ऐ बिहा#$री! कभी जिसे दहेज में मिला था पाकिस्तान-अफगानिस्तान, कितना बदला वो बिहार? कितने बदले बिहारी?

Bihar
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अभिनय आकाश । Mar 22 2025 2:14PM

दुनिया के दो बड़े धर्म जैन और बुद्ध इनके प्रमुख स्थान बिहार से हैं। जिसने दुनिया को जीरो दिया या जो दुनिया का प्रथम राष्ट्रपति बना उन दोनों का जन्म बिहार में है। बिहार की चर्चा आज इसलिए भी कर रहा हूं क्योंकि कई ऐसे हैं जिन्हें लगता है कि बिहार पिछड़ेपन की पहचान है। बिहार को देश से निकाल दिया जाए तो देश विकसित कहलाएगा। आज बिहारी एक गाली की तरह इस्तेमाल होता है।

वर्ष 1893 आरा जिले का एक लड़का लंदन में बैरिस्टरी की पढ़ाई पूरी करके लौट रहा था। रास्ते में एक अंग्रेज वकील ने उनसे परिचय पूछा, तब उन्होंने अपना नाम बताते हुए स्वयं को बिहारी बताया। सहयात्री ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा- कौन सा बिहार, भारत में ऐसे किसी प्रांत के बारे में तो नहीं सुना है। यही सवाल डॉ. सिन्हा को चुभ गया और उन्होंने पृथक बिहार गढ़ने का निश्चय किया। ये शख्स कोई और नहीं संविधान सभा के अस्थायी और अंतरिम अध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा थे। बिहार जहां की फिजाओं में महावीर और बुद्ध की वाणी की गूंज है। जहां की मिट्टी ने आचार्य चाणक्य जैसे नीति विषारद को जना। जहां बहती गंगा की रवानी है। गुरु गोविंद सिंह, जय प्रकाश नारायण की गौरवशाली कहानी है। जी हां, हम बात बिहार की कर रहे हैं।  बिहार सिर्फ एक राज्य नहीं बल्कि संस्कृति, ज्ञान और पराक्रम की भूमि है। जहां एक ओर नालंदा और विक्रमशिला ज्ञान की परंपरा से लेकर स्वतंत्रता संग्राम तक बिहार ने भारत के इतिहास में कई स्वर्णिम अध्याय लिखे। वहीं हम कह सकते हैं कि लोकगीतों के गूंजन, मिथिला की पेटिंग और छठ पूजा की आध्यात्मिक आभा ने बिहार की पहचान को अनमोल बनाया है। बिहार ने ज्ञान, राजनीति और इतिहास में अमिट छाप छोड़ी है। जहां से सम्राट अशोक का साम्राज्य फला फूला और जहां से गौतम बुद्ध से शांति और करुणा का संदेश दिया। आज अपने निवासियों के खराब सिविक सेंस के लिए बदनाम हो रहा है। एक समय में सबसे टैलेंट विद्यार्थियों को देने वाला बिहार आज मजदूर बनाने की फैक्ट्री बन गया है। बिहार वो स्टेट है जो यूपी के बाद देश को सबसे ज्यादा आईएएस देता है। दुनिया के दो बड़े धर्म जैन और बुद्ध इनके प्रमुख स्थान बिहार से हैं। जिसने दुनिया को जीरो दिया या जो दुनिया का प्रथम राष्ट्रपति बना उन दोनों का जन्म बिहार में है। बिहार की चर्चा आज इसलिए भी कर रहा हूं क्योंकि कई ऐसे हैं जिन्हें लगता है कि बिहार पिछड़ेपन की पहचान है। बिहार को देश से निकाल दिया जाए तो देश विकसित कहलाएगा। आज बिहारी एक गाली की तरह इस्तेमाल होता है। 

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बिहारी भगाओ देश बचाओ? 

आपने ऐसे कई वीडियो देखे होंगे जिसमें बिहार और बिहारी लोगों के लिए सम्मानजनक शब्द इस्तेमाल नहीं किए जाते। बिहार जो कभी प्राचीन भारत की सांस्कृति और बौद्धिक राजधानी था। आज भारत के सबसे पिछड़े राज्यों में से एक माना जाता है। बिहार के केंद्रीय विद्यालय में पोस्टिंग दिए जाने के बाद धावा प्रवाह गालियों की बौधार करने वाली मॉर्डन शिक्षिका का वीडियो तो आपने खूब देखा होगा। अगर नहीं देखा तो हम आपको बता देते हैं कि इन मैडम के मन में बिहार के प्रति इतनी घृणा रही कि वो कहती हैं कि बिहार की वजह से देश विकसित नहीं बन पाया। बिहारियों को तो सिविक सेंस हैं ही नहीं। जिस दिन बिहार को देश से हटा दिया जाएगा। देश डेवलप कंट्री बन जाएगा। आसान शब्दों में कहें तो मैडम कहना चाहती थी कि बिहार देश का सबसे घटिया और पीछिड़ा क्षेत्र है। अब इसे अज्ञानता कहे, पूर्वाग्रह या सोशल मीडिया पर वायरल होने की निंजा तकनीक लेकिन जब मैडम ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट किया तो ये बात बिहारियों को और बिहार से प्यार करने वाले देशवाशियों को रास नहीं आई। 

कैसे बना बिहार

22 मार्च 1912 को बिहार को बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग कर एक स्वतंत्र राज्य का दर्जा दिया गया था। तब से हर साल 22 मार्च को बिहार दिवस के रूप में मनाया जाता है। बेमिसाल बिहार अपना 113 वां दिवस मना रहा। बिहार दिवस उत्सव सिर्फ बिहार के जन्म दिवस का ही नहीं बल्कि हर बिहारी में बसे बिहारिपन का भी उत्सव है। ये वक्त हमारी प्राचीन और समृद्ध विरासत के गान पर झूमने का है, जिसक रंग में पूरा प्रदेश झूमेगा।  लेकिन इसके साथ एक सवाल भी उठता है, जो सीने में चुभता है। कितना बदला बिहार? कितने बदले बिहारी? 

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एक बिहारी को दहेज में मिला था पाकिस्तान अफगानिस्तान

ये कहानी सिकंदर के आक्रमण के समय की है। सिकंदर यूनान से आया था। उसने 326 ईसा पूर्व में भारत पर हमला किया लेकिन वो व्यास नदी को पार नहीं कर पाया। सिकंदर का सेनापति सेल्युकस निकेटर था। वो बाद में भारत आया और व्यास नदी को पार कर गया। उस समय मगध पर चंद्रगुप्त मौर्य का शासन था। चंद्रगुप्त के प्रधानमंत्री चाणक्य थे। चाणक्य ने अपनी नीतियों से सिकंदर को लौटने के लिए मजबूर कर दिया। चंद्रगुप्त मौर्य के पास हाथियों की एक बड़ी सेना थी। सेल्युकस को जब ये पता चला, तो वो भी हाथियों के साथ लड़ने आया। चाणक्य ने चंद्रगुप्त को सलाह दी कि वो हाथियों के सामने घोड़ों की सेना उतार दें। उन्होंने बारिश के मौसम का इंतजार किया और उस जगह पर युद्ध शुरू किया जहां पानी भर जाता था। पानी भरने से हाथियों को चलने में परेशानी होने लगी। घोड़े हाथियों पर भारी पड़ने लगे। सेल्युकस रथ लेकर लड़ने आया था। चंद्रगुप्त की सेना में खुले घोड़े थे। सेल्युकस युद्ध में फंस गया। ऐसा कहा जाता है कि अगर लड़ाई एक-दो दिन और चलती तो वह मारा जाता। इसलिए, सेल्युकस ने चंद्रगुप्त मौर्य से अपनी बेटी हेलन की शादी करने का फैसला किया। उसने दहेज में एरिया (हेरात), अराकोसिया (कंधार), जेड्रोसिया (मकरान/बलूचिस्तान) और पेरोपेनिसडाई (काबुल) का इलाका दे दिया। इस तरह, पूरा पाकिस्तान और अफगानिस्तान चंद्रगुप्त मौर्य को दहेज में मिला था।

कितना विकास किसका विकास? 

बिहार में पुरानी कहावत है जब ले ऊंच होइए, तब ले नीच देखिए यानी जब ऊंचाई पर पहुंचो तभी नीचे की गहराई समझ आती है। बिहार की ऊंचाई उसके अतीत में थी। लेकिन आज वो नीचे की गहराई में खड़ा है। बिहार का विकास एक पहेली की तरह है। एक ओर, पिछले दो दशकों में सड़कों का जाल बिछा है। बिजली गांव-गांव तक पहुंचीी है। साक्षरता दर में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। 2001 में जहां ये 47% थी। वहीं 2021 lk /s 79.7% तक पहुंच गई है। बिहार की अर्थव्यवस्था भी तेजी से बढ़ रही है। 2022-23 में इसकी विकास दर 10.43 रहही। जो राष्ट्रीय औसत 7.2% से कहीं अधिक है। लेकिन बिहार की जरबरत अब रोटी, कपड़ा और मकान से आगे की है। 

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