सब धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, खट्टर में लगे थे, BJP का मास्टरस्ट्रोक उड़ा देगा होश, सिंघम कहलाने वाला शख्स होगा अगला अध्यक्ष?

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अभिनय आकाश । Apr 8 2025 2:44PM

बीजेपी किसी भी हाल में दक्षिण का दुर्ग फतह करना चाहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई सपना अगर कोई बचा है तो यही कि दक्षिण में भी बीजेपी की सरकार हो। जिसके लिए तमिलनाडु में अन्नामलाई जैसे जुझारू नेता को उतारा गया था। अन्नामलाई जमीन पर रहकर लगातार काम भी कर रहे थे।

भारतीय जनता पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम या फिर कहे कि इस नाम की पहेली इतने दिन से उलझी हुई है कि अब लोगों ने इसकी चर्चा करना भी छोड़ दिया है। कौन हो रहा है, कौन हो सकता है, किनके नामों पर विचार चल रहा है। जितने संभावित नाम थे सभी की चर्चा हो चुकी है और सब चर्चा से बाहर जा चुके हैं। जितने भी नाम अध्यक्ष पद के लिए चर्चा में आए उनमें से शायद कोई नहीं होने वाला है। नाम तय हो चुका है। वो ऐसा नाम है जो संघ को भी मंजूर है और भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को भी मंजूर है। इस बार राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए दक्षिण भारत से किसी नेता के नाम पर सहमति बनाने का विचार है। क्योंकि, भाजपा का फोकस अब दक्षिणी राज्यों पर है। 20 साल से वहां से कोई राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बना है। 2002-2004 के बीच वेंकैया नायडू (आंध्र) आखिरी थे। 

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मोदी का मिशन साउथ

बीजेपी किसी भी हाल में दक्षिण का दुर्ग फतह करना चाहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई सपना अगर कोई बचा है तो यही कि दक्षिण में भी बीजेपी की सरकार हो। जिसके लिए तमिलनाडु में अन्नामलाई जैसे जुझारू नेता को उतारा गया था। अन्नामलाई जमीन पर रहकर लगातार काम भी कर रहे थे। लेकिन अन्नामलाई स्टेप डाउन करते हुए रिपोर्टर्स को बताया कि वह आगे से बीजेपी की स्टेट लीडरशिप का हिस्सा नहीं है और अगला नेता जो भी होगा वह सब की सहमति से चुना जाएगा। फिर यह सवाल उठने लगे की 2021 में ही बीजेपी का फेस बने अन्नामलाई यह कदम क्यों उठाया। क्या यह उनका पर्सनल डिसीजन था या फिर पार्टी ने उन पर प्रेशर बनाया था। यहां सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह कदम तब उठाया गया जब एआईएडीएमके नेता पलानीस्वामी स्वामी ने गृह मंत्री अमित शाह संग मीटिंग की और 2026 चुनाव में साथ आने की बात चल रही है। यानी एआईएडीएम के और भाजपा फिर साथ आ सकती है लेकिन इस गठबंधन को आगे बढ़ाने के लिए एआईएडीएमके की एक कंडीशन थी कि अन्नामलाई को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया जाए। एआईएडीएम के नेता पलानीस्वामी की  ऐसी डिमांड की पीछे दो कारण हो सकते हैं अन्नामलाई एग्रेसिव रूप से हिंदुत्व को फॉलो करते हैं और तमिलनाडु के राजनीति में फिलहाल हिंदुत्व प्रखर रूप से उभर कर सामने नहीं आ पाया है। अन्नामलाई और एआईएडीएमके के बीच की झड़प भी खासियत चर्चा में रह। जब अन्नादुरई से लेकर जाए जे जयललिता पर अन्नामलाई के कमेंट में राज्य की राजनीति में बवाल मचाया।

स्टालिन को हटाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार बीजेपी

पूरे मामले को करीब से देखें तो 2024 के चुनाव में बीजेपी ने फैसला किया कि एआईएडीमएके के दोनों धड़े अलग हैं तो क्यों न हम बीजेपी को तमिलनाडु में मजबूत करें। इसी रणनीति के तहत के अन्नामलाई को तमिलनाडु में उतारा गया। उन्होंने बहुत मेहनत की। पदयात्रा निकाली, लोगों से मुलाकात की। जिस बीजेपी को तमिलनाडु में लोग जानते नहीं थे, उस बीजेपी को 10-12 प्रतिशत के वोट दिलवाएं। सीटें नहीं आई लेकिन तमिलनाडु में हर कोई जानने लगा। लेकिन फिर बीजेपी के रणनीतिकारों को ये लगने लगा कि 10-12 प्रतिशत के वोट से 32 प्रतिशत वाले डीएमके को कैसे हरा पाएंगे। फिर ये देखा जाए कि एआईएडीएमके राज्य में चाहे कितनी भी कमजोर हो उसके अपने 20-21 प्रतिशत वोट हैं। अगर ये वोट बीजेपी के वोटों के साथ मिल जाएं तो स्टालिन को हराया जा सकता है। एआईएडीएम की शर्तों को मान बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष पद से अन्नामलाई की विदाई हो गई। 

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अन्नामलाई आएंगे दिल्ली

अन्नामलाई ने कहा कि अब मैं तमिलनाडु बीजेपी की राजनीति से अलग हो रहा हूं। 9 अप्रैल तक हम अगला अध्यक्ष चुन लेंगे। इस बयान से यही संकेत मिल रहे हैं कि वो दिल्ली आ रहे हैं। प्रदेश की राजनीति से राष्ट्रीय राजनीति में नेताओं के प्रवेश की बातें आम हैं। अब यही से एक बड़ा सवाल शुरू होता है कि बीजेपी अपने अध्यक्ष पद के लिए दक्षिण से एक बड़ा नेता ढूंढ रही थी। कहीं ऐसा तो नहीं कि अन्नामलाई को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाएगा। 2026 में तमिलनाडु में और 2027 में कर्नाटक में चुनाव हैं। कर्नाटक में बतौर आईपीएस अन्नामलाई ने काम भी किया है और वहीं से उनका नाम भी होना शुरू हुआ। केरल में भी चुनाव है और जहां इनकी ईमानदार छवि लोगों को भाती है। तमिलनाडु से तो खुद आते ही हैं। यंग, डायनमिक, मोदी-शाह का साथ देने वाले औऱ दक्षिण भारत का फैक्टर। संघ को भी इनके नाम पर ऐतराज नहीं हो सकता है। क्योंकि इनके कार्यकाल में तमिलनाडु में संघ का विस्तार हुआ है। 

क्यों कहा जाता है सिंघम

26 जुलाई 2016 की बात है। कर्नाटक के उड्डपी जिले के पुलिस मुख्यालय के बाहर आम लोग प्रदर्शन कर रहे थे। खूब भीड़ थी। पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। लेकिन लोगों का ये प्रदर्शन वहां के एसपी अन्नामलाई कोप्पास्वामी के समर्थन और उनके तबादले के विरोध में था। लेकिन अगर ऐसा एक बार हुआ होता तो की बड़ी बात नहीं थी। 16 अक्टूबर 2018 को कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले के पुलिस मुख्यालय के बाहर भी ऐसा ही प्रदर्शन हुआ। इस बार भी इसी एसपी के समर्थन और तबादले का मुद्दा था। लोगों का कहना था कि ऐसा ईमानदार अफसर मिलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। अन्नामलाई को लेकर कहना है कि वो जहां भी जाते हैं लोगों के चहेते बन जाते हैं। 

18 अप्रैल की राष्ट्रीय परिषद की बैठक से पहले नाम का ऐलान

पार्टी ने 10 अप्रैल को अपने शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्रियों और सभी राज्यों के अध्यक्षों, चुनाव प्रभारियों को दिल्ली  बुलाया है। समझा जा रहा है कि नाम घोषित होने के बाद राज्यों से प्रस्ताव मंगाए जाएंगे। मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल पिछले साल समाप्त हो गया था। लेकिन आम चुनाव और राज्यों के चुनाव के चलते उनका कार्यकाल एक साल बढ़ाया गया है। ऐसे संकेत हैं कि बेंगलुरु में 18 अप्रैल को होने वाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक से पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव पूरा करा लिया जाएगा।  

मंत्रिमंडल में बदलाव संभव

14 अप्रैल तक भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के नाम की घोषणा हो जाएगी। अध्यक्ष के साथ साथ पूरे संगठन का ढांचा बदलेगा। संगठन में नए पदाधिकारी आएंगे, नई जिम्मेदारियां मिलेंगी। उसके अलावा 9 जून 2024 को तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने शपथ ली थी। उनका तीसरा कार्यकाल शुरू हो चुका है। लेकिन उस समय का जो माहौल था, लगता था सबकुछ जल्दी जल्दी में हुआ। 240 सीटों वाली बीजेपी के खिलाफ इंडिया अलायंस तमाम हथकंडे अपनाने में लगा था। भाजपा के दो बड़े सहयोगी टीडीपी और जेडीयू को एनडीए से तोड़ने की कोशिश भी हुई। लेकिन चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार चट्टान की तरह बीजेपी के साथ खड़े रहे। अब 9 जून 2025 को नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की पहली वर्षगांठ भी आ रही है। उससे पहले मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल हो सकता है। 2024 में जो मंत्रिमंडल बना वो एक तरह से कैरीफॉर्वड था। 

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