Math को बना देगा मैजिक, वैदिक गणित जिसके महत्व पर PM भी दे चुके हैं जोर | Matrubhoomi

Vedic mathematics
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Oct 10 2024 8:00PM

क्या होगा यदि गणित सीखने का कोई आसान और तेज़ तरीका हो? स्कूल में गणित के इस ज्य़ोमैट्री के चैप्टर ने हमारे दिमाग को बहुत टॉर्चर किया है। लेकिन ये टॉर्चर नहीं होता अगर हमें वैदिक तरीके से गमित सिखाया जाता। वैदिक काल में गुरु अपने शिष्य को इतने प्रैक्टिकल ढंग से गणित और भूमति के नियम सिखाते थे कि विद्यार्थी दैनिक कार्य करते करते ही ज्योमैट्री सिख जाते थे। अगर वैदिककालिन ज्योमैट्री अच्छी थी तो फिर हमें ये रट्टा लगाने वाली शिक्षा पद्दति में पायथागोरोस के प्रमेय और यूक्लिर के सिद्धांत क्यों सिखाए जाते हैं। क्यों भारतीय गणितज्ञ का नाम मात्र भी हमारे पुस्तकों में नहीं देखने मिलता।

'घर का जोगी जोगड़ा, आन गांव का सिद्ध' इसका तात्पर्य यह है कि अपने घर या देश का कोई व्यक्ति चाहे कितना ही योग्य और सिद्धि प्राप्त क्यों न हो उसको उतना सम्मान नहीं दिया जाता जितना किसी दूसरे घर या देश के एक मामूली से व्यक्ति को प्राप्त हो जाता है । दूसरों को तो हमारी संस्कृति से ईष्या और जलन थी ही लेकिन हमने खुद ने भी अपनी महानता को नहीं पहचाना। आज विदेशी लोग तो हमारे वैदिक गणित को अपना रहे हैं। लेकिन हमारे देश के कई लोग भारत वर्ष और सनातन को बदनाम करने का बीड़ा उठा रहे हैं। तो हमारा भी उत्तरदायित्व बनता है कि हम अपनी महान विरासत को पहचान उसे अपने जीवन में शामिल करें। 

इसे भी पढ़ें: Sri Padmanabhaswamy Temple | मंदिर का तहखाना खुलते हो जाएगा कलयुग का अंत | Matrubhoomi

गणित उन विषयों में से एक है जिसे समझने और सराहने में अधिकांश शिक्षार्थी संघर्ष करते हैं। हालाँकि, क्या होगा यदि गणित सीखने का कोई आसान और तेज़ तरीका हो? स्कूल में गणित के इस ज्य़ोमैट्री के चैप्टर ने हमारे दिमाग को बहुत टॉर्चर किया है। लेकिन ये टॉर्चर नहीं होता अगर हमें वैदिक तरीके से गमित सिखाया जाता। वैदिक काल में गुरु अपने शिष्य को इतने प्रैक्टिकल ढंग से गणित और भूमति के नियम सिखाते थे कि विद्यार्थी दैनिक कार्य करते करते ही ज्योमैट्री सिख जाते थे। अगर वैदिककालिन ज्योमैट्री अच्छी थी तो फिर हमें ये रट्टा लगाने वाली शिक्षा पद्दति में पायथागोरोस के प्रमेय और यूक्लिर के सिद्धांत क्यों सिखाए जाते हैं। क्यों भारतीय गणितज्ञ का नाम मात्र भी हमारे पुस्तकों में नहीं देखने मिलता। 

वैदिक गणित की उत्पत्ति कहां से हुई 

'यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा, तद्वद् वेदांगशास्त्राणां गणितं मूर्ध्नि स्थितम्' का अर्थ है कि जिस तरह मोरों की शिखा और नागों के सिर पर मणि का स्थान सबसे ऊपर होता है, उसी तरह सभी वेदांग और शास्त्रों में गणित यानी ज्योतिष का स्थान सबसे ऊपर होता है। दूसरा श्लोक युक्तियुक्तं वाचो ग्राह्यं बलादपि शुकाादपि। अयुक्तमपि न गृह्यं साक्षादापि वृहस्पते यानी अगर कुछ तर्कसंगत और उचित सलाह है यदि कोई बच्चा या कोई बात करने वाला तोता भी आपको कोई सलाह दे, तो उसे गंभीरता से लेना चाहिए और उस पर ध्यान देना चाहिए, जबकि यदि कोई तर्कहीन बात आपको बताई जाए, तो उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए। वैदिक शब्द संस्कृत शब्द वेद से लिया गया है, जिसका अर्थ है ज्ञान। वैदिक गणित की जड़ें प्राचीन भारतीय ग्रंथों में पाई जाती हैं जिन्हें वेदों के नाम से जाना जाता है। वैदिक गणित का वर्णन भारत के वैदिक इतिहास से किया गया है जिसे वेदों की पवित्र पुस्तकों से निकाला गया है। यह पारंपरिक तरीकों की तुलना में कुछ ही समय में कठिन गणितीय समस्याओं के समाधान प्राप्त करने के लिए आसान प्रक्रियाओं और एल्गोरिदम, या “सूत्रों” का उपयोग करता है। यह अत्यधिक विकसित प्रणाली गणितीय समस्याओं के सभी स्तरों को पूरा कर सकती है, सबसे सरल से लेकर सबसे जटिल तक, जो इसे गणितज्ञ के लिए सर्वव्यापी बनाती है। ये हजारों साल पुराने हैं। स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ ने 20वीं सदी की शुरुआत में इस प्रणाली की फिर से खोज की और इन गणितीय सिद्धांतों को अपनी पुस्तक वैदिक गणित में दर्ज किया। 

इसे भी पढ़ें: Matrubhoomi | आर्यभट्ट से आदित्य एल-1 तक, ISRO की वो कहानी जिस पर हर भारतीय को है गर्व

वैदिक गणित के मूल सिद्धांत: 

सूत्र: वैदिक गणित की नींव वेदों से निकाले गए सोलह गणितीय सूत्रों में निहित है। ये सूत्र विभिन्न गणितीय समस्याओं को हल करने के लिए संक्षिप्त और कुशल तरीकों के रूप में काम करते हैं। 

एकाधिकेन पूर्वेण: इस सूत्र का प्रयोग तीन स्थितियों में होता है। इसका इस्तेमाल वैदिक गणित में जटिल संख्याओं का वर्ग निकालने के लिए किया जाता है। इस सूत्र का इस्तेमाल करके गुणा करने, योग करने, व्यकलन करने और भिन्न को दशमलव में बदलने जैसे काम आसानी से किए जा सकते हैं। 

निखिलं नवतश्चरामं दशातः 16 वैदिक गणित सूत्रों में से एक है। इसका उपयोग जमा, घटा, गुणा, भाग, वर्ग, घन में कर सकते हैं। इसका अर्थ है कि अंतिम संख्या को 10 में से और बाकी संख्या को 9 में से घटाना है। 

ऊर्ध्व-तिर्यग्भ्यम्: इसका इस्तेमाल दो संख्याओं का गुणा करने के लिए किया जाता है। यह एक ऊर्ध्वाधर और अनुप्रस्थ विधि है। 

वर्तमान दौर में वैदिक गणित किस प्रकार प्रासंगिक है? 

इन अवधारणाओं का अनुप्रयोग शुद्ध गणित तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इंजीनियरिंग, चिकित्सा और खगोल विज्ञान जैसे कई विषयों के अध्ययन में सहायक हो सकता है। वैदिक गणित न केवल इसका अध्ययन करने वालों के लिए गणित को सरल बना सकता है, बल्कि छात्रों के लिए करियर के अवसर भी खोल सकता है। 

वैदिक गणित क्यों सीखना चाहिए? 

स्पीड एंड एक्यूरेसी: वैदिक गणित गणना की स्पीड और एक्यूरेसी में इजाफा करने के लिए एक ट्राई एंड टेस्टेड फॉर्मूला है। सूत्र शॉर्टकट मेथड और मेंटल ट्रिक प्रदान करते हैं। इससे छात्रों को प्रॉब्लम्स को स्पीड से सॉल्व करना आसान हो जाता है। 

नमनीयता और अनुकूलनीयता: वैदिक गणित एक ही प्रॉब्लम को हल करने के लिए कई विजन प्रदान करता है, जिससे छात्रों को वह मेथड चुनने का ऑपश्न मिल जाता है जो उसके लिए मुफीद हो। परिस्थितियों के अनुरूप बदलाव कर प्रॉब्लम को सॉल्व करने की गणितीय अवधारणाओं को बढ़ावा देती है। 

सभी विषयों में कारगर 

वैदिक गणित में सीखी गई तकनीकें अंकगणित तक ही सीमित नहीं हैं। उन्हें बीजगणित, ज्यामिति और गणित की अन्य शाखाओं पर लागू किया जा सकता है, जिससे गणितीय दक्षता के लिए एक समग्र आधार तैयार किया जा सकता है। 

पीएम मोदी भी दे चुके हैं इसके महत्व पर जोर 

पीएम ने वैदिक गणित के महत्व को बतायाप्रधानमंत्री ने वैदिक गणित के महत्व को बताते हुए कहा कि आप छात्रों तक इसे पहुंचाने की कोशिश कीजिए। ऑनलाइन वैदिक गणित की क्लासेस भी चलते हैं। यूके में कई जगह सिलेबस में वैदिक मेथमैटिक है। जिन बच्चों को मेथ्स में रुचि नहीं है, अगर वो थोड़ा भी इसे देखेंगे उनको लगेगा ये तो मैजिक है। एक दम से उनका मन इसे सीखने में लग जाता है। संस्कृत से हमारे देश के जितने भी विषय हैं, उनसे परचित कराने के बारे में सोचना चाहिए।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़