ग्राम संरक्षक योजना - मुख्यमंत्री ऑडियो वेबिनार के माध्यम से प्रथम श्रेणी के 4,000 से अधिक राजपत्रित अधिकारियों से जुड़े
अधिकारियों को लोगों की सेवा करने के इरादे से इस क्षेत्र में निष्ठा और लगन से कार्य करने के लिए प्रेरित करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हमने राज्य में जनकल्याण और विकास के लिए सरकारी अधिकारियों के इस अनूठे सहयोग की एक नई पहल की है। जैसे निजी क्षेत्र में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप-पीपीपी है, उसी प्रकार इसे गवर्नमेंट-कम्युनिटी पार्टनरशिप (जीसीपी) कहा जाएगा, जिसमें अधिकारी अपने कार्यालय के नियमित कार्यों के अलावा गांवों के विकास के लिए काम करेंगे।
शिमला । मुख्यमंत्री मनोहर लाल आज पहली बार ‘ग्राम संरक्षक योजना’ के तहत ऑडियो वेबिनार के माध्यम से राज्य सरकार के प्रथम श्रेणी के लगभग 4,000 राजपत्रित अधिकारियों से जुड़े। इस योजना के तहत अधिकारी एक-एक गाँव को गोद लेंगे और उसके संपूर्ण विकास पर काम करेंगे। मुख्यमंत्री ने इन अधिकारियों द्वारा गोद लिए गए गांवों के विकास के लिए किए जाने वाले कार्यों के बारे बताया।
अधिकारियों को लोगों की सेवा करने के इरादे से इस क्षेत्र में निष्ठा और लगन से कार्य करने के लिए प्रेरित करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हमने राज्य में जनकल्याण और विकास के लिए सरकारी अधिकारियों के इस अनूठे सहयोग की एक नई पहल की है। जैसे निजी क्षेत्र में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप-पीपीपी है, उसी प्रकार इसे गवर्नमेंट-कम्युनिटी पार्टनरशिप (जीसीपी) कहा जाएगा, जिसमें अधिकारी अपने कार्यालय के नियमित कार्यों के अलावा गांवों के विकास के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा कि हमने इस वेबिनार के लिए विशेष रूप से एक गैर-कार्य दिवस को चुना है क्योंकि ये कार्य गैर-कार्य दिवस पर ही किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह उनके सरकारी कार्य का हिस्सा नहीं बल्कि समाज सेवा का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को महीने में कम से कम एक बार अपने गोद लिए गांव का दौरा करना होगा और इसके विकास की निगरानी करनी होगी।
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उन्होंने अधिकारियों को ‘सबका साथ-सबका विश्वास’ की विचारधारा का पालन करते हुए इस योजना पर समाज सेवा के रूप में कार्य करने का आग्रह किया।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य का चहुंमुखी विकास सुनिश्चित करने के अलावा, सरकार राज्य के लोगों की सुख-समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। उन्होंने विस्तार से बताया कि राज्य के ‘हैप्पीनेस इंडेक्स’ से लोगों की समृद्धि का अंदाजा लगाया जा सकता है। हमें अपनी रैंकिंग बढ़ाने की जरूरत है और ‘ग्राम संरक्षक योजना’ पर काम करके ये अधिकारी राज्य के ‘हैप्पीनेस इंडेक्स’ में सुधार के लिए प्रमुख योगदान देंगे।
सरकारी अधिकारी और सेवानिवृत्त अधिकारी, दोनों बन सकते हैं इसका हिस्सा
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस बात पर जोर दिया कि यदि सेवारत अधिकारियों और सेवानिवृत्त अधिकारियों सहित सभी लोग गांवों के विकास में योगदान दें तो राज्य और अधिक तेजी से प्रगति के पथ पर अग्रसर होगा। उन्होंने कहा कि संरक्षक वेबसाइट www.intrahry.gov.in पर पंजीकरण कर पंचायतों का चयन कर सकते हैं। यदि वे गोद लिए गए गांव को बदलना चाहते हैं तो संबंधित एडीसी से संपर्क किया जा सकता है। राज्य के सेवानिवृत्त अधिकारी और लोग, जो गांव के विकास में योगदान देना चाहते हैं, वे हरियाणा स्वयंसेवी कार्यक्रम की वेबसाइट- https://samarpan.haryana.gov.in पर अपना पंजीकरण करवा सकते हैं।
गोद लिए गए गांवों में किए जाने वाले प्रमुख कार्य
अधिकारियों द्वारा गावों में किए जा सकने वाले कार्यों के बारे बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे पहले परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) योजना के तहत आय सत्यापन का काम किया जाए। उन्होंने कहा कि स्थानीय समितियां इस पर काम कर रही हैं और संरक्षक आय सत्यापन की प्रक्त्रिया में तेजी लाएंगे। इसके अतिरिक्त, देसरा कार्य होगा सत्यापित आय को प्रमाणित करना ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ पात्र लाभार्थियों तक पहुंचे।
उन्होंने कहा कि पार्कों और व्यायामशालाओं के रखरखाव के कार्य की निगरानी के अलावा, श्मशान घाटों पर स्वच्छ पेयजल आदि की आपूर्ति जैसी बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि संरक्षक आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के कामकाज की निगरानी भी करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि कुपोषित बच्चों आदि को उचित आहार दिया जाए।
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