RBI मौद्रिक नीति समीक्षा की बड़ी बातेंः EMI बढ़ने से टेंशन नहीं लें, महंगाई जल्द कम होगी और देश की वृद्धि दर तेज होगी
जहां तक भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से लिये गये बड़े फैसलों की बात है तो आपको बता दें कि आरबीआई ने मुख्य रूप से महंगाई को काबू में लाने के उद्देश्य से द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में एक बार फिर नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत दर रेपो में वृद्धि कर आपकी ईएमआई तो बढ़ा दी है लेकिन अच्छी बात यह है कि महंगाई जल्द कम होने के संकेत भी दिये हैं। इसके अलावा दुकानों पर भुगतान के लिए भारत आने वाले यात्रियों को भी यूपीआई सुविधा देने का प्रस्ताव किया गया है। साथ ही वैश्विक मंदी के दौर में भारत की आर्थिक वृद्धि दर के संतोषजनक स्तर पर बने रहने का अनुमान जताया गया है और रुपए की कीमत में ज्यादा उतार-चढ़ाव की संभावना नहीं दिखी है।
जहां तक भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से लिये गये बड़े फैसलों की बात है तो आपको बता दें कि आरबीआई ने मुख्य रूप से महंगाई को काबू में लाने के उद्देश्य से द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में एक बार फिर नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। इससे मुख्य नीतिगत दर बढ़कर 6.50 प्रतिशत हो गई है। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर सात प्रतिशत कर दिया है। वहीं अगले वित्त वर्ष में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है। इसके साथ ही आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 6.5 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष में 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
रेपो दर हाल में अब तक कितनी बार बढ़ाई गयी?
हम आपको बता दें कि रेपो दर वह ब्याज दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। इसमें वृद्धि का मतलब है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिया जाने वाला कर्ज महंगा होगा और मौजूदा ऋण की मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ेगी। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सोमवार से शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने डिजिटल माध्यम से प्रसारित बयान में कहा, ‘‘मौजूदा आर्थिक स्थिति पर विचार करते हुए एमपीसी ने नीतिगत दर रेपो 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत करने का निर्णय किया है।’’ उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति के छह सदस्यों में से चार ने रेपो दर बढ़ाने के पक्ष में मतदान किया। हालांकि, रेपो दर में वृद्धि की यह गति पिछली पांच बार की वृद्धि के मुकाबले कम है और बाजार ऐसी ही उम्मीद कर रहा था।
हम आपको बता दें कि आरबीआई मुख्य रूप से मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये इस साल मई से लेकर अब तक कुल छह बार में रेपो दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है। इससे पहले, मई में रेपो दर 0.40 प्रतिशत तथा जून, अगस्त तथा सितंबर में 0.50-0.50 प्रतिशत तथा दिसंबर में 0.35 प्रतिशत बढ़ायी गयी थी। दरअसल केंद्रीय बैंक नीतिगत दर पर निर्णय करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई पर गौर करता है।
देश की आर्थिक वृद्धि दर क्या रहेगी?
जहां तक देश की आर्थिक वृद्धि की बात है तो आरबीआई ने वैश्विक स्तर पर संकट को देखते हुए अगले वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़कर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। हम आपको बता दें कि आरबीआई का यह अनुमान पिछले दिनों संसद में पेश आर्थिक समीक्षा के अनुमान के अनुरूप है। आर्थिक समीक्षा 2022-23 में अगले वित्त वर्ष में स्थिर मूल्य पर वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने चालू वित्त वर्ष की आखिरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश करते हुए कहा कि उतार-चढ़ाव भरे वैश्विक घटनाक्रमों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था जुझारू बनी हुई है। शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘चालू वित्त वर्ष की दूसरी और तीसरी तिमाही के लिए उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि देश में आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं।'' उन्होंने कहा कि लोगों का विवेकाधीन खर्च बढ़ने की वजह से शहरी मांग बढ़ रही है। विशेष रूप से सेवाओं मसलन यात्रा, पर्यटन और आतिथ्य पर लोगों का खर्च बढ़ रहा है। शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘ग्रामीण मांग में भी सुधार के संकेत हैं। दिसंबर माह के ट्रैक्टर और दोपहिया बिक्री आंकड़ों से यह पता चलता है।’’ आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सालाना आधार पर यात्री वाहनों की बिक्री तथा घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या बढ़ी है। कई अन्य संकेतक भी गतिविधियों में तेजी की ओर इशारा कर रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि निवेश गतिविधियां भी बढ़ रही हैं। गैर-खाद्य कर्ज 27 जनवरी, 2023 तक सालाना आधार पर 16.7 प्रतिशत बढ़ा है। वाणिज्यिक क्षेत्र को संसाधनों का कुल प्रवाह 2022-23 में अबतक बढ़कर 20.8 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो एक साल पहले 12.5 लाख करोड़ रुपये था। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इन सब बातों को ध्यान में रखकर हमारा अनुमान है कि 2023-24 में स्थिर मूल्य पर आर्थिक वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहेगी। पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में छह प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत रहेगी।
महंगाई कम होगी
वहीं जहां तक महंगाई की बात है तो आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने अगले वित्त वर्ष 2023-24 में खुदरा मुद्रास्फीति नरम पड़कर 5.3 प्रतिशत पर आने का अनुमान जताया है। इसके अलावा चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के 6.5 प्रतिशत के स्तर पर रहने का अनुमान है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘आगे चलकर 2023-24 में मुद्रास्फीति नीचे आएगी। हालांकि, यह चार प्रतिशत से ऊपर रहेगी।'' उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति का परिदृश्य भू-राजनीतिक तनाव की वजह से पैदा हुई अनिश्चितताओं, वैश्विक वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव, गैर-तेल जिंसों की कीमतों में तेजी और कच्चे तेल की कीमतों के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होगा।’’
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा की मुख्य बातों पर गौर करें तो वह इस प्रकार हैं-
-प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत किया गया।
-मौद्रिक नीति समिति के छह सदस्यों में से चार ने रेपो दर बढ़ाने के पक्ष में मत दिया।
-चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर के सात प्रतिशत रहने का अनुमान। 2023-24 में वृद्धि दर घटकर 6.4 प्रतिशत रहेगी।
-मौद्रिक नीति समिति उदार रुख को वापस लेने पर ध्यान देने के पक्ष में दिखी।
-खुदरा मुद्रास्फीति चौथी तिमाही में 5.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
-चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 6.5 प्रतिशत पर रहेगी। अगले वित्त वर्ष में इसके घटकर 5.3 प्रतिशत पर आने का अनुमान है।
-बीते साल और इस वर्ष अभी तक अन्य एशियाई मुद्राओं की तुलना में रुपये में कम उतार-चढ़ाव दिखा।
-चालू खाते का घाटा 2022-23 की दूसरी छमाही में नीचे आएगा।
-दुकानों पर भुगतान के लिए भारत आने वाले यात्रियों को भी यूपीआई सुविधा देने का प्रस्ताव किया गया। शुरुआत में यह सुविधा जी20 देशों के यात्रियों को मिलेगी।
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