क्या है थिएटर कमांड, जिसका सपना CDS रावत ने देखा था, अब इस योजना पर क्या असर होगा?
जनरल रावत जिस थिएटर प्रोजोक्ट पर काम कर रहे थे वो प्रोजेक्ट चीन और पाकिस्तान से आने वाले खतरों से निपटने में अहम रोल अदा करने वाला था। इसका मकसद सेना के सभी अंगों को बेहतर को आर्डिनेशन के साथ काम करने के लिए तैयार करना है।
जल, थल और वायु तीनों सेनाओं की क्षमताओं को एकीकृत करने और उनके संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए महत्वकांक्षी थिएटर कमांड की योजना पर काम हो रहा है। देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत को तीन साल के भीतर सेनाओं को पुनर्गठित कर थिएटर कमांड बनाने का जिम्मा सौंपा गया था। जनरल रावत जिस थिएटर प्रोजोक्ट पर काम कर रहे थे वो प्रोजेक्ट चीन और पाकिस्तान से आने वाले खतरों से निपटने में अहम रोल अदा करने वाला था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सीडीएस रावत को थिएटर कमांड को मूर्तरूप देने के लिए की जा रही स्टडीज की पूरी रिपोर्ट को 6 महीने के अंदर टेबल पर लाने के निर्देश भी जारी किए गए थे। इन रिपोर्ट्स को जमा करने की आखिरी तारीख में भी बदलाव किया गया था। पहले जो रिपोर्ट सितंबर 2022 तक दी जानी थी, सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने उसकी समयसीमा घटाकर अप्रैल, 2022 कर दी थी
क्या है थिएटर कमांड
इसका मकसद सेना के सभी अंगों को बेहतर को आर्डिनेशन के साथ काम करने के लिए तैयार करना है। जब से आर्मी में तीन सेना अध्यक्षों के अलावा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद बना तब से ये कवायद जारी है। किसी ऑपरेशन के दौरान सेना के सभी अंग एक दूसरे से लगातार संपर्क में रहते हुए एक-दूसरे की गतिविधि से वाकिफ रहे। इसके लिए थिएटर कमांड की शुरूआत की जा रही है। फिलहाल सेना के तीनों अंग अपने-अपने हिसाब से तैयारियां करते हैं और जरूरत पड़ने पर ही को आर्डिनेट करते हैं। भारत अलग-अलग इलाके और जरूरत के हिसाब से थिएटर कमांड बनाने पर काम हो रहा है जिसके तहत वायु सेना, थल सेना और नौसेना तीनों में तालमेल रखा जाएगा।
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थिएटर कमांड की जरूरत क्यों पड़ी?
साल 2019 के फरवरी में भारतीय वायु सेना यानी की आईएएफ ने बालाकोट एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया था। इसके अगले दिन पाकिस्तानी सेना के लड़ाकू विमानों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की थी। आईएएफ ने इस घुसपैठ का कड़ा जवाब दिया था। लेकिन जवाबी कार्रवाई में उसका एक हेलिकॉप्टर एमआई 17 क्रैश हो गया था। इस हादसे में सवार 5 लोग मारे गए थे। शुरुआत में इसी दुर्घटना बताया गया था। लेकिन बाद में जांच के बाद पता चला की असल में गलती से वायु सेना ने अपने ही हेलीकॉप्टर को मार गिराया था। जानकार बताते हैं कि इसके पीछे की वजह सेना के अंगों के बीच तालमेल की कमी थी। इस हादसे ने एक पुरानी बहस को छेड़ दिया था। दरअसल, रक्षा मामलों के जानकार कहते रहे हैं कि बेहतर सैन्य कार्रवाई के लिए सेनाओं को एक संयुक्त कमांड के तहत काम करना चाहिए। सेना के हवाई ऑपरेशन में थल सेना का आर्मी एयर डिफेंस और एयरफोर्स दोनों ही शामिल होते हैं। ऐसे में एक कमांड हो जहां से हर तरह के हवाई ऑपरेशन को आर्डिनेट और कमांड किए जाए तो न सिर्फ परिणाम सटीक होंगे बल्कि ऐसी गलतियां या चूकों को रोकने में भी मदद मिलेगी।
भारत के पास अभी अलग-अलग 17 कमांड
अंडमान और निकोबार के त्रि-सैन्य कमांड और स्ट्रेटजिक फोर्सेस कमांड को छोड़कर पूरे देश में सुरक्षा बलों के अलग-अलग 17 सिंगल सर्विस कमांड बने हुए हैं। जिनमें से भारतीय थलसेना और भारतीय वायुसेना के अंतर्गत सात-सात कमांड और भारतीय नौसेना के पास तीन कमांड हैं। इन सभी कमांड को मिलाकर थिएटर कमांड बनाने की योजना की जा रही है।
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