Prabhasakshi Exclusive: Biden के दबाव को भी नहीं मान रहे Netanyahu, क्या अब Gaza पर पूरी तरह कब्जा करके ही मानेगा Israel?

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अमेरिका ने इज़राइल के युद्ध आचरण की आलोचना की है हालांकि इज़राइल ने उस आलोचना को नजरअंदाज कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह बाइडेन प्रशासन के लिए अपमान जैसा लगता है।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि इजराइल-हमास संघर्ष गहराता जा रहा है। इजराइल वैश्विक समर्थन खोता जा रहा है पर उसे इसकी परवाह नहीं दिख रही है। इसे कैसे देखते हैं आप? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इजराइल किसी भी कीमत पर अपने लोगों के लिए आतंकवाद का खतरा हमेशा के लिए खत्म करना चाहता है। उन्होंने कहा कि भले संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पास हो गया हो लेकिन इजराइल इससे बेपरवाह है और वह हमास को खत्म करना चाहता है। उन्होंने कहा कि एक हकीकत यह भी है कि फिलस्तीन में हमास के प्रति समर्थन बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी जानते हैं कि यदि उन्होंने हमास को नेस्तनाबूद नहीं किया तो इतिहास उन्हें माफ नहीं करेगा इसलिए वो पूरा दम लगाये हुए हैं।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अमेरिका ने इज़राइल के युद्ध आचरण की आलोचना की है हालांकि इज़राइल ने उस आलोचना को नजरअंदाज कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह बाइडेन प्रशासन के लिए अपमान जैसा लगता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका इज़राइल पर अधिक मानवीय होने के लिए दबाव डालने की कोशिश कर रहा था। उन्होंने कहा कि वास्तव में, पूरे अमेरिका-इज़रायल संबंधों की बात करें तो इज़राइल अमेरिकी राजनीति को समझता है इसलिए इजराइल पर दबाव डालना कठिन है। उन्होंने कहा कि हालांकि एक तथ्य यह भी है कि इज़राइल अब तक अमेरिकी विदेशी सहायता का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है और अमेरिका काफी लंबे समय से इजरायल के साथ मजबूती से खड़ा है।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अमेरिका यह बात मानता है कि इज़रायली निश्चित रूप से खुद को एक बहुत ही अस्थिर पड़ोस में रहने वाले के रूप में देखते हैं। लेकिन अमेरिका कहता है ‘‘आराम से चलो।’’ वहीं इज़राइल कहता है ‘‘हमें युद्ध के लिए कुछ दिन और दीजिए।’’ उन्होंने कहा कि 2006 में हिज्बुल्ला के खिलाफ इजराइली लड़ाई का भी यही पैटर्न था और इस बार भी यही पैटर्न है कि इज़राइल अपने सैन्य उद्देश्य को पूरा करने के लिए थोड़ा और समय मांगता है। उन्होंने कहा कि इजराइल यह भी जानता है कि अमेरिकी कांग्रेस में दोनों पार्टियों का बहुमत इज़राइल का समर्थन करता है, हालाँकि कॉलेज परिसरों और अन्य जगहों पर उस समर्थन पर असंतोष बढ़ रहा है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने हाल ही में कहा था कि इज़राइल गाजा पर अंधाधुंध बमबारी को लेकर ‘‘समर्थन खो रहा है’’। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच हालात निश्चित रूप से खराब हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक और स्थिति यह है कि इज़राइल अब वैश्विक जनमत में अलग-थलग दिख रहा है। उन्होंने कहा कि यह वास्तव में फिर से किसी तरह के संघर्ष विराम का समय है, जिससे कुछ और बंधकों की रिहाई हो सके लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि यह जल्द ही संभव हो पायेगा।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ऐसा लगता है कि इज़राइल के भीतर नेतन्याहू को यह खतरा महसूस हो रहा है कि युद्ध धीमा होने या समाप्त होने पर उनकी सरकार गिर सकती है, इसलिए वह अपने दक्षिणपंथी समर्थकों के बीच अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा रूख को देखें तो ऐसा लगता है कि इजराइली गाजा पर कब्ज़ा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संभव है कि पर्दे के पीछे इजरायली फलस्तीनी प्राधिकरण को शामिल करने वाले किसी विकल्प के बारे में सोच रहे हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि लगभग एक वैश्विक सहमति है कि इस युद्ध को समाप्त करने की आवश्यकता है। 

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