Pakistan के प्यारे अर्दोआन देश छोड़कर भाग गए? तुर्की में बवाल की असली कहानी क्या है

अर्दोआन की तानाशाही का ही ये नतीजा है कि आज तुर्की की सड़कों पर भड़के लोग अर्दोआन के खिलाफ नारे लगा रहे हैं। तुर्की में इस्लामिक खिलाफत वापस लाने का मंसूबा रखने वाले राष्ट्रपति रिचब तैयब अर्दोआन विद्रोहियों को पूरी तरह से कुचलने में जुट गए हैं।
साल 2016 जुलाई का महीना तुर्की के टर्किश रेडियो एंड टेलीविजन कॉरपोरेशन (टीआरटी) के दफ्तर में एंकर पर बंदूक तान विद्रोहियों ने एक ऐलान पढ़ने को कहा। ऐलान क्या था- "वर्तमान सरकार ने देश का लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष चेहरा बिगाड़ दिया है। अब तुर्की का शासन पीस एट होम काउंसिल के हाथों में है। ये काउंसिल तुर्की के लोगों की सुरक्षा करेगी। अर्दोआन सरकार पर मानवाधिकारों का उल्लंघन, भ्रष्टाचार को बढ़ावा, संवैधानिक अधिकारों पर रोक जैसे आरोप लगाए गए।" ये तब की बात है जब तुर्की में एक तख्तापलट की कोशिश देखने को मिली थी। लेकिन कट टू साल 2025 मार्च के महीने में एक बार फिर से तुर्की विरोध की आग में सुलग रहा है। दुनिया में इस्लामिक खिलाफत को वापस लाने का सपना देख रहे आर्दआन की कलई अब खुलकर सामने आ रही है। अर्दोआन की तानाशाही का ही ये नतीजा है कि आज तुर्की की सड़कों पर भड़के लोग अर्दोआन के खिलाफ नारे लगा रहे हैं। तुर्की में इस्लामिक खिलाफत वापस लाने का मंसूबा रखने वाले राष्ट्रपति रिचब तैयब अर्दोआन विद्रोहियों को पूरी तरह से कुचलने में जुट गए हैं। तुर्की की पुलिस ने अर्दोआन के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी और देश की सबसे बड़ी आबादी वाले शहर इंस्ताबुल के मेयर को हिरासत में ले लिया है। पूरे देश में अर्दोआन की हरकत को लेकर गुस्सा भड़का हुआ है। आखिर क्यों सुलग रहा तुर्की? सड़क पर क्यों हजारों लोग उतरे हुए हैं। पूरी कहानी विस्तार से बताते हैं।
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तुर्की में हो क्या रहा है
तुर्किए में रहना है तो अर्दोआन-अर्दोआन कहना है। नहीं किया तो आपको रास्ते से हटाने की साजिश की जाएगी। गिरफ्तार किया जाएगा और फर्जी केस में फंसाकर जेल में बंद कर दिया जाएगा। 19 मार्च 2025 को इंस्ताबुल में ऐसा ही कुछ दिखा। जहां पुलिस शहर के मेयर इमामोग्लू को उठाकर ले गई। इसके बाद कई शहर में प्रदर्शन शुरू हो गए। लोगों ने अर्दोआन तानाशाह के नारे लगाए। सरकार ने इंस्ताबुल में चार दिनों तक प्रदर्शन पर बैन लगा दिया। इसके बावजूद लोग सड़कों पर उतर ही रहे। जानकारों का कहना है कि तुर्की में ऐसा गुस्सा कई बरसों में पहली बार देखने को मिला है। इमामोग्लू पिछले कुछ महीनों में अर्दोआन के सबसे बड़े प्रतिद्वंवदी बनकर उभरे हैं। उनके लीडरशिप में सीएचपी ने 2024 के लोकल इलेक्शन में जबरदस्त जीत दर्ज की थी। इससे अर्दोआन की बादशाहत को भारी झटका लगा था। तभी से इमामोग्लू अर्दोआन के निशाने पर थे। हाल के दिनों में उन्हें राष्ट्रपति पद का एक प्रबल दावेदार माना जा रहा था। इसके चलते अर्दोआन की चिंताएं बढ़ी हुई थी। इमामोग्लू पर कार्रवाई को बदले की कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है। इमामोगलू की गिरफ्तारी से तुर्किये की राजनीति में हलचल मच गई है। इसे अर्दोआन के खिलाफ वढ़ती चुनौतियों को दवाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
क्या हो सकता है आगे?
इमामोग्लू पर इस्तांबुल नगरपालिका चुनावों के लिए कुर्द समूहों के साथ कथित रूप से गठबंधन करके प्रतिबंधित कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी या पीकेके की सहायता करने का भी आरोप लगाया गया है। तुर्किये में दशकों से चल रहे विद्रोह के पीछे पीकेके को अंकारा, वॉशिंगटन और अन्य सहयोगियों द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है। अगर इमामोगलू पर पीकेके (PKK) से संबंध सावित होते हैं, तो उन्हें मेयर पद से हटाया जा सकता है। इमामोगल पर पहले से ही कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। हाल ही में एक विश्वविद्यालय ने उनके डिप्लोमा को अवैध घोषित किया, जिससे उनकी राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की संभावना है।
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क्यों निशाने पर हैं मेयर?
मार्च 2019 में इमामोग्लू को तुर्किये के सबसे बड़े शहर का मेयर चुना गया, जो अर्दोआन की जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी के लिए ऐतिहासिक झटका था, जिसने एक चौथाई सदी तक इस्तांबुल को कंट्रोल किया था। अर्दोआन की पार्टी ने अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए 16 मिलियन की आबादी वाले शहर में नगरपालिका चुनाव के नतीजों को रद्द करने पर जोर दिया। फिर चुनाव फिर से हुए, जिसमें इमामोग्लू फिर जीते।
जर्मनी के चांसलर ने बताया खराब
इमामोग्लू, राष्ट्रपति रेचेप तैयप अर्दोआन के कड़े प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं। आलोचकों का मानना है कि यह कार्रवाई अर्दोगान की सत्ता को मजबूत करने के लिए की गई है। जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्ज ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे तुर्किये के लोकतंत्र और यूरोप-तुर्किये संबंधों के लिए एक खराब संकेत बताया।
साल 2016 में विद्रोहियों ने इंस्ताबुल पर कर लिया था कब्जा
15 जुलाई 2016 की बात है। तुर्की के मिलिट्री हेडक्वार्टर में हंगामा मचा था। शाम के 4:00 बजे उनके पास एक खुफिया रिपोर्ट नेशनल इंटेलिजेंस आर्गनाइजेशनकी (एमआईटी) तरफ से आई थी। कुछ हैरतअंगेज जानकारियां उनके हाथ लगी थी। एमआईटी ने तुरंत ही रिपोर्ट बनाकर आर्म्ड फोर्स के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ हुलुस अकर को भेज दिया। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि सेना का एक गुट लंबे समय से तख्तापलट की साजिश रच रहा है। कल की रात देश में कुछ बड़ा होने वाला है। कहां और क्या इसके बारे में बस अनुमान लगाया गया था। चीफ ऑफ स्टाफ ने तुरंत राष्ट्रपति रेचेप तैयब अर्दोआन को फोन मिलाया। राष्ट्रपति उस वक्त छुट्टी मनाने तुर्की के साउथ वेस्ट इलाके मामरस में थे। वो फोन रिसीव नहीं कर पाए। ये बड़ी संकट की घड़ी आर्म्ड फोर्स के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ के सामने आ गई। अकर ने एमआईटी के चीफ को साथ लेकर तय किया कि संभावित खतरे से कैसे निपटा जाए। आर्मी की यूनिट को कहां तैनात किया जाए। उन्हें लगा कि वो पूरी स्थिति को संभाल लेंगे। क्या ऐसा हो पाया, जवाब है नहीं। चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का सेक्रेटरी विद्रोही गुट के साथ मिला हुआ था। उसने मीटिंग वाली बात वहां तक पहुंचा दी और मामला बिगड़ गया। विद्रोही गुट प्लान के मुताबिक समय से एक दिन पहले ही एक्शन में आ गया। शाम तक पूरे देश में हमले शुरू हो गए। इंस्ताबुल के दो बड़े पुलों को बंद कर दिया गया। उस विद्रोही गुट ने इसे अपने कब्जे में ले लिया। राजधानी अंकारा के आसमान में फाइटर जेट उड़ने लगे। इंस्ताबुल में हेलीकॉप्टर से बमबारी की जा रही थी। जनता दहशत में थी। सरकार को पता ही नहीं चल रहा था कि हो क्या रहा है। प्रधानमंत्री ने ऐलान किया कि सेना विद्रोहियों का सामना कर रही है औऱ थोड़ी देर में हालात ठीक हो जाएंगे। लेकिन कुछ देर में ही अकर को अरेस्ट कर लिया गया। उन्हें तख्तापलट के कागज पर साइन करने के लिए कहा गया।
देश की जनता के सामने आए अर्दोआन
विद्रोहियों के गुट ने फाइटर जेट को मामरल की तरफ रवाना कर दिया। उनका हुक्म था अर्दोआन जहां दिखे उसे जान से मार दिया जाए। मामरस में अर्दोआन के रिसॉर्ट पर बेतहाशा बमबारी हुई। लेकिन हमले से कुछ मिनट पहले ही अर्दोआन निकल चुके थे। उन्हें पूरी घटना की जानकारी मिल चुकी थी। रात के 9:30 मिनट पर अर्दोआन सीएनएन तुर्क पर नजर आए। उन्होंने मोबाइल के जरिए देश की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि देश की जनता की ताकत से बड़ी कोई शक्ति नहीं है। आर्दोआन ने लोगों से बाहर निकलने और विद्रोहियों का सामना करने की अपील की। उन्होंने ये भी कहा कि साजिश करने वालों को उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। जैसे ही अर्दोआन सामने आए पूरा पासा ही पलट गया। लोग अपने घर से बाहर निकलने लगे। उनके पास जो कुछ भी था उन्होंने उसी के सहारे भिड़ने की कसम खाई। चाकू, बर्तन, डंडे लिए जनता ने विद्रोही गुट पर धावा बोल दिया। इसके बाद राष्ट्रपति की वफादार सेना, पुलिस और आम जनता ने मिलकर विद्रोहियों से लोहा लिया। अगली सुबह तक पूरा हंगामा शांत हो चुका था। सरकार कायम थी। राष्ट्रपति अर्दोआन अपनी कुर्सी पर कायम थे। विद्रोहियों का प्लान फेल हो चुका था।
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