सैन्य उपकरणों को दुश्मन के रडार से बचाने की नई तकनीक

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रडार से छिपे रहने की क्षमता से लैस स्टेल्थ तकनीक में रडार क्रॉस सेक्शन (आरसीएस) को कम करना एक प्रमुख चुनौती है। इसके लिए उपयोग होने वाली बुनियादी तकनीकों में ऑब्जेक्ट को उचित आकार देना और रडार अवशोषक सामग्री (RAMs) का उपयोग किया जाता है।

रक्षा तथा नागरिक क्षेत्रों में रडार का उपयोग विमानों, जलयानों, वाहनों तथा गुप्त प्रतिष्ठानों की निगरानी, खोजबीन, नेविगेशन और ट्रैकिंग के लिए किया जाता है। सैन्य उपकरणों का रडार की नज़रों से अदृश्य बने रहना महत्वपूर्ण रक्षा रणनीति है। कोई सैन्य उपकरण रडार की नज़रों से छिपे रहने में जितना अधिक सक्षम होता है, दुश्मन के हथियारों द्वारा उसको निशाना बनाये जाने की आशंका उतनी ही कम होती है। 

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी कृत्रिम संरचना / सामग्री तैयार की है, जो स्टेल्थ वाहनों और गुप्त प्रतिष्ठानों को रडार की नज़रों से अदृश्य बनाए रखने में सहायक है। चाहे किसी भी दिशा से रडार संकेत लक्ष्य को हिट करे, यह सामग्री रडार संकेतों को अवशोषित कर सकती है। इसका उपयोग स्टेल्थ वाहनों और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की खिड़कियों या काँच के पैनलों को कवर करने के लिए भी किया जा सकता है, जिनका रडार की नज़रों से अदृश्य बने रहना आवश्यक है।

ऐसी तकनीक, जो चीजों को रडार की नज़रों से अदृश्य बना देती है, का उपयोग वाणिज्यिक क्षेत्र में इमारतों से विकिरण रिसाव को कम करने और उन्हें अधिक सुरक्षित बनाने के लिए भी  किया जा सकता है। रडार की नज़रों से अदृश्य बने रहने की यह तकनीक संवेदनशील निजी या गुप्त प्रतिष्ठानों में भी उपयोगी हो सकती है।

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रडार से छिपे रहने की क्षमता से लैस स्टेल्थ तकनीक में रडार क्रॉस सेक्शन (आरसीएस) को कम करना एक प्रमुख चुनौती है। इसके लिए उपयोग होने वाली बुनियादी तकनीकों में ऑब्जेक्ट को उचित आकार देना और रडार अवशोषक सामग्री (RAMs) का उपयोग किया जाता है। आरसीएस कटौती ऐसी सामग्री का उपयोग करके प्राप्त की जाती है, जो रडार सिग्नल को अवशोषित कर सकती है। ऑब्जेक्ट्स को विशिष्ट आकार देकर भी आरसीएस कम की जाती है, जिससे रडार के लिए उसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है।

आईआईटी मंडी के शोधकर्ता डॉ जी. श्रीकांत रेड्डी बताते हैं - "हमने फ्रीक्वेंसी सेलेक्टिव सरफेस (एफएसएस) आधारित तकनीक विकसित की है, जो रडार में उपयोग की जाने वाली आवृत्तियों की विस्तृत श्रृंखला को अवशोषित कर सकती है, जिससे ऑब्जेक्ट की सतह रडार के लिए अदृश्य हो जाती है।"

परीक्षणों से पता चला कि यह एफएसएस तकनीक 90% से अधिक रडार तरंगों को आवृत्तियों की एक विस्तृत श्रृंखला में अवशोषित कर सकती है। शोधकर्ताओं ने अपने डिजाइन पर प्रायोगिक अध्ययन किया है, जिसमें परिणाम सैद्धांतिक विश्लेषण के अनुकूल पाये गए हैं।

डॉ रेड्डी ने कहा, "स्टेल्थ वाहनों और गुप्त प्रतिष्ठानों की खिड़की या ग्लास पैनलों पर ऑप्टिकल पारदर्शी प्रकृति के कारण इस तकनीक का उपयोग किया जा सकता है। टीम ने पहले ही एक प्रोटोटाइप विकसित कर लिया है। इस तकनीक में आरसीएस में कमी और अवांछित विकिरण रिसाव के अवशोषण के लिए संभावित अनुप्रयोग शामिल हैं।"

यह अध्ययन शोध पत्रिका आईईईई लेटर्स ऑन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कॉम्पैटिबिलिटी प्रैक्टिस ऐंड एप्लीकेशन्स में प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं में डॉ जी. श्रीकांत रेड्डी के अलावा डॉ अवनीश कुमार और ज्योतिभूषण पधी शामिल हैं। 

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