हमला होकर रहेगा...ईरान ने उतार दिए 3000 जहाज, ट्रम्प की बमबारी की धमकी के बाद लिया बड़ा फैसला

ईरान के शीर्ष नेतृत्व ने इजरायल पर आसन्न हमले का संकेत देते हुए एक गंभीर चेतावनी जारी कर दी है। ट्रंप ने ईरान को धमकाते हुए कहा कि यदि तेहरान परमाणु समझौते को स्वीकार करने से इनकार करता है तो ईरान पर बमबारी करना एक विकल्प है। ईरान ने डोनाल्ड ट्रम्प की बम धमकी के आगे झुकने से इनकार कर दिया और कहा कि यदि आवश्यक हो तो वह अमेरिका से संबंधित ठिकानों पर हमला करने के लिए अपने भूमिगत मिसाइल शस्त्रागार को तैयार कर रहा है।
इजरायल लगातार गाजा पर हमले कर रहा है। इसमें कई निर्दोष लोगों की जाने भी जा रही हैं। लेकिन अब इजरायल ने बेरूत पर भी हवाई हमले शुरू कर दिए हैं। इजरायल के इन हमलों के साथ ही युद्धविराम भी खत्म हो चला है। इजरायल के इन हमलों से ईरान एक बार फिर भड़क गया है। ईरान ने इजरायल को एक बार फिर इन हमलों की कीमत चुकाने की धमकी दे डाली है। ईरान ने साफ कर दिया है कि वो इजरायल की तरफ से किए जा रहे इन हमलों का एक एक करके जवाब जरूर देगा। ईरान के शीर्ष नेतृत्व ने इजरायल पर आसन्न हमले का संकेत देते हुए एक गंभीर चेतावनी जारी कर दी है। ट्रंप ने ईरान को धमकाते हुए कहा कि यदि तेहरान परमाणु समझौते को स्वीकार करने से इनकार करता है तो ईरान पर बमबारी करना एक विकल्प है। ईरान ने डोनाल्ड ट्रम्प की बम धमकी के आगे झुकने से इनकार कर दिया और कहा कि यदि आवश्यक हो तो वह अमेरिका से संबंधित ठिकानों पर हमला करने के लिए अपने भूमिगत मिसाइल शस्त्रागार को तैयार कर रहा है।
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इससे पहले रविवार को ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने कहा कि ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम के बारे में राष्ट्रपति ट्रम्प के एक पत्र के बाद अमेरिका के साथ सीधी बातचीत की संभावना को ठुकरा दिया है। पेजेशकियन ने पोलिटिको के हवाले से कहा हालांकि इस प्रतिक्रिया में दोनों पक्षों के बीच सीधी बातचीत की संभावना को खारिज कर दिया गया है, लेकिन इस बात पर जोर दिया गया है कि अप्रत्यक्ष बातचीत का रास्ता खुला है।
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ट्रम्प के सत्ता में लौटने के बाद से ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ गया है, उनके प्रशासन ने कहा है कि ईरान को परमाणु हथियार हासिल नहीं करना चाहिए। पोलिटिको ने रिपोर्ट किया कि अपने पिछले कार्यकाल के दौरान, ट्रम्प ने ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को रोकने के लिए डिज़ाइन किए गए 2015 के परमाणु समझौते से अमेरिका को वापस ले लिया, बाद में तेहरान पर इसका पालन न करने का आरोप लगाया। उस समझौते में चीन, रूस, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ भी शामिल थे।
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