भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया के कुछ हिस्सों ने दावा किया है कि अल्पसंख्यकों - विशेष रूप से हिंदुओं - को बांग्लादेश में "व्यवस्थित रूप से" निशाना बनाया गया है। इनमें से कई रिपोर्टें भ्रामक, विकृत या पूरी तरह से झूठी थीं।

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बांग्लादेश ने किया पलटवार 

बांग्लादेश सरकार ने टिप्पणियों की कड़ी आलोचना की और उन्हें देश की प्रतिष्ठा के लिए भ्रामक और हानिकारक बताया। मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के कार्यालय ने एक बयान में कहा कि गबार्ड की टिप्पणियों ने पूरे देश को गलत तरीके से चित्रित किया है। बयान में कहा गया यह बयान भ्रामक है और बांग्लादेश की छवि को नुकसान पहुंचाता है। हमारे देश में समावेशी और शांतिपूर्ण इस्लाम का लंबा इतिहास रहा है और इसने चरमपंथ और आतंकवाद से लड़ने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। बयान में आगे कहा गया है कि बांग्लादेश को चरमपंथ से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इसने इस मुद्दे को हल करने के लिए कानून प्रवर्तन, सामाजिक सुधारों और आतंकवाद विरोधी प्रयासों का उपयोग करते हुए अमेरिका सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम किया है।

बाइडेन जा चुके अब यूनुस भी जाएंगे? 

पहले तो मोहम्मद युनूस ने सेना के सहारे तख्तापलट किया और देश को चरमपंथियों और कट्टरपंथियों के हाथों सौंप दिया। जिसमें देश में अराजकता और बवाल के साथ ही आईएसआई के इशारे पर दूसरा पाकिस्तान बनने की ओर बढ़ने लगा। अब यूनुस सरकार शेख हसीना को मौत की सजा देने की तैयारी कर रही है। शेख हसीना पर जुलाई और अगस्त में नरसंहार को लेकर केस दर्ज किया गया। मानवता के खिलाफ अपराध और हत्या जैसे गंभीर मामलों की जांच जारी हैं। जिसमें मृत्युदंड, आजीवान कारावास या कठोर सजा का प्रावधान है। भले ही युनूस सरकार शेख हसीना को दोषी भी साबित कर दे। लेकिन सजा देना इतना आसान नहीं है। हो सकता है शेख हसीना का दोषी साबित होना यूनुस के लिए देश में माहौल बनाने के काम आ सकता है। लेकिन तख्तापलट के बाद यूनुस सरकार जिन कट्टरपंथियों के सहारे माहौल बना रही थी। बांग्लादेश को इस्लामिक राज्य बनाने का सपना देख रही थी। अब उस पर पानी फिरने वाला है। यूनुस ने बाइडेन प्रशासन के सहयोग से सरकार बनाई थी। लेकिन अब बाइडेन जा चुके हैं। ट्रंप आ चुके हैं। चुनाव के दौरान देश में अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाने वाले ट्रंप अब राष्ट्रपति हैं। बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है उसे मोदी के भरोसे छोड़ दिया है।  

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