Parsi New Year 2025: आज से हुई पारसी नववर्ष की शुरूआत, 3000 साल पुराना है इसका इतिहास

पारसी न्यू ईयर यानी की नवरोज नई शुरुआत और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह दिन नए साल की शुरूआत का प्रतीक है। यह दिन सिर्फ फारसी समुदाय ही नहीं बल्कि दुनियाभर में कई अन्य समुदायों में भी मनाया जाता है।
पारसी नव वर्ष यानी नवरोज को बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन को न सिर्फ नववर्ष के रूप में बल्कि प्रकृति, नवीनीकरण और पुनर्जन्म के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है। यह पारंपरिक फारसी नववर्ष है, जोकि आज यानी की 20 मार्च 2025 को मनाया जा रहा है। बता दें कि ईरानी कैलेंडर का पहला दिन औमतौर पर 20 मार्च या वसंत ऋतु के आसपास शुरु होता है, और 13 दिनों तक चलता है। यह दिन सिर्फ फारसी समुदाय ही नहीं बल्कि दुनियाभर में कई अन्य समुदायों में भी मनाया जाता है।
इतिहास
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पारसी नववर्ष मनाए जाने का रिवाज करीब 3,000 साल पुराना है। पारसी नववर्ष मनाए जाने की शुरूआत सबसे पहले प्राचीन ईरान में हुई थी। यह दिन खिलने के मौसम की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए वसंत पर मनाया गया था। वहीं जैसे-जैसे समय बीता कई अन्य देशों और जातीय समूहों ने भी इस परंपरा को अपनाना शुरूकर दिया था। दुनियाभर में करीब 300 मिलियन से अधिक लोग इस त्योहार को मनाते हैं।
कैसे मनाया जाता है यह दिन
पारसी लोग इस दिन अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। साथ ही अपनी पूजा स्थल यानी की फायर टेंपल जाते हैं। फिर वह ईश्वर के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं। इस दिन पारसी लोग अपने घरों के बाहर रंगोली बनाते हैं और तरह-तरह के पकवान बनाते हैं। नवरोज को फारस के राजा जमशेद की याद में मनाया जाता है। पारसी कैलेंडर राजा जमशेद ने बनाया था। इसलिए इस दिन लोग राजा जमशेद की भी पूजा करते हैं और एक-दूसरे को नए साल की शुभकामनाएं देते हैं।
महत्व
बता दें कि नवरोज एक नववर्ष का उत्सव नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर है। यह उत्सव फ़ारसी कैलेंडर के मुताबिक नए साल की शुरूआत को दर्शाता है। साथ ही यह प्रकृति के साथ जुड़ाव को भी महसूस करता है।
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