अश्विन ने शास्त्री की एक प्रतिक्रिया को याद करते हुए कहा- लगा कि मुझे बीच भंवर में छोड़ दिया गया
भारत के प्रमुख ऑफ स्पिनर आर अश्विन ने खुलासा किया है कि पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री की एक टिप्पणी के बाद उन्हें ऐसा लग रहा था कि उन्हें बीच भंवर में छोड़ दिया गया और करियर के मुश्किल समय में उन्होंने कई बार खेल को अलविदा कहने के लिए सोचा।
नयी दिल्ली। भारत के प्रमुख ऑफ स्पिनर आर अश्विन ने खुलासा किया है कि पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री की एक टिप्पणी के बाद उन्हें ऐसा लग रहा था कि उन्हें बीच भंवर में छोड़ दिया गया और करियर के मुश्किल समय में उन्होंने कई बार खेल को अलविदा कहने के लिए सोचा। ‘ईएसपीनक्रिकइंफो’ को दिये साक्षात्कार में अश्विन से जब पूछा गया कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2019 के सिडनी टेस्ट में पांच विकेट लेने के बाद जब तत्कालीन कोच शास्त्री ने कुलदीप यादव को विदेशों में भारत का शीर्ष स्पिनर करार दिया तो उन्हें कैसा लगा था। अश्विन ने कहा कि वह कुलदीप के लिए वह वास्तव में खुश थे क्योंकि उन्हें पता था कि ऑस्ट्रेलिया में एक स्पिनर के रूप में पांच विकेट लेना कितना मुश्किल है लेकिन शास्त्री की टिप्पणी ने उन्हें ‘ पूरी तरह से हताश कर दिया था’।
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अश्विन ने कहा, ‘‘ मैं रवि भाई का बहुत सम्मान करता हूं। हम सब करते हैं। और मैं समझता हूं कि हम सब कुछ कहने के बाद भी अपने शब्दों को वापस ले सकते है। उस समय मैं हालांकि बहुत हताश महसूस कर रहा था। पूरी तरह से टूटा हुआ।’’ इस दिग्गज स्पिनर ने कहा, ‘‘ हम सभी इस बारे में बात करते हैं कि अपने साथियों की सफलता का लुत्फ उठाना लेना कितना जरूरी है। मैं कुलदीप के लिए खुश था। मैं ऑस्ट्रेलिया में पांच विकेट हासिल नहीं कर पाया था लेकिन ऐसा किया। मुझे पता है कि यह कितनी बड़ी उपलब्धि है। यहां तक कि जब मैंने अच्छी गेंदबाजी की है तभी यह कारनामा नहीं कर सका था, इसलिए मैं वास्तव में उसके लिए खुश हूं। और ऑस्ट्रेलिया में जीत हासिल करना बेहद खुशी का मौका है।’’
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अश्विन ने कहा, ‘‘ मुझे अगर उनकी खुशी और टीम की सफलता में हिस्सा लेना है, तो मुझे ऐसा महसूस होना चाहिए कि मैं उसका हिस्सा हूं। अगर मुझे लगता है कि मेरा तिरस्कार हो रहा है तो मैं टीम या टीम के साथी की सफलता का आनंद लेने के लिए कैसे उठा पाउंगा?’’ अश्विन, हालांकि भारतीय टीम की ऐतिहासिक श्रृंखला जीत के बाद आयोजित की गई पार्टी में शामिल हुए थे।
उन्होंने कहा, ‘‘ मैच के बाद मैं अपने कमरे में वापस गया और फिर अपनी पत्नी से बात की। मैं व्यक्तिगत निराशा को पीछे छोड़ने में सक्षम था। मैं उस पार्टी का हिस्सा बना क्योंकि हमने बड़ी श्रृंखला जीती थी।’’ इस 35 साल के खिलाड़ी ने उस श्रृंखला के पहले टेस्ट मैच का जिक्र करते हुए कहा कि बार-बार चोटिल होने का मतलब है कि वह ‘ काफी दर्द सहते हुए’ खेल रहे थे और उन्होंने दोनों पारियों में तीन-तीन विकेट लेकर टीम की जीत में अहम भूमिका निभायी थी। इस प्रदर्शन के बाद भी शास्त्री की यह टिप्पणी अश्विन के लिए निराशाजनक थी। उन्होंने कहा, ‘‘ पहला टेस्ट अब भी मेरी यादों में है। हम पहली पारी में कम स्कोर पर ऑल आउट हो गये थे। उसके बाद मैंने शुरुआती चार में से तीन विकेट लिए थे। और फिर चौथी पारी में जब पिच पूरी तरह सपाट थी तब गंभीर चोट के बाद भी मैंने 50 से अधिक ओवर गेंदबाजी की थी और तीन विकेट लिये थे। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मेरा मानना था कि मैंने असहनीय दर्द में टीम के लिए कुछ अच्छा किया था, लेकिन मुझे यह सुनने को मिला कि ‘नाथन लियोन ने छह विकेट लिये और अश्विन ने तीन’।’’ भारतीय गेंदबाज ने कहा, ‘‘ मैं अपनी चोट के कारण पहले ही निराश था क्योंकि मैं गेंदबाजी के मामले में अच्छी लय में था। इस दौरान मैं किसी से कोई तुलना नहीं चाहता था लेकिन उस प्रतिक्रिया (लियोन से तुलना) और फिर सिडनी के बाद ऐसा लगा जैसे मैंने टीम के लिए कोई भूमिका नहीं निभाई है।’’
अश्विन खेल के लंबे प्रारूप में घरेलू और विदेशों में भारत के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज रहे है। इस स्पिनर ने अब तक 427 टेस्ट विकेट लिए हैं। वह अनिल कुंबले और कपिल देव के बाद लाल गेंद प्रारूप में देश से तीसरे सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। अश्विन ने कहा कि 2018 से 2020 के बीच एक दौर ऐसा भी आया जब उन्होंने खेल को अलविदा कहने का मन बना लिया था। उन्होंने कहा, ‘‘ 2018 और 2020 के बीच, मैंने कई बार खेल को छोड़ने का विचार किया। मैंने बहुत प्रयास किया है, लेकिन चीजें ठीक नहीं हो रही थी। चोट के बाद जितना अधिक कोशिश करता था नतीजा उतना ही खराब रहता था। ’’
अश्विन ने कहा, ‘‘ खासकर चोटिल होने के बाद मैं छह गेंद फेंकने के बाद हांफने लगता था और पूरे शरीर में दर्द होता था। ऐसे में मैं ओवर के दौरान हर गेंद के बाद सामंजस्य बैठता था। कभी छोटी कूद के साथ गेंदबाजी करता तो कभी क्रीज के कोने से लेकिन इसमें भी जब बात नहीं बनी तो मुझे लगा ब्रेक लेना चाहिये। ’’ उन्होंने इस बात पर भी निराशा जताई किविदेशी दौरों पर चोटिल होने के बाद क्रिकेट समुदाय हमदर्दी नहीं जताता है।
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