Matrubhoomi | 1-2 क्यों नहीं...12 साल बाद ही क्यों होता है महाकुंभ? क्या है देवता और असुर से जुड़ी दिलचस्प कहानी
कुंभ मेला भारत के चार तीर्थ स्थल प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में लगता है। प्रयागराज के तट पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियां मिलती है। कहते हैं कि इस संगम तट पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। दरअसल, पौराणिक कथाओं के अनुसार समुंद्र मंथन के दौरान जब अमृत कलश निकला था तो उसकी कुछ बूंदें कलश से छिटकर प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिरी थी।
मेष राशि गते जीवे मकरे चन्द्र भास्करौ।
अमावस्या तदा योगः कुम्भख्यस्तीर्थ नायके॥
बृहस्पति मेष राशि में तथा चंद्र सूर्य मकर राशि में जब आते हैं। अमावस्या तिथि हो तो तीर्थ राज प्रयाग में कुंभ योग होता है। 13 जनवरी 2025 सोमवार से 26 फरवरी 2025 तक महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। श्रद्धा, आस्था और संस्कृति का महापर्व महाकुंभ 12 साल में एक बार आने वाला महाकुंभ पौष पुर्णिमा के दिन यानी 13 जनवरी 2025 को प्रयागराज में होने जा रहा है। महाकुंभ मेला भारत का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है। इसमें साधु संतों के अलावा देश विदेश से लाखों लोग शामिल होते हैं। इस दौरान 3 पवित्र नदियों के संगम के साथ भारतीय संस्कृति, अध्यात्मिकता और परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। 13 जनवरी पौष पूर्णिमा से शुरू होकर ये मेला 26 फरवरी महाशिवरात्रि व्रत तक चलेगा। इससे पहले साल 2013 में ही प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन हुआ था। इस बार कुंभ मेले में 10 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया जा रहा है और इसे लेकर सुरक्षा व्यवस्था पूरी चाक चौबंद की जा रही है। सीएम योगी ने भी ऐलान किया है कि इस बार का प्रयागराज का महाकुंभ पिछले तमात महाकुंभ मेलों से बहुत ज्यादा भव्य और बहुत ज्यादा दिव्य रहने वाला है।
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महाकुंभ मेले का महत्व क्या है
कुंभ मेला भारत के चार तीर्थ स्थल प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में लगता है। प्रयागराज के तट पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियां मिलती है। कहते हैं कि इस संगम तट पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। दरअसल, पौराणिक कथाओं के अनुसार समुंद्र मंथन के दौरान जब अमृत कलश निकला था तो उसकी कुछ बूंदें कलश से छिटकर प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिरी थी। इसलिए इन चार स्थानों पर ही कुंभ मेले का आयोजन होता है। यहां स्नान कर लोग खुद को धन्य मानते हैं। महाकुंभ मेला में शाही स्नान का विशेष महत्व होता है। इस दौरान हर अखाड़ा अपने शाही लाव लश्कर के साथ नाचते-गाते संगम तट पर पहुंचते हैं और गंगा में आस्था की दुबकी लगाते हैं। ये दृश्य अदभुत और मनोहारी होता है। ये जानकर आप हैरान होंगे की ग्रहों की दशा कुंभ की दिशा यानी स्थान तय करती है।
महाकुंभ लगाने के लिए कैसा होता स्थान का चयन?
धर्माचारियों के मुताबिक जब बृहस्पति देव यानी गुरुग्रह ऋषभ राशि में हों। जो अभी इसी राशि में मौजूद है और सूर्य ग्रह मकर राशि में मौजूद हो तब कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज में किया जाता है। प्रयागराज में गंगा, जमुना और अदृश्य सरस्वती का अद्भभुत संगम होता है। लेकिन जब सूर्य मेष राशि में गोचर कर चुके हो और बृहस्पति कुंभ राशि में तो कुंभ मेले का आयोजन हरिद्वार में किया जाता है। हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर मेले का आयोजन किया जाता है। जब सिंह राशि में गुरु ग्रह और सूर्य ग्रह दोनों मौजूद होते हो तो कुंभ मेले का आयोजन महाराष्ट्र के नासिक में होता है। नासिक में गोदावरी नदी के तट पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। जब सूर्य ग्रह मेष राशि में विराजमान हो और गुरु सूर्य देव की राशि सिंह में विराजमान हो तब उज्जैन में कुंभ मेले का आयोजन होता है। उज्जैन में क्षिपा नदी के तट पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।
12 कुंभ मेला पूर्ण होने पर एक महाकुंभ का आयोजन
कुंभ मेला हर तीन साल में एक बार उज्जैन, प्रयागराज, हरिद्वार और नासिक में आयोजित होता है। अर्ध कुंभ मेला हर 6 साल में एक बार हरिद्वार और प्रयागराज के तट पर आयोजित किया जाता है। वहीं पूर्ण कुंभ मेला 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है। 12 कुंभ मेला पूर्ण होने पर एक महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। इससे पहले महाकुंभ प्रयागराज में ही साल 2013 में आयोजित हुआ था।
इस साल का महाकुंभ क्यों है खास
2025 में होने जा रहे महाकुंभ को भव्य बनाने की कवायद पूरी तेजी के साथ जारी है। महाकुंभ के लिए पर्यटन और यात्री सुविधाओं के साथ साथ इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। महाकुंभ से जुड़ी 384 विकास परियोजनाओं को पूरा किया जा रहा है। 384 प्रजोक्ट्स के लिए सात हजार 500 करोड़ का फंड स्वीकृत किया गया है। कुंभ के लिए कुल 14 विभागों के प्रोजेक्ट कार्य चल रहे हैं। महाकुंभ के अतिरिक्त भी प्रयागराज को पर्यटन और यात्रियों की सुविधाओं के लिए संवारा जा रहा है।
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इन राज्यों के सीएम को भी भेजा जाएगा निमंत्रण
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी
दिल्ली के मुख्यमंत्री आतिशी
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भी भेजा जाएगा निमंत्रण
पीएम मोदी 13 दिसंबर को करेंगे समीक्षा
पीएम मोदी 13 दिसंबर को महाकुंभ तैयारियों की समीक्षा करेंगे। इससे पहले सीएम योगी आदित्यनाथ सात दिसंबर को सभी तैयारियों का जायजा लिया। इसके मद्देनजर सभी महत्वपूर्ण सड़कों का तेजी से सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। नगर निगम की ओर से स्ट्रीट लाइटिंग और थीमैटिक लाइटिंग का कार्य किया जा रहा है। बिजली विभाग की ओर से सभी पावर केबल्स को बिछाने का काम तेजी से चल रहा है।
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