380 दिनों से डेरा डाले किसानों की घर वापसी के बाद अब इनके नेता क्या करेंगे, आगे की योजनाों के लिए दिए अलग अलग संकेत

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अभिनय आकाश । Dec 13 2021 1:44PM

किसानों का साल भर का विरोध प्रदर्शन समाप्त होने के साथ अब पूरे देश के नम में ये सवाल है कि किसान नेता आगे क्या करेंगे? क्या आगामी उत्तर प्रदेश और पंजाब चुनाव में भी उनकी भागीदारी देखने को मिलेगी। क्या परोक्ष रूप से चुनावी मैदान में कुछ चेहरे नजर आएंगे।

पूरे एक साल और 13 दिन बाद किसान आंदोलन को समाप्त तो नहीं किया गया लेकिन स्थगित करने का ऐलान जरूर कर दिया गया। ऐलान के बाद दिल्ली के पास सिंघू बॉर्डर पर लगे किसानों के टेंट भी हट गए। संयुक्त किसान मोर्चा के ऐलान के साथ ही 11 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं को पूरी तरह से खोल दिया गया। सारे किसान दिल्ली की सीमाओं से अपने घर लौट गए। इस सप्ताह किसानों का साल भर का विरोध प्रदर्शन समाप्त होने के साथ अब पूरे देश के नम में ये सवाल है कि किसान नेता आगे क्या करेंगे? क्या आगामी उत्तर प्रदेश और पंजाब चुनाव में भी उनकी भागीदारी देखने को मिलेगी। क्या परोक्ष रूप से चुनावी मैदान में कुछ चेहरे नजर आएंगे। या फिर कृषि कानूनों की वापसी के फैसले के साथ ही वक्त के साथ नेपथ्य में चले जाएंगे। 

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किसान नेताओं ने आंदोलन के समाप्त होने के बाद अपनी आगे की योजनाओं के लिए अलग-अलग  संकेत दिए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से साफ कहा गया है कि आंदोलन खत्म नहीं हुआ स्थगित हुआ है। भारतीय किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर सरकार किसानों की मांगों को पूरा नहीं करती तो हम वापस आंदोलन करेंगे। अगली बैठक अगले महीने की 15 तारीख को होगी। वे इस दौरान हरियाणा समेत कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिलेंगे। वहीं किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा बरकरार रहेगा। हर महीने 15 तारीख को बैठक होगी। किसानों के मुद्दे पर आंदोलन जारी रहेगा।

किसान नेता का मिशन पंजाब

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने अपना राजनीतिक दल बनाने का एलान कर दिया। गुरनाम सिंह ने साफ कर दिया है कि उनका मिशन पंजाब 2022 जारी रहेगा। चढूनी ने कहा कि वह पंजाब आने वाले चुनाव में अपनी पार्टी बनाकर चुनाव लड़वाएंगे और मॉडल प्रस्तुत करते हुए हरियाणा की भी तैयारी करेंगे। लेकिन इसके साथ ही गुरनाम सिंह के मिशन पंजाब 2022 पर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की ओर से सवाल खड़े किए गए। इस दौरान कई किसान नेताओं ने चढूनी के प्रोग्राम से दूरी बनाए रखी और इसे राजनीतिक प्रोग्राम बताया। 

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यूपी चुनाव को लेकर आचार संहिता के बाद मंथन करेंगे टिकैत

किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत से यह पूछे जाने पर कि यूपी चुनाव के बारे में उनकी क्या योजना है, उन्होंने कहा कि वह जल्द ही अपने समर्थकों को यह स्पष्ट कर देंगे। हालांकि, रविवार को राकेश टिकैत ने कहा कि उनका संगठन बीकेयू आगामी चुनाव में "राजनीति की पार्टी नहीं बनेगा" और "किसी का समर्थन नहीं करेगा"। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक किसान दबाव नहीं बनाएंगे, केंद्र एमएसपी पर कानून नहीं लाएगा। इसके साथ ही टिकैत ने यूपी चुनाव को लेकर कहा कि आचार संहिता लगने के बाद वो इसपर मंथन करेंगे। 

बहरहाल, अगले दो-तीन महीनों में किसान नेताओं के स्टैंड को देखना दिलचस्प होगा। आने वाले महीनों में पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड तीन ऐसे राज्य हैं जहां किसान आंदोलन का प्रभाव है। याद दिला दें कि आंदोलन के बीच जिन जिन राज्यों में चुनाव या उपचुनाव हुए किसान संगठनों ने बीजेपी को हराने की अपील की थी।  

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