Satyendar Jain को राहत, मेडिकल ग्राउंड पर सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाई अंतरिम जमानत
ईडी ने जैन को कथित तौर पर उनसे जुड़ी चार कंपनियों के माध्यम से धन शोधन के आरोप में पिछले साल 30 मई को गिरफ्तार किया था। एजेंसी ने जैन को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 2017 में उनके खिलाफ दर्ज की गई सीबीआई एफआईआर के बाद गिरफ्तार किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मेडिकल आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येन्द्र जैन की अंतरिम जमानत 1 सितंबर तक बढ़ा दी। पिछले महीने शीर्ष अदालत ने चिकित्सा आधार पर सत्येन्द्र जैन की अंतरिम जमानत बढ़ा दी थी। शीर्ष अदालत ने 26 मई को जैन को चिकित्सा आधार पर छह सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत देते हुए कहा था कि एक नागरिक को अपने खर्च पर निजी अस्पताल में अपनी पसंद का इलाज कराने का अधिकार है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को मेडिकल आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जैन की अंतरिम जमानत बढ़ा दी थी।
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किया गया था गिरफ्तार
ईडी ने जैन को कथित तौर पर उनसे जुड़ी चार कंपनियों के माध्यम से धन शोधन के आरोप में पिछले साल 30 मई को गिरफ्तार किया था। एजेंसी ने जैन को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 2017 में उनके खिलाफ दर्ज की गई सीबीआई एफआईआर के बाद गिरफ्तार किया था। सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में उन्हें 6 सितंबर, 2019 को ट्रायल कोर्ट द्वारा नियमित जमानत दी गई थी। न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने जैन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी को मेडिकल रिपोर्ट अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू को सौंपने का निर्देश दिया। इनके जमा होने पर आज जमानत की अवधि बढ़ा दी गई।
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ईडी का जवाब
उनकी जमानत से पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शीर्ष अदालत में अपना जवाब दाखिल किया। जवाब में ईडी ने कहा कि जैन अस्पताल से अपनी बीमारी के बारे में झूठी रिपोर्ट देने के लिए दिल्ली में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रहे हैं। एजेंसी ने आगे आरोप लगाया कि दिल्ली के पूर्व मंत्री ने एलएनजेपी अस्पताल की एक रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपी थी, जिसे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। ईडी ने यह भी कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 से जुड़े मामलों में बीमारी के आधार पर जमानत तभी दी जाती है जब जान को खतरा हो। जांच एजेंसी ने अपने जवाब में आगे कहा, जैन की स्वास्थ्य जांच ऐसे अस्पताल में की जानी चाहिए, जो दिल्ली सरकार के अधीन न हो।
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