Chai Par Sameeksha: पवन खेड़ा का PM पर हमला, MCD में मारपीट और हो-हल्ला, क्या यही है लोकतंत्र

Pawan Kheda
ANI

प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि पंजाब के अजनाला प्रकरण में कई गंभीर सवाल उठे हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह हथियारबंद लोगों के सामने घुटने टेके गये हैं क्या उससे अराजक तत्वों के हौसले नहीं बढ़ेंगे?

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी, दिल्ली नगर निगम में हंगामा, पंजाब में बिगड़ती कानून व्यवस्था आदि मुद्दों की समीक्षा की गयी। इस दौरान प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा भले अपनी पार्टी का पक्ष प्रखरता के साथ रखते हों लेकिन उन्हें दूसरे दलों पर हमलावर होते हुए खुद पर काबू भी रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनसे जुड़ा प्रकरण अन्य नेताओं के लिए भी बड़ा सबक है क्योंकि कानून का पालन करना और ज़बान संभाल के बोलने का नियम सिर्फ जनता के लिए ही नहीं है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने और उसकी गरिमा बढ़ाने की जिम्मेदारी राजनीतिज्ञों पर ही होती है इसलिए उन्हें मर्यादित आचरण के जरिये मिसाल कायम करनी चाहिए।

इसके अलावा प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि दिल्ली नगर निगम (MCD) सदन में जो कुछ हुआ उससे सवाल खड़ा होता है कि क्या जूते, चप्पल और बोतलें फेंकने वाले पार्षद जनता की उम्मीदों पर खरा उतर पाएंगे? उन्होंने कहा कि जो सदन में ही सामान फेंक कर गंदगी फैला रहे हैं उनसे कैसे उम्मीद की जाये कि वह कूड़ों के पहाड़ों को खत्म करवाएंगे? उन्होंने कहा कि सदन में हाथापाई होगी, थप्पड़ मारे जाएंगे, मेजें उलटा दी जायेंगी, कुर्सियां फेंकी जायेंगी तो क्या इससे लोकतंत्र मजबूत होगा? यह सदन है या रणक्षेत्र? पार्षदों को नहीं भूलना चाहिए कि Delhi भारत की राजधानी भी है और यहां होने वाली हर राजनीतिक घटना का देशभर में संदेश जाता है।

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इसके अलावा प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि पंजाब के अजनाला प्रकरण में कई गंभीर सवाल उठे हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह हथियारबंद लोगों के सामने घुटने टेके गये हैं क्या उससे अराजक तत्वों के हौसले नहीं बढ़ेंगे? उन्होंने कहा कि जिस तरह पुलिसवालों पर हमला किया गया और आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, क्या उससे पुलिसकर्मियों का मनोबल कम नहीं होगा? उन्होंने कहा कि जहां तक अमृतपाल सिंह की बात है तो यह जानते हुए भी कि वह सिख  युवाओं को कट्टरपंथ की राह पर धकेल रहा है, फिर भी उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है? इसके अलावा प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि सवाल यह भी उठता है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद से ही खालिस्तानी  तत्व क्यों हावी हो रहे हैं? 

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