माँ ने बेटी को खिलाड़ी बनाकर किया अपना सपना पूरा, Rhythm Sangwan अब पेरिस में करेंगी भारत का प्रतिनिधित्व

Rhythm Sangwan
प्रतिरूप फोटो
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Anoop Prajapati । Jul 3 2024 4:20PM

निशानेबाज रिद्धम सांगवान ने 25 मीटर एयर पिस्टल की प्रतिस्पर्धा में पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने एशिया ओलंपिक क्वालीफायर में 25 मीटर स्पोर्ट्स पिस्टल में कांस्य पदक जीतकर यह उपलब्धि हासिल की है। 20 वर्षीय रिद्धम पिछले साल हांग्जो एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतने वाली टीम का हिस्सा थीं।

भारत की प्रतिभाशाली निशानेबाज रिद्धम सांगवान ने 25 मीटर एयर पिस्टल की प्रतिस्पर्धा में पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने एशिया ओलंपिक क्वालीफायर में 25 मीटर स्पोर्ट्स पिस्टल में कांस्य पदक जीतकर यह उपलब्धि हासिल की है। हरियाणा से ताल्लुक रखने वाली 20 वर्षीय रिद्धम पिछले साल हांग्जो एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतने वाली टीम का हिस्सा थीं। बचपन में पिता की सर्विस रिवॉल्वर देख उसे चलाने की रिद्धम सांगवान ने ऐसी जिद ठानी कि आज अंतरराष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज बन देश का नाम रोशन कर रही हैं।

अचूक निशानेबाज रिद्धम की स्वर्णिम सफलता के पीछे रोचक कहानी है। रिद्धम सेक्टर-19 स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल में दसवीं की छात्रा हैं। पिता नरेंद्र सांगवान हरियाणा पुलिस में अधिकारी हैं और इस समय हिसार में डीएसपी पद पर कार्यरत हैं। बचपन में पिता की सर्विस रिवाल्वर देख रिद्धम उसे चलाने की जिद करती थीं। जिद पूरी करने के लिए पिता ने उन्हें खिलौने वाली पिस्टल लाकर दे दी। जब रिद्धम थोड़ी बड़ी हुईं तो असली पिस्टल चलाने की जिद करने लगीं। चूंकि रिद्धम के ननिहाल में सब लोग निशानेबाजी पसंद करते थे, इसलिए इस खेल में जाने की उनमें प्रेरणा जगी। फिर क्या था पिता ने उनके हाथों में असली एयर पिस्टल थमा दी। 

कुछ साल पहले रिद्धम ने विधिवत रूप से शूटिंग रेंज में जाना शुरू कर दिया और फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। आज नरेंद्र सांगवान का ड्राइंग रूम बेटी द्वारा हासिल ट्रॉफियों से सजा हुआ है। स्वर्ण, रजत व कांस्य पदकों की कोई गिनती ही नहीं। कोच के लिए करनी पड़ी मशक्कत: कहते हैं गुरु के बिना शिष्य की साधना अधूरी रहती है। इसी तरह जब तक कोच का मार्गदर्शन न हो, सही-गलत का ज्ञान न हो तो खिलाड़ी की प्रतिभा को ढंग से तराशा नहीं जा सकता। शुरुआत में रिद्धम के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ। कुछ समय पहले शूटिंग शुरू करने के लिए पिता को कोच ढूंढने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। उन्हें ऐसा कोच नहीं मिल रहा था, जो रिद्धम को शूटिंग की बारीकियां सिखा सके। उन्हें खेल में महिर कर सके। 

एक दिन नरेंद्र सांगवान ने शूटिंग रेंज पर अपने सहकर्मी थाना प्रभारी विनीत को अभ्यास करते देख लिया और उन्हें रिद्धम को शूटिंग के गुर सिखाने को कहा। रिदम ने कम समय में शूटिंग में अच्छी पकड़ भी बना ली। वो अब तक दो रिकार्ड ब्रेक कर चुकी हैं। इसके बारे में वे बताती हैं कि बाकू में सीनियर शूटिंग चैंपियनशिप में 29 साल का रिकॉर्ड ब्रेक किया। जूनियर कैटेगरी में 32 साल का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी ब्रेक किया है। ये दोनों रिकॉर्ड उनके नाम हैं। उनका कहना है कि अगर दिन में 2 घंटे भी मेहनत की जाए तो गेम अच्छा हो जाता है। सफलता मिलती है। खेल में 6- 7 साल तक मेहनत करनी पड़ती है। रिदम सांगवान बताती हैं 'मेरी मां भी स्कूल टाइम में अच्छी प्लेयर रहीं। 

हालांकि वे आगे खेल नहीं सकीं। उन्होंने अपनी कमी मुझ में पूरी की और मुझे अच्छा खिलाड़ी बना दिया।' रिदम अपनी पढ़ाई पर भी बहुत ध्यान देती हैं। वे बोर्ड परीक्षा को याद करते हुए बताती हैं कि 12 वीं की परीक्षा के समय मां ने कहा था कि इतने नंबर ले आना कि केवल पास हो जाओ। लेकिन परीक्षा में उन्होंने मेहनत की और 95 फीसदी से पास हुईं। उनका कहना है कि वे पढ़ाई और खेल दोनों में सामंजस्य बनाकर चलती हैं।

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