Bengaluru Opposition Meet | बेंगलुरु विपक्ष की बैठक से पहले बदला जा सकता है यूपीए का नाम, सूत्रों ने दी जानकारी
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और आम आदमी पार्टी (आप) सहित भाजपा विरोधी दलों के नए गठबंधन को अब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) नहीं कहा जाएगा। इंडिया टुडे पर छपी खबर के अनुसार बताया गया है कि नया नाम मंगलवार को बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक के दौरान तय होने की संभावना है।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और आम आदमी पार्टी (आप) सहित भाजपा विरोधी दलों के नए गठबंधन को अब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) नहीं कहा जाएगा। इंडिया टुडे पर छपी खबर के अनुसार बताया गया है कि नया नाम मंगलवार को बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक के दौरान तय होने की संभावना है।
यूपीए का नाम बदला जा सकता है
सूत्रों ने कहा कि गठबंधन का एक सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम होगा और बैठक के दौरान राज्य-दर-राज्य आधार पर सीट बंटवारे पर चर्चा होगी। सूत्रों के मुताबिक, अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम और संचार बिंदुओं का मसौदा तैयार करने के लिए एक उप-समिति गठित की जाएगी।
उन्होंने कहा कि पार्टियों के संयुक्त प्रचार कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक उप-समिति के गठन की उम्मीद है, जिसमें रैलियां, सम्मेलन और आंदोलन शामिल हैं। गठबंधन संभवतः इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) का मुद्दा उठाएगा और चुनाव आयोग को सुधारों का सुझाव देगा। सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावित गठबंधन के लिए एक साझा सचिवालय स्थापित किए जाने की संभावना है।
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बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों में एकजुट होकर भाजपा का मुकाबला करने के लिए एक संयुक्त रणनीति बनाने के वास्ते यह एक दर्जन से अधिक विपक्षी दलों की दूसरी बैठक होगी। पटना में विपक्षी दलों की पहली बैठक 23 जून को हुई थी। ‘आप’ की पीएसी की बैठक कांग्रेस द्वारा दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर केंद्र के अध्यादेश पर अपना रुख स्पष्ट करने के तुरंत बाद हुई है।
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कांग्रेस ने रविवार को साफ किया कि वह दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण से संबंधित केंद्र के अध्यादेश का संसद में समर्थन नहीं करेगी और देश में ‘‘संघवाद को ध्वस्त’’ करने के केंद्र सरकार के ऐसे किसी भी प्रयास का विरोध करेगी। कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी का रुख साफ है कि वह राज्यपालों के जरिए विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में हस्तक्षेप करने के केंद्र के ऐसे किसी भी कदम का विरोध करेगी और उसने संसद में दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण से संबंधित अध्यादेश पर विधेयक पेश किये जाने पर इसका विरोध करने का फैसला किया है।
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