Interview: दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय ने बताईं शहर के लिए अपनी प्राथमिकताएँ

Shelli Oberoi
ANI

दिल्ली की महापौर शैली ओबेरॉय ने एक साक्षात्कार में कहा कि मैं पहले ही दिन से ग्राउंड पर उतर चुकी हूं। अभी फिलहाल, सभी विभागों की समीक्षा कर रही हूं, विभागीय अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। कहां क्या होना है, कितने कार्य अधूरे लटके पड़े हैं। नए विकास कार्यों की डीपीआर तैयार की जाएगी।

दिल्ली मेयर की कुर्सी को लेकर खूब खींचतान हुई, जिसे ना सिर्फ दिल्ली वालों ने देखा, बल्कि पूरे देश में चर्चाएं रहीं। आखिरकार अब मेयर पद पर आम आदमी पार्टी की महिला पार्षद डॉ. शैली ओबेरॉय काबिज हो चुकी हैं। पर, उनके समक्ष चुनौतियां एक-दो नहीं, हजारों हैं। मेयर बनने के बाद पहली ही मीटिंग में उन्होंने सख्त तेवर दिखाए हैं। अधिकारियों से कह दिया है कि वो पिछले किस्से भुलाकर विकास कार्यों में ध्यान दें, साथ ही अन्य दलों के पार्षदों जैसे भाजपा-कांग्रेस से भी दिल्ली की तरक्की में सहभागिता करने की गुजारिश की है। भविष्य की क्या हैं डॉ. शैली ओबेरॉय की प्लानिंग, कैसे करेंगी अपना कार्यकाल पूरा, जैसे विभिन्न मुद्दों पर पत्रकार डॉ. रमेश ठाकुर ने उनसे विस्तृत बातचीत की है। पेश हैं बातचीत के मुख्य हिस्से-

  

प्रश्नः कहां से काम की शुरुआत करेंगी, क्या-क्या प्लानिंग बनाई हैं?

उत्तर- मैं पहले ही दिन से ग्राउंड पर उतर चुकी हूं। अभी फिलहाल, सभी विभागों की समीक्षा कर रही हूं, विभागीय अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। कहां क्या होना है, कितने कार्य अधूरे लटके पड़े हैं। नए विकास कार्यों की डीपीआर तैयार की जाएगी। इसके अलावा मैं सभी 250 वार्डों में व्यक्तिगत तौर पर दौरा करूंगी। शुरू भी कर दिया है। प्रत्येक गली, पार्क में जायजा लेने जाउंगी। फिलहाल इन्हीं मुद्दों पर मेरा फोकस रहेगा। बाकी ईश्वर ने साथ दिया तो जो हमने चुनाव में दिल्ली की जनता से वादे किए हैं। उन्हें एक-एक करके जल्द जमीन पर उतारने की कोशिश करेंगे।

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प्रश्नः एमसीडी के कुछ स्कूलों का निरीक्षण भी आपने किया है, क्या देखा वहां?

उत्तर- तस्वीरें ज्यादा अच्छी नहीं हैं। वहां जाकर देखा कि एमसीडी स्कूलों में ना प्रिंसिपल हैं, ना सुरक्षाकर्मी हैं और ना ही कोई साफ-सफाई है। हमें सबसे पहले इन्हीं स्कूलों की शिक्षा में सुधार और गुणवत्ता में बदलाव लाना है। मैंने अभी करीब 70 वार्डों का निरीक्षण किया है जिसके आधार पर अनुमान लगाया है कि दिल्ली के एमसीडी स्कूलों की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं, कईयों की तो बहुत खराब है। देखिए, हम भेदभाव और बदलाव को ध्यान में रखकर काम नहीं करेंगे। पिछली भाजपा हुकूमत ने जो किया, उनका भगवान जाने, हम उनसे बेहतर क्या कर सकते हैं इस पर हमारा ध्यान रहेगा।

  

प्रश्नः एमसीडी स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचरों की एक शिकायत रही है कि उनसे पढ़ाई के अलावा अन्य कार्य करवाए जाते हैं?

उत्तर- बिल्कुल सही कहा आपने, इसकी सच्चाई भी सामने आई है। स्कूल टीचरों को पढ़ाने के बजाय प्रशासनिक कार्य करवाए जाते थे। अब उन्हें अन्य कार्यों से मुक्ति दिलवाई जाएगी, उनका पूरा का पूरा ध्यान सिर्फ पढ़ाने पर रहेगा। पोलिंग, वोटिंग, वेरिफिकेशन जैसे प्रशासनिक कार्यों में दूसरे स्टाफ को लगाया जाएगा। सवाल उठता है कि अध्यापकों को जब स्वतंत्रता ही नहीं मिलेगी, तो अच्छा रिजल्ट कैसे दे पाएंगे? हमारी कोशिश रहेगी कि एमसीडी स्कूल भी पब्लिक स्कूल और दिल्ली सरकार के स्कूलों की कतार में शामिल हों। अगर बजट की जरूरत होगी, तो उसे भी बढ़ाया जाएगा। रिक्तियों को भी भरा जाएगा।

प्रश्नः क्या आपको लगता है कि भाजपा पार्षद आपके काम में सहयोग करेंगे?

उत्तर- देखते हैं। अंत तक हम उनसे यही उम्मीद करेंगे कि वह हमारे साथ मिलकर कार्य करें, कोई अड़ंगा ना लगाएं, बाकी देखते हैं आने वाले समय में वह हमारे साथ कैसा व्यवहार करते हैं। एमसीडी में जितना बजट था उससे तमाम कार्य हो सकते हैं, लेकिन बजट में भ्रष्टाचार के कीड़ों ने खोखला कर दिया। पैसा नेताओं से लेकर अधिकारियों की जेबों में गया। खैर, हमारी नजर ऐसे भ्रष्टाचारियों पर रहेगी, आगे एक-एक पैसा विकास कार्यों में लगेगा, जनता के पैसों पर डाका नहीं डालने दिया जाएगा।

प्रश्नः स्कूलों के अलावा बारात घर, पार्क, एमसीडी अस्पताल आदि की हालत भी खस्ता है?

उत्तर- बेगाने सलूक का परिणाम है। अस्पतालों में दवाइयों का भी टोटा रहता था, पार्कों में गंदगी की भरमार के अलावा सौंदर्यीकरण कार्य सालों से रुका हुआ है। नए पार्क बनवाना तो दूर, पुरानों का भी रखरखाव नहीं हुआ। ये सभी एजेंडे में हैं, बिंदुवार तरीके से इनका कायाकल्प होगा। व्यवस्थाएं इतनी बिगड़ी हुई हैं जिन्हें ठीक करने में थोड़ा वक्त जरूर लगेगा। अधिकारियों को अभी से निर्देशित किया जाएगा।

-डॉ. रमेश ठाकुर

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